देखिए किस रणनीति के तहत पुरे भारत को शराबी बना गया

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धर्म कहता है हमारी न्याय व्यवस्था न्याय  व्यवस्था जो  भारतीय न्याय व्यवस्था है जिसमें धर्म आधार है जो वेदों पर आधारित है जो उपनिषदों पर आधारित है स्मृतियों पर आधारित है वह न्याय व्यवस्था की बात कर रहा हूं मैं तो हमारी न्याय व्यवस्था हमारा धर्म कहता है कि शराब पीना पाप है और नहीं पीना चाहिए गौ हत्या करना पाप  है नहीं करनी चाहिए तो हमारे यहां शराब पीना पाप बताया गया तो धर्म पर आधारित सत्य पर आधारित और भारतीय न्याय दर्शन पर आधारित जब तक समाज व्यवस्था चली इस देश में किसी ने शराब नहीं पी.  बहुत सालों से मैं एक शोध के काम में लगा हुआ हूं कि भारतवासियों ने सबसे पहले शराब कब पी तो अब तक मुझे जो प्रमाण मिले हैं वह प्रमाण कहते हैं कि 1760 के पहले तक किसी भी भारतवासी ने कभी भी शराब नहीं पी. पहली बार इस देश में 1760  में शराब पी गई और वह कलकत्ता में पी गई और वहां पर एक अंग्रेजी शराब की दुकान पर पहली बार खराब बिक्की और भारत वासियों ने पी और उस शराब की दुकान को स्थापित करवाया रॉबर्ट क्लाइव नाम के एक अंग्रेज ने और उसने जब कंपनी का राज चलता था इस देश में ईस्ट इंडिया कंपनी का तो कानून बनवाया कानून से लाइसेंस दिया गया और उस लाइसेंस के आधार पर कलकत्ते में पहली शराब की दुकान खुली,

विडियो में देखिए भारत में पहली शराब की दुकान कब खुली >>

उस  शराब की दुकान पर आकर भारतवासियों ने शराब पीना शुरू किया रॉबर्ट क्लाइव के समय में जब यह शराब की दुकान खुली  और जिस अंग्रेज अधिकारी की पहली नियुक्ति इस दुकान पर हुई उस अंग्रेज अधिकारी को एक बार लंदन की संसद में बुलाया गया था बयान देने के लिए तो वह अंग्रेज अधिकारी जब लंदन गया संसद में बयान देने के लिए तो उससे पूछा गया कि बताओ तुम्हारा शराब का धंधा कैसा चल रहा है तो उसने कहा बहुत अच्छा चल रहा है तो अंग्रेज संसदीय समिति के सदस्यों ने कहा कि तुम यह क्या बोल रहे हो भारत में शराब का धंधा अच्छा चल रहा है

उसने कहा हां बहुत अच्छा चल रहा है तुम्हारे पहले कैसे चलता था उसने कहा मेरी शराब की दुकान खोलने से पहले कोई शराब पीता ही नहीं था मैं तो पहला आदमी हूं जिसने कोलकाता के लोगों को शराब पीना सिखाया तो तुम्हारी दुकान पर लोग आते हैं हां आते हैं भीड़ की भीड़ आ  रही है तो तुमने क्या किया उनको अपने दुकान पर बुलाने के लिए आकर्षित करने के लिए तो उसने एक बात कही संसद के संसदीय समिति के सामने जो अंग्रेजों की संसद के रिपोर्ट में दर्ज  है वह कहता है कि मैंने सबसे पहले मुफ्त में शराब पिलाई भारतवासियों को उसने कहा कि मैंने बोर्ड लगा दिया शराब की दुकान के बाहर और उस पर लिख दिया और उसको बांग्ला भाषा में लिखा पहले अंग्रेजी में फिर बांग्ला में और उस पर यह लिखा की यहाँ  मुफ्त में शराब मिलती है आइए पीजिये आनंद लीजिए ऐसा करके बोर्ड पर लिख दिया तो एक आया उसने चखा  फिर दूसरे दिन दो की और लेकर आया फिर तीसरे दिन तीन को  लेकर आया और कहने लगा अब तो मेरे पास ऐसे  ग्रहों की संख्या हो गई है जिनको पहले मैंने मुफ्त  में शराब पिलाई थी अब वह घर से पैसे चुरा कर लाते हैं और मेरी शराब पीकर वहां से जाते हैं तो अंग्रेजी संसदीय समिति  बड़ी खुश हो गई उसने कहा कि तुम तो पुरस्कार मिलना चाहिए तो वह कहता मुझे अगर  पुरस्कार देना है तो एक लाइसेंस और दे दो दूसरी दुकान में है वही खोलना चाहता हूं शराब की तो दूसरी दुकान खुल गई तीसरी खुल गई फिर चौथी खुल गयी

एक दिन साढ़े 300 दुकाने हो गई कोलकाता में और यह दुकानें बढती रही अंग्रेज इसको बढ़ाते रहें शराब पीने का कानून बना दिया कानून में यह लिख दिया कि अगर कोई बालिग होगा तो शराब पीने का अधिकारी हो गया जब तक वह नाबालिक है तब तक ना पिए बालिक हो गया तो पीने लगे अब हमारे यहां अंग्रेजो के जमाने में बहस चली की भारत में कोई बालिक है या नाबालिक है इसकी उमर क्या मानी जाए   तो आपको सुनकर हैरानी होगी मैं सब को बताना चाहता हूं कि सालों साल अंग्रेजों ने बालिक होने की उम्र 14 साल रखी फिर उसको 16 साल किया फिर आते आते 18 साल हो गई है माने थोड़े समय तक यह था कि 14 साल के ऊपर हो जाए शराब पीले तो अंग्रेजों को पूछा गया कि तुमने यह 14 साल  कैसे रख दिया तो उन्होंने कहा कि हमारे इंग्लैंड में 14 साल में शराब पीने लगते हैं तो हमने भारत में भी रख दिया

आप जानते हैं इंग्लैंड में 12 से 14  साल के बच्चे शराब पीने लगते हैं क्योंकि उनके माता-पिता पीते हैं देखते हैं देख देख के वो भी पीने  लगते हैं यूरोप में भी 12 से 14  साल के बच्चे शराब पीने लगते हैं चूँकि  यूरोप इंग्लैंड में 12 से 14 साल में  बच्चे शराब पीने लगते तो भारत में भी  वही उम्र उन्होंने  रख दी फिर थोड़े दिन बहस होकर  16 साल किया  फिर उसको 18 साल कर दिया है अब भारत सरकार को क्या करना चाहिए था आजादी मिलने के बाद यह कानून समाप्त कर देना चाहिए था क्योंकि हमारे धर्म में हमारी न्याय व्यवस्था में शराब पीना पाप है अधर्म है और सबसे घ्रणित काम  है तो यह  खत्म होना चाहिए था

लेकिन भारत सरकार तो काले अंग्रेजों ने चलाई उन्होंने क्या किया कि ये शराब के कानून को और ज्यादा खुला कर दिया और इतना खुला कर  दिया कि पहले अंग्रेजों के जमाने में जब  शराब का कानून बना था तो अंग्रेजों ने उस कानून में एक जगह लिखा हुआ था कि भारत में अगर कहीं मंदिर है कहीं मस्जिद है उसके दूर-दूर 500 मीटर दूर तक शराब की दुकान नहीं होनी चाहिए अंग्रेजो ने कानून में यह लिखा था मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा चर्च है कोई धर्म स्थान है उसे 500 मीटर दूर तक कोई शराब की दुकान नहीं होनी चाहिए फिर इसी में अंग्रेजों ने एक और वाक्य जोड़ा था कि विद्यालय विश्वविद्यालय है कॉलेज है तो उसके दूर दूर 500 मीटर दूर तक कोई शराब की दुकान नहीं होनी चाहिए इन काले अंग्रेजों ने तो उसको भी हटा दिया उसमें से इन काले अंग्रेजों ने आजादी के बाद जो कानून बनाया है अब वो कानून ये है कि मंदिर के सामने शराब की दुकान है मस्जिद के सामने शराब की दुकान है गुरुद्वारे के सामने शराब की दुकान है और खाली शराब की दुकान ही नहीं है उससे ज्यादा और भी घ्रणित काम करने  के दुसरे अड्डे वहां पर खोले हुए हैं जुए के अड्डे हैं वेश्यावृत्ति के अड्डे हैं यह अंग्रेजो का बनाया हुआ कानून है और अंग्रेजों के बाद काले अंग्रेजों का बनाया हुआ कानून  है

परिणाम यह हुआ कि जिन अंग्रेजो ने एक शराब की दुकान खोली थी आज इस  देश में काले अंग्रेजों की मदद से लाइसेंस आधारित शराब की दुकानें 32000 हो गई है और अगर आप बिना लाइसेंस वाली दुकानों को गिनेंगे तो वो एक लाख से ज्यादा है गांव-गांव शराब की दुकानें  खुल रही हैं अगर आपके कल्पना करिए  एक लाख शराब की दुकानें हैं तो इसका माने भारत के हर छह गांव के बीच में एक शराब की दुकान है अब काले अंग्रेजों की तैयारी चल रही है कि हर गांव में एक शराब की दुकान होने चाहिए माने हर गांव में 6 लाख ३८ हजार से ज्यादा पूरे भारत में शराब की दुकानें होने चाहिए सारे देश को शराब में डूबो देना चाहिए और इसके नीति कई राज्यों में बन कर लागु हो रही है कई राज्यों ने तो यहाँ तक तय कर लिया है कि गांव गांव में ही शराब नहीं मिलेगी वैन चलाएंगे शराब बेचने वाली जैसे मरीजों को ले जाने के लिए चिकित्सा सहायता वैन होती है ना वैसे शराब बेचने के लिए वैन दिल्ली सरकार का फैसला राजस्थान सरकार का फैसला भारत के कई राज्य सरकारें अब वाहन चलाएंगी मोबाइल वैन चलाएंगी उनमें गांव गांव जाकर घर घर जाकर शराब परोसी जाएगी और लोगों को बेचीं  जाएगी हम कैसे कहें कि भारत स्वतंत्र हो गया अंग्रेजो ने भारत वासियों को शराब में डूबो दिया तो उनके पीछे स्वार्थ था कि  भारतवासी नशे के शिकार बने इन को गुलाम बनाया जाए और लूटा जाए अब आजादी के बाद के  काले अंग्रेज भी  भारत वासियों को शराब में ही डुबोना चाहते हैं तो कैसे कहें कि देश स्वतंत्र है देश स्वाधीन है देश आजाद है अभी यह देश परतंत्र  है

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