CSIR को जर्मनी के दबाव में क्यों बंद करना पड़ा अपना रिसर्च प्रोजेक्ट ! By Rajiv Dixit Ji

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हमारे राजीव भाई ने CSIR (Center For Science & Industrial Research) के एक शोध मे काम किया था| वो शोध कार्य Fundamental Fifth Force के ऊपर था, आप जानते है ब्रह्माण्ड मे चार तरह के Fundamental Force है, पर एक कल्पना ऐसी है के कोई एक Fifth Force भी है और वो Anti-gravity है| तो इसके लिए राजीव भाई ने Mathematical Foundations तक Develop किया, पहले तो Assumption थे फिर Foundations मे राजीव भाई गए फिर Experimental Verification का काम राजीव भाई अपने टीम के साथ शुरू किया| तभी इस काम के बारे मे Germany के कुछ वैज्ञानिकों को खबर लग गयी, वहा पर Munich नाम के शहर मे एक Max Planck Research Institute है, उनको पता चल गया के हिन्दुस्तान मे ऐसा कुछ काम हो रहा है तो उन्होंने राजीव भाई की टीम को Offer कर दिया कि अब तो आप यहाँ आ जाइये और यहाँ पे करिए, हम आपको Billions of Dollars Provide करेंगे| तो राजीव भाई ने कहा कि ‘नही ये संभव नही है हम तो हमारे देश मे कुछ करना चाहते है’| तो वो कहने लगे आपके देश मे तो Facilities नही है, तब राजीव भाई ने कहा ‘नही है, तो क्या है ? आचार्य जगदीश चन्द्र बोस ने जब काम किया था तब उनके पास भी Facilities नही थी तो क्या वो शोध करने के लिए अमेरिका भाग गए थे  ? वो यही पे रहके काम करते थे|

इस विडियो में देखिए जब जर्मनी के दबाव के कारण राजीव भाई को अपना प्रोजेक्ट बंद करना पड़ा था >> 

राजीव भाई के मन मे कुछ ऐसे प्रतिक्रिया आ रही थी.. दो रास्ते थे उनके पास, एक ये की वो अपनी शोध (Research) को Surrender कर दे, कुछ पैसा उनको मिल जाये, करोड़ पति बन जाय, मज़े का जीवन बिताएं या Germany चला जाए| एक और रास्ता था के राजीव भाई उनसे झगड़ा करे, और कहें कि कोई सवाल ही नही उठता, यह उनका अपना है, वो खुद रखेंगे, तुमको International Court मे जाना है वहां चले जाओ, मैं फाइट करूँगा ऐसा करूँगा वैसा करूँगा| तीसरा और एक आखरी रास्ता है जो राजीव भाई को बहुत पसंद था वो था कि शोध ही बंध कर दो| किस बात का झगड़ा लेना ? होगा क्या के राजीव भाई शोध करेंगे और Patent उनको हो जायेगा तो Technology वो बनायेंगे|

अब Technology कहाँ से आयेगी ? अब यह तय हो जाये कि Fundamental Fifth Force है और यह भी तय हो जाये कि वो Anti-gravity है तो यह जो Satellite Communications का Field है हमारे लिए बिलकुल खुल जायेगा, बहुत अपर सम्भावनाये इसमें हो जाएगी, और हम बहुत कम पैसे मे दुनिया के Master हो सकते है| राजीव भाई को लगता था के हम Satellite बनायेंगे तो हिन्दुस्तान के प्राकृतिक सम्पदा के बारे मे पता लगायेंगे, Star Wars तो नही करने वाले| अगर अमेरिका के पास यही Technology पहुंच जाएगी तो वो इसको Star Wars में इस्तेमाल करेंगे| इराक को बम मारेंगे, ईरान को बम मारेंगे, अफगानिस्तान को बम मारेंगे, उसको मारेंगे .. तो राजीव भाई के मन मे आया कि यह काम बंध कर देना चाहिए क्योंकि भारत सरकार का कोई भरोसा नही है| पता नही कब भारत सरकार जर्मनी के सामने Surrender दें और कहेंगे के इतना बिलियन डॉलर मिलता है तो ले लो… तो सरकार पर कोई भरोसा नही और राजीव भाई को उनसे झगड़ा नही करना, तो एक रास्ता उन्होंने ढूंड लिया के इस प्रोजेक्ट को बंध कर दिया जाये| राजीव भाई के जो गाइड थे डॉ एम पी कौशिक उन्होंने कहा कि जब हमारी ताकत और हैसियत होगी तब हम फिर से शुरू करेंगे अभी फ़िलहाल बंध कर दो| तो राजीव भाई ने वो प्रोजेक्ट बंध कर दिया|

फिर उन लोगो ने राजीव भाई को धमकी देना शुरु किया के ऐसा कर देंगे, वैसा कर देंगे, Government of India को उन्होंने कहा कि आप इस  एक ग्रुप के वैज्ञानिकों को Pressurise करिए|  तो वो कहते थे इनको Pressurise करो पैसे की मदत से या किसी भी तरह से या तो Surrender कर दे यह पूरी शोध या यह तय कर ले की Patent सिर्फ Germany लेगा मतलब कि Max Planck Research Institute.

अब यह Concept की बात है, तो राजीव भाई के दिमाग मे जब भी इस बात को लेके विचार आते थे तो वो यही सोचते थे के उनका उस शोध का काम अगर वो प्रयोग करेंगे, Technology के field मे जायेंगे तो उनको Satellite के field मे हिन्दुस्तान को कुछ आगे ले जाने की बात Self Sufficient करने की बात दीखता था| उनको (ज़र्मनी) को दीखता  था कि इसको हम प्रयोग करके दुनिया पर हम राज करेंगे Star Wars के Masters हो जायेंगे हम Missiles को ऐसे डिजाईन करेंगे वैसे डिजाईन करेंगे|

तो यह जो Civilization Concept है यह Technology के Development मे बड़ी भूमिका निभाता है| हमारी Civilization की जो मान्यताएं है उसी के हिसाब से Technology बनाते है और हमारी जो मान्यतायों के विरुद्ध है वो Technology मे हम नही जाते| अब पिछले 20 सालों से क्या हो गया है के यूरोप की जो मान्यताये है Civilization की उसके आधार पर उन्होंने जो Technology का विकास किया है वो विकास के आधार पर उन्होंने ऐसी बहुत सारी Technology बनाई है जो दुनिया का नाश ही ज्यादा करती है, फ़ायदा तो बहुत कम करती है| यूरोप और अमेरिका के पास इस समय जितनी भी Technology है अगर आप उसको classify करने की कौसिश करें to 70% से 80% Technology उनकी ऐसी है जो Mass Destruction की है| और इसमें Trillion of Dollar की Investment है| और हमने जो Technology बनाई है पिछले 50-55 साल मे वो ऐसा बिलकुल नही है| Technology  अच्छी या बुरी नही होती कभी | जैसे एक चाकू है ..ये अच्छा और बुरा कुछ नही होता प्रयोग करने वाले के हाथ मे है कि आप उसका क्या प्रोयोग करेंगे! आप चाकू से किसी की जेब काट सकते है किसी का पेट फाड़ सकते है, और उसी चाकू से आप केला काट सकते है, आलू काट सकते है, सब्जी बनाके खा सकते है| आप अगर यह पश्चिमी लोगों के हाथ मे दे दोगे तो वो पेट फाड़ने का सोचेंगे, जेब काटने का सोचेंगे और हिन्दुस्तानी या पूर्वी लोगों के हाथ मे दोगें तो वे उससे सब्जी काट के ही खायेंगे |

तो यह डिबेट नही करना है कि Technology अच्छी है या ख़राब! उनके लिए बहुत अच्छी हो सकती है पर मेरे लिए ख़राब| यह Relativity का सवाल है कि अपने लिए Star Wars का Concept बहुत ख़राब हो सकता है Atom Bomb बहुत ख़राब हो सकता है Hydrogen Bomb बहुत ख़राब हो सकता है Chemical Bomb बहुत ख़राब हो सकता है Anthrax बहुत ख़राब हो सकता है लेकिन यूरोप, अमेरिका के लिए बहुत अच्छा हो सकता है, क्योंकि उन्हें अपना उदेश्य हासिल करने मे वो Technology की मदत मिलती हो तो वो करेंगे उनके लिए बहुत अच्छी हो सकती है|

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