24 लाख का पैकेज छोड़ इंजीनियर ने अपनाई खेती, 2 करोड़ रुपए का टर्न ओवर

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बिलासपुर(छत्तीसगढ़). बीई मैकेनिकल, एमबीए फाइनेंस, एलएलबी, इकॉनेमी और इंजीनियरिंग में पीएचडी होल्डर सचिन काले को देश की कई नामी कंपनियों ने नौकरी दी, पर रास नहीं आई। 24 लाख का सालाना पैकेज छोड़कर उन्होंने गांव लौटकर खुद खेती करने का फैसला किया। आज वे खेती से ही तकरीबन 2 करोड़ रुपए सालाना का टर्न ओवर ले रहे हैं। उनका लक्ष्य खेती को कार्पोरेट का रूप देना है।

– तखतपुर ब्लॉक के मेढ़पार बाजार निवासी अशोक काले के इकलौते पुत्र सचिन के पास तीन साल पहले भी वह सब कुछ था, जो एक सफल युवा का सपना होता है।

– दिल्ली की नामी कंपनी में इंजीनियर की नौकरी। बंगला, गाड़ी और नौकर-चाकर। सालाना पैकेज करीब 24 लाख रुपए।

– वैसे तो सचिन ने इंजीनियर की नौकरी की शुरुआत पढ़ाई खत्म होते ही 2003 में नागपुर की एक कंपनी में की। कुछ महीनों के बाद ऑफर मिलने पर पुणे की एक कंपनी ज्वाइन कर ली।

– इसी बीच एनटीपीसी सीपत में वैकेंसी निकली। परीक्षा में सफलता मिली और 2005 में वहां नौकरी करने लगे। तीन साल बाद 2008 में एनटीपीसी की नौकरी छोड़कर पुणे चले गए।

– तब उन्हें वहां 12 लाख रुपए सालाना पैकेज मिल रहा था। इसके बाद 2011 में दिल्ली की एक कंपनी ने उन्हें 24 लाख रुपए सालाना पैकेज में हायर किया।

– यहां तीन साल तक नौकरी करने के बाद उनका मन भर गया। 2014 में लौट आए। उनका बिलासपुर शहर के चांटापारा में भी मकान हैं, जहां माता-पिता रहते हैं।

– पिता अशोक काले का अलग से व्यवसाय से है, जिसे आगे बढ़ाने के लिए पिता ने उनसे कहा था, लेकिन उन्होंने जवाब दिया कि वे इसके लिए गांव नहीं लौटे हैं।

– वे खेती करेंगे। पिता को भी बात अटपटी लगी, लेकिन होनहार बेटे को मना नहीं कर सके। सचिन की मेढ़पार में करीब 20 एकड़ पुश्तैनी जमीन है।

– उन्होंने ट्रैक्टर लेकर खुद ही खेत को सुधारा। किसानों को अपने खेत में बुलाकर दिखाया कि अलग-अलग हिस्सों में किस तरह से सब्जी, भाजी, धान, दाल आदि की खेती की जा सकती है।

खेती को दिया कार्पोरेट का रूप >>

– सचिन के मन में शहर से गांव लोटते ही कृषि को कार्पोरेट का रूप देने की इच्छा थी। इसके लिए उन्होंने इनोवेटिव एग्री लाइफ सालूशन प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी बनाई।

– कंपनी के जरिए ही खेती पर खर्च किए जाते हैं, जो आय होती है, वह भी कंपनी का हिस्सा होता है।

– सचिन बताते हैं कि पिछले एक साल में उनकी कंपनी का टर्न ओवर दो करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।

गांव के 70 किसान आते हैं सलाह लेने >>

– सचिन के इंजीनियर की नौकरी छोड़कर जब खेती करने की चर्चा आसपास के गांव में फैली तो किसान उनकी फसल को देखने आने लगे।

– उनके खेतों में खड़े पौधे से कई किसान काफी प्रभावित हुए। उनकी देखा-देखी उन्होंने भी अपने खेतों में ऐसी ही फसल ली।

– पैदावार अच्छी हुई तो देखते ही देखते दो साल में उनसे 70 किसान जुड़ गए, जो अब खेती की सलाह लेने आते रहते हैं।

दादा से मिली समाज के लिए काम करने की प्रेरणा >>

– सचिन की उम्र करीब 38 साल है। करीब 12 साल तक उन्होंने नौकरी की। इस दौरान वे नागपुर, पुणे, दिल्ली, बंबई में रहे।

– जब भी वे घर आते थे, तब उनके दादा वसंतराव काले कहते थे कि नौकरी में कुछ नहीं रखा है। सिर्फ पैसे कमाना ही जीवन नहीं है।

– समाज के लिए भी कुछ करने के लिए उन्हें प्रेरित करते थे। बातों ही बातों में उनके दादा ने कहा कि एक समय था, जब लोगों की जरूरत रोटी, कपड़ा और मकान हुआ करती थी।

– अब इसमें इंटरटेनमेंट, एजुकेशन और हेल्थ जुड़ गया है। इसमें से किसी एक दिशा में काम करने से समाज को नई दिशा मिल सकती है।

– इस बात ने उन्हें इंस्पायर किया और उन्होंने लोगों के लिए ताजी सब्जियां व आर्गेनिक फूड के उत्पादन का संकल्प लिया।

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