इस फसल से दोगुना मुनाफा कमा रहे अरौद के 70 प्रतिशत किसान

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प्रदेश में जहां आज भी बहुतायत में किसान परंपरागत धान की खेती पर ही ध्यान दे रहे हैं। वहीं एक ऐसा गांव है, जिसकी पहचान सब्जी की खेती से होती हे। यह गांव चारामा ब्लॉक का अरौद है। यहां के 70 प्रतिशत किसान धान की फसल के साथ सब्जी की खेती कर दोगुना मुनाफा कमा रहे हैं। बरसात में जहां किसान धान की फसल लेते हैं। वहीं धान काटने के बाद भिंडी की फसल ले रहे हैं।

आज अरौद की पहचान भिंडी फसल से होती है। यहां भिंडी के साथ ही भाजी, लौकी, कद्दू, धनिया, ककड़ी की भी फसल किसान लेने लगे हैं। गांव में मरार समुदाय के लोग हैं। इनका प्रमुख व्यवसाय ही सब्जी उत्पादन करना व बेचना है। गांव में भिंडी की खेती की शुरूआत के पीछे भी एक कहानी है।

गांव के रामप्रसाद पटेल नामक किसान ने अपने दोनों पुत्रों शिशपाल व कांशी राम के साथ लगभग 35 साल पहले ग्रीष्मकालीन भिंडी की खेती की शुरूआत की थी। उस समय गांव में बिजली भी नहीं थी। किसान ने खेतों में अस्थायी कुएं खोद कर टेंडा पाटी सिस्टम से सिंचाई कर महज दो तीन डिसमिल जमीन में भिंडी की खेती की। इससे भिंडी बंपर पैदावार हुई। दूसरे साल इन किसानों की खेती को देख अन्य किसानों ने भी रूख किया। आसपास के खेतों वाले और भी किसान अपने खेत में अस्थायी कुएं का निर्माण किया व भिंडी की खेती शुरू की। तब किसान अपनी भिंडी बेचने कांकेर, चारामा, सरोना, जामगांव, हल्बा, भानुप्रतापपुर, भानबेडा के बाजार साइकिल से जाकर बेचते थे। एक-दूसरे किसानों की तरक्की व सब्जी की खेती से होने वाले फायदे को देखते देखते पूरे गांव के लगभग 70 प्रतिशत किसान गर्मी के दिनों में भिंडी की खेती में उतर आए।

पहले मजदूरी करते थे अब मालिक बने
यहां के किसान पहले मजदूरी कर पेट भरते थे। अब ये मजदूरी नहीं बल्कि स्वयं किसानी करने लगे हैं। गांव में ऐसे कई लोग है, जिनकी बीघा भर भी जमीन नहीं थी। इन लोगों ने पहले तो लोगों के यहां भिंडी तुड़ाई बाजार तक पहुंचाने, दवाई छिड़काव करने की मजदूरी की।

फिर किसानों की कमाई रास आने पर वे अन्य किसानों की जमीन बटाई में लेकर खुद भिंडी की खेती करने लगे और आज मजदूर से मालिक बन गए है। आलम यह है कि दो चार डिसमिल जमीन में भिंडी की खेती करके मजदूर से सबल हुए और वे खुद एक-दो एकड़ जमीन लेकर किसान बन गए ।

1.5 किमी दूर महानदी से पानी लाकर कर रहें खेतों सिंचाई
अरौद के कई किसानों ने खुद के खर्च पर व कृषि विभाग के अनुदान का लाभ उठाते हुए गांव से एक डेढ़ किलोमीटर दूर महानदी में पंप लगाकर पाइप के सहारे खेतों तक पाने लाते हैं। इससे न केवल खरीफ बल्कि रबी की धान व सब्जी की फसल भी लेनी शुरू कर दी है। कृषि विभाग ने अरौद को राइस फेलो परियोजना के तहत गोद लेकर किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकी की जानकारी कृषि वैज्ञानिक दे रहे हैं। वहीं निशुल्क खाद, बीज दवाई भी दी जा रही है। यहां किसान गोपाल पटेल, चिंता साहू को पुरस्कार से भी नवाजा भी गया है।

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