पुरुष भूलकर भी न करें ये 7 गलतियां, घट सकती है फर्टिलिटी

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ह्यूमन रिप्रोडक्शन में पब्लिश स्टडी के अनुसार पुरुषों की कुछ आदतों के कारण उनमें स्पर्म काउंट कम होने की प्रॉब्लम पैदा हो रही है। इससे भी गंभीर बात यह है कि 80 फीसदी से अधिक पुरुषों को यह पता ही नहीं होता कि उनकी इन आदतों का असर उनकी फर्टिलिटी पर भी पड़ता है। क्या है स्पर्म काउंट कम होने की साइंटिफिक वजह ?…

बॉम्बे हॉस्पिटल के यूरोलॉजिस्ट एंड एंड्रोलॉजिस्ट डॉ. विवेक झाका कहना है कि बॉडी के टेम्प्रेचर की तुलना में स्क्रूटम (अंडकोश की थैली) का टेम्प्रेचर करीब एक डिग्री कम रहता है। स्क्रूटम का टेम्प्रेचर बढ़ने पर स्पर्म काउंट कम हो सकता है। आज की लाइफस्टाइल में हमने ऐसी कई आदतें एडॉप्ट कर ली हैं जो स्क्रूटम का टेम्प्रेचर बढ़ाती हैं। इसके अलावा स्ट्रेस का भी नेगेटिव असर स्पर्म काउंट पर पड़ता है। डॉ. झाबता रहे हैं ऐसी 7 आदतों के बारे में जिनकी वजह से स्पर्म काउंट कम होता है। वे इन्हें तुरंत छोड़ने की सलाह देते हैं।

टाइट कपडे पहनना – डेली टाइट कपडे पहनने से स्क्रुटम (अंडकोश की थेली) का तापमान बढ़ने लगता है. इसके कारण स्पर्म काउंट घटने लगता है. हमारे शरीर का तापमान 37 डिग्री सेंटीग्रेट होता है, और हमारे वीर्य में जो शुक्राणु होते है उनका तापमान इससे 2 डिग्री कम यानी 35 डिग्री सेंटीग्रेट होना चाहिए. तभी वो जीवित रह सकते है, अगर 35 से ज्यादा होता है तो वो नष्ट होने लगते है. इसलिए ही पुरुषों में अंडकोश को शरीर से बहार रखा गया है. ताकि हमारे शुक्राणु जीवित रह सके.

लेकिन हमने क्या किया, विदेशी वेशभूषा अपना ली और टाइट कपडे पहनना शुरू कर दिया और हम वेशभूषा की गुलामी के शिकार हो गए. सोचो हमारे ऋषि मुनि कितने बड़े वैज्ञानिक थे जिन्होंने खोज की कि आप खुले और हवादार वस्त्र पहने जिसमे कुर्ता पजामा, धोती कुर्ता है. यानि कि हम भारतीय वेशभूषा में रहे. जिससे हमारे अंडकोश के आसपास का तापमान सामान्य रहे, शीतल रहे. आजकल क्या हो गया है कि लोगो ने बहुत टाइट कपडे पहनना शुरू कर दिया है. चड्डी (Underwear) भी बहुत टाइट पहनना शुरू कर दिया है.

इस सन्दर्भ में डॉक्टरो की रिपोर्ट है कि अगर आप टाइट जीन्स पहनते है तो एक दशक भर में आपके शुक्राणु (Sperm Count) 60 लाख शुक्राणु प्रति मिलीग्राम से से 10-15 लाख प्रति मिलीग्राम रह जाते है. अब आप सोचिये कि आपने जीन्स पहनकर अपने कितने शुक्राणओं का नुकसान किया है. यही बहुत बड़ी नपुंसकता का कारण बन रहा है.

स्ट्रेस में रहना – लगातार स्ट्रेस में रहने से बॉडी में हार्मोनल एम्बलेंस होता है. साथ ही बॉडी का ब्लड सर्कुलेशन बिगड़ता है. इससे स्पर्म काउंट कम होता है

सोया प्रोडक्ट – हार्वर्ड स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ की रिसर्च के मुताबिक डाइट में ज्यादा सोया प्रोडक्ट लेने से इसमे मौजूद आइसोफ्लेवोन स्पर्म की संख्या कम करता है

रेगुलर नशा करना – शराब, सिगरेट या अन्य किसी तरह का नशा करने से बॉडी में स्ट्रेस हारमोंस का लेवल बढ़ जाता है. इससे स्पर्म काउंट कम होने लगता है

लैपटॉप गोद में रखकर काम करना – अगर रेगुलर लैपटॉप को गोद में रखकर काम करते है तो इसकी हीट स्क्रुटम (अंडकोश की थेली) तक जाती है. लॉन्ग टाइम तक ऐसा करने से स्पर्म काउंट घटता है.

पर्याप्त नींद न लेना – रेगुलर कम से कम 7 घंटे की नींद न लेने से बॉडी में स्ट्रेस बढ़ाने वाले हार्मोन्स का लेवल बढ़ता है. इससे बॉडी का ब्लड सर्कुलेशन बिगड़ता है, जिसके कारण स्पर्म काउंट कम होने लगता है

ज्यादा कॉफ़ी पीना – एक हॉस्पिटल की रिसर्च के मुताबिक ज्यादा मात्रा में कॉफ़ी लेने से इसमें मौजूद केफीन स्ट्रेस हार्मोन्स बढाता है. इससे स्पर्म काउंट घटता है

स्पर्म काउंट बढ़ाने का तरीका इस विडियो में देखिए >>