जो महिला ये करेगी उसको कभी जोड़ो में दर्द, कमर में दर्द, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर की समस्या भी नहीं होगी

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अमेरिका में गेहूं न होने की वजह से आटा पिसने से लेकर पावरोटी (डबलरोटी) बनने तक 90 दिन निकल जाते हैं. हमारे आयुर्वेदिक शास्त्र में वागभट्ट जी कहते हैं कि आटे को जितनी जल्दी इस्तेमाल किया उतना ही बेहतरीन है और रोटी को बनने के बाद 48 मिनट तक खा लेना चाहिए और पिसा हुवा गेंहू का आटा 15 दिन से अधिक नही खाना चाहिए और बाजरा, मक्के का आटा तो 7 दिन तक खा लेना चाहिए. इसका कारण यह है कि उसकी माइक्रोन्यूट्रीयंट्स समय के साथ साथ कम होते चले जाते हैं

अब प्रश्न यह उठता है की ताजा आता कहा से लायें तो उसके लिए हाथ वाली चक्की हैं. हिंदुस्तान में हजारों वर्षों से घर में चक्की पर आटा बनाने की परम्परा रही है. इस चक्की पर रिसर्च किया गया है कि ये क्या अद्भुत चीज बनाई है. जो हमारे ऋषि मुनियों ने यह दुनिया की ऐसी अद्भुत मशीन है, जो ताजा आटा तो देती ही है, साथ में हमें स्वास्थ्य भी प्रदान करती है. चक्की चलाने से हमारी अंदर की सारी मासपेशियाँ फ्लेक्सिबल रहती हैं.

हमारे देश में ये जो महिलाएं घर में चक्की चलाती थी, उस पर एक रिसर्च भाई राजीव दीक्षित ने किया. जो महिलाएं गाँव में चक्की चलती हैं और जो नही चलती. दोनों पर एक अध्धयन किया गया तो उस रिपोर्ट में पाया गया कि जो 90 महिलाएं चक्की चलती हैं. उनमे से किसी को भी आजतक सिजेरियन डिलीवरी नही हुई, किसी के भी पैरों, घुटनों, कन्धों, गर्दन में दर्द नही है, नींद अच्छी आती है, डायबीटीज नही हुवा, हाइपरटेंशन नही है, ब्लड प्रेशर की प्रॉब्लम नही है. ऐसी ही 48-50 बीमारियाँ उनमे से किसी को भी नहीं है. और जो माताएं पिसा हुआ (पेक्ड आटा) ला रही हैं जैसे शक्तिभोग, आशीर्वाद, कैप्टेन कुक और आई.टी.सी. का उनके घर में डायबीटीज भी है हाइपरटेंशन भी है और आर्थराइटिस भी है.

फिर वैध जी से पूछा गया कि ऐसा क्या है चक्की चलाने में, तो उन्होने बताया कि जब हम चक्की चलाते हैं तो सबसे ज्यादा जोर पेट पर पड़ता है और महिलाओं के पेट में एक अंग अधिक होता है जो पुरूषों के पेट में नही होता जिसे हम गर्भाशय कहते हैं यह गर्भाशय पेट के बिलकुल बीचों बीच हिस्से में है चक्की चलाते समय सबसे ज्यादा जोर वहीं पर पड़ता है और गर्भाशय के बारे में आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञानं के सारे रिसर्च यही कहते हैं कि ये जो गर्भाशय के आसपास के हिस्से में जितना हलन चलन रहेगा उतनी ही इसकी फ्लेक्सिबिलिटी (इलास्टिसिटी) यानि मुलायमपन रहेगा इसी गुण के कारण बच्चे का जन्म होता है और ये गुण बनाये रखने में सबसे बड़ी भूमिका है, मांसपेशियों का हलन चलन और यह हलन चलन पेट के हिस्से में सबसे अच्छे तरीके से चक्की चलाने से होता है.

यही कारण है कि जो माताएं नियमित रूप से चक्की चला रही हैं उनको सिजेरियन डिलीवरी नही हो रही है क्यूंकि गर्भाशय की फ्लेक्सिबिलिटी मेन्टेन है और आसानी से शिशु बाहर आ रहा है बिना किसी ऑपरेशन के यही कारण है की पुराने समय में माताओं को 5 से 10 तक बच्चे होते थे लेकिन कभी सिजेरियन डिलीवरी नही हुई. एक दाई आती थी गाँव कि और ऐसे बच्चे कराके चली जाती थी जैसे खिचड़ी या दाल पका कर चली गयी हो वो कोई MBBS नही होती थी.

एक और रिसर्च किया गया कि बिना सिजेरियन ऑपरेशन के बच्चे कैसे पैदा किया जा सकता है तो बहुत अध्धयन के बाद पाया गया की इस चक्की की मदद से ही ऐसा पॉसिबल हो सकता है और आयुर्वेद में माँ को 7वें महीने तक चक्की चलाने की अनुमति देता है 8वें महीने में बंद कर दें तो अच्छा है और 7 महीने तक चलाई हुई चक्की पर्याप्त है कि बच्चा बिना सिजेरियन ऑपरेशन के हो.

एक बात और आपका बताते है कि जो बच्चा सिजेरियन से हुवा है और जो बिना सिजेरियन के हुवा, तो पाया गया कि सिजर बच्चा ज्यादा बीमार है और जो बिना सिजेर हैं वो बिलकुल स्वस्थ हैं तंदरुस्त हैं उनका ब्रेन का डेवलपमेंट भी उनका अच्छा है और उनकी कल्पनाशीलता भी अच्छी है.

वागभट्ट जी कहते है कि भोजन बनने के 48 मिनट के अंदर ही खा ले, उसके बाद उसमे मौजूद माइक्रोन्युत्रिंट्स खत्म हो जाते है.  गेहूं का आटा 15 दिनों से अधिक पिस्सा हुवा न खाएं.  बाजरा, जो और मक्की का आटा 7 दिन से पुराना न खाएं

अधिक जानकारी के लिए ये विडियो जरुर देखे >>

दोस्तों हमारे एक मित्र ने राजीव भाई के सपनो का भारत बनाने की एक छोटी सी पहल की है । उन्होंने बेयरिंग वाली हाथ आटा चक्की तैयार की है।, जिसमे शरीर पर जोर कम पड़ेगा.  जिससे अनेक रोगों से बचाव होता है और भोजन के लिए ताजा व पोष्टिक आटा भी मिल जाता है । माता व बहने जिनको पेट दर्द व मासिक से संबंधित समस्याएं रहती है, या  अनावश्यक वजन बढता हैं उनके लिए रामबाण का काम करती है. अधिक जानकारी के लिए आप कभी भी सम्पर्क कर सकते हैं. और आप भी ये चक्की मंगवा सकते है.

जय प्रकाश चौधरी

पता – गांव मुन्सरी, तहसील – नोहर,  जिला – हनुमानगढ़ (राजस्थान),  मोबाइल नंबर- 09828105535