इनके खेती करने के तरीके देखकर आप भी करेगे नारी शक्ति को सलाम

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एक ख्वाहिश, एक सपना, एक भूख एक मातृ प्रेम। इन सब का मिला जुला रूप है महिलाएं। महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपना परचम लहलहा रही है। ये चूल्हा चौका करने वाले हाथ जब खेती का भविष्य लिखने के लिए उठते है तो सफलता की एक नई इबारत लिख देते है। घर गृहस्थी संभालने वाली महिलाएं घर बार का काम निपटा कर खेतों में मेहनत के मोती बो रही है। घर में पुरुष सदस्यों के अपने व्यवसाय तथा बाहर कमाने के चलते उन घरों में महिलाएं ही खेती बाड़ी की बागडोर संभाल रही है तथा खेती बाड़ी से लाखों रुपए की आमदनी कमा रही है। आधुनिक तरीके से कम पानी में खेती करना तथा उन्नत नस्ल के पशुधन से वे आबाद हो रही है।

एमए-बीए पास बहू-बेटियां खेतों से बरसा रही सोना >>

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आबूसर की बास की अनिता ने बदली खुद की तकदीर
झुंझुनूं. आबूसर का बास की अनिता ने खेतीबाड़ी व पशुपालन का नया तरीका अपना कर अपनी किस्मत बदल डाली है। अनिता ने एक दिन अखबार में जैविक खेती व डेयरी के बारे में पढ़ा तो उसे अंधेरे में रोशनी की राह नजर आई। दसवीं कक्षा पास अनिता ने वर्ष 2005 में डेयरी व 2006 में वर्मी कम्पोस्ट की यूनिट लगाई। इन पर अनिता को अनुदान भी मिला। बाद में अनिता ने उन्नत तकनीक से खेतीबाड़ी शुरू की। खेत में सौर ऊर्जा से पम्पसैट, बूंद-बूंद सिचाई पद्धति, मिनी फव्वारा पद्धति अपना कर कम पानी में अधिक पैदावार ले रही है। अनिता जैविक उत्पादों का उपयोग करते हुए वर्तमान में अपने खेती में गेहूं, जौ, मैथी, सरसों प्याज आदि की फसल ले रही है। प्याज भंडारण के लिए भंडारण कक्ष बना रखा है। इसमें वे स्वयं की प्याज की उपज रखती है साथ ही इसे अन्य किसानों को किराए पर भी देती है। अनिता डेयरी से भी लाखों रुपए कमा रही है। अनिता ने होलिस्टीन फ्रिजीयन व जर्सी नस्ल की दस गायें व दो भैंसे पाल रखी है। अनिता को उन्नत खेती पर प्रगतिशील महिला किसान के तौर पर जयपुर में तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित भी किया गया था।

पुरुषों के क्षेत्र में महिलाओं का तगड़ा दखल
नवलगढ़. आधी आबादी कही जाने वाली महिलाएं खेती बाड़ी में भी अपने परिवार लिए आय का स्त्रोत साबित हो रही है। पुरुष बाहर कमा रहे, तो महिलाएं खेती में प्रगति की कहानी लिख रही है। कई परिवारों में तो एकल महिलाएं ही खेती कर रही है। सर्दी, गर्मी हो या बरसात हर मौसम में वे खेतों को संभाल रही है। पढ़ी लिखी ये महिलाएं उन्नत किस्मों का बीज लाकर खेतों में कम लागत में अधिक मुनाफा कमा रही है। महिलाएं फसल में पानी देना हो या फिर पानी देने के लिए पाइप लाइन बदलना। हर कार्य वे अच्छी तरह से निभा रही है। कल्याणपुरा की महिला किसान बिमला ने बताया कि उनके पति सुरेन्द्र ड्राइवरी का काम करते हैं। इसके चलते खेती बाड़ी की जिम्मेदारी उन्हीं पर है। पांच बीघा जमीन में खेती का काम उसके कंधों पर ही है। वे सुबह जल्दी उठकर देर शाम तक पशुपालन के साथ ही खेतों में काम करती है। फसल में पानी देने समेत, पाइप लाइन बदलने, निनाण करने समेत अन्य कार्य वह खुद ही पूरा करती है। वहीं रंजना ने बताया कि पांच बीघा जमीन में गेहूं, जौ, सरसों समेत अन्य फसलों की खेती कर रही है। उसके पति सेना में रहने के कारण अक्सर बाहर रहते है। ऐसे में खेती का काम वह अकेले ही पूरा करती है। चाहे सर्दी हो या बरसात दोनों महिलाओं की मेहनत के बलबूते जमीन पर फसलें लहलहा रही है। ये महिलाएं खेती से अच्छा मुनाफा कमा कर परिवार को पाल रही है।

खेतीबाड़ी की कमान संभाल लाखों रुपए कमा रही
गेहूं, जौ, बाजरा की पारम्परिक खेती करने वाले किसान लीक से हटकर खेती कर मालामाल हो रहे है। अंचल की कई महिला किसान खेतीबाड़ी की कमान संभाल लाखों रुपए कमा रही है। पचलंगी गांव की गीता, गुलाबी व धापली देवी सहित अधिकांश महिलाएं लाल प्याज के बीज की खेती कर रही है। महिला किसान गीता, धापली व गुलाबी सैनी ने बताया कि प्याज बीज की खेती के लिए एक बीघा में छह-सात क्विंटल साबूत प्याज की बुवाई की जाती है। इस साबूत प्याज की लागत 25 हजार रुपए आती है। छह माह में तैयार होने वाले इस खेती से एक बीघा में किसान को एक से दो क्विंटल प्याज का बीज प्राप्त होता है। यह बीज 15 सौ से दो हजार रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बिकता है। इस प्रकार किसान एक बीघा में दो से ढाई लाख रुपए तक प्याज के बीज से मुनाफा कमा सकता है। उदयपुरवाटी पहाड़ी क्षेत्र के जहाज, मावता, बागोली, राजीवपुरा, नवलगढ़ उपखण्ड मे टोंक, छिलरी, गिरदरपुरा, चिराणा, सीकर के गुहाला, नृसिंहपुरी, डेहरा जोडी, आदि गांवों के किसान प्याज के बीज की खेती कर रहे हैं।

भंवरी व छोटी को रास आए खेत
उदयपुरवाटी. वैज्ञानिक तकनीक से कम पानी व कम समय में पकने वाली आधुनिक खेती से किसान मालामाल हो सकते है। कस्बे के जेतपुरा रोड पर पान्ना की ढाणी में रहने वाली भंवरी देवी घर की जिम्मेदारी के साथ खेती बाड़ी की जिम्मेदारी भी उठा रही है। दसवीं तक पढ़ी लिखी भंवरी देवी को बचपन से खेती से लगाव था। पहले पिता से खेती बाड़ी सीखी। बाद में पति राकेश के साथ खेतीबाड़ी करने लगी। घर संंभालने के साथ दिनभर खेत के काम मेें जुटी रहती। फसलों में दवाई का छिड़काव करना, फसलों को पानी देना, निराई गुड़ाई करना सभी काम वह स्वयं करती है। भंवरी देवी को अब खेत में काम करने में कोई परेशानी नहीं होती है। भंवरी देवी के साथ उसकी बहिन छोटी देवी भी खेतीबाड़ी कर रही है। बीए तक पढ़ी लिखी छोटी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने के साथ किसान का काम भी करती है। छोटी देवी का कहना है कि खेती करने में उसे कोई परेशानी नहीं है। बड़ी बहिन खेती के बारे में बहुत कुछ जानती है। उससे साथ खेती करना सीख रही हू।

महिलाएं सिखा रही मेहनत का ककहरा
झुंझुनूं. सफलता के खुले आसमां में कामयाबी का झंडा लहराने वाली आधी आबादी खेती में भी किसानों को खेती का ककहरा सिखा रही है। कृषि विभाग में कार्यरत महिला कृषि सुपरवाइजर, सहायक कृषि अधिकारी व कृषि अधिकारी पद पर कार्यरत कई महिलाएं किसानों को खेती बाड़ी का ज्ञान बांट रही है। किसान व विभाग के बीच योजक कड़ी का काम करने वाले कृषि सुपरवाइजर किसानों तक कृषि की नई योजनाओं की जानकारी पहुंचा रही है। जिले में कई प्रगतिशील महिला किसान कृषि विभाग द्वारा प्रगतिशील किसान के सम्मान से सम्मानित भी हो चुकी है। जिले में महिलाएं खेती खलिहानों को नईदिशा दे रही है। इसमें कृषि विभाग की महिला अधिकारी किसानों को जमीनी स्तर पर जाकर खेती का ज्ञान बांटने का काम कर रही है। हम हर स्तर पर खेती की नई तकनीक को लैब से खेतों तक पहुंचाने का प्रयास करते है।

आधुनिक तरीके से बढ़ा रहे मुनाफा
सुलताना. अब पढ़ी लिखी महिलाएं भी आधुनिक खेती में अपना हुनर दिखा रही है। किशनपुरा गांव की 12 वीं तक पढ़ी सरोज सैनी ने खेती बाड़ी के साथ बागवानी में अपनी किस्मत आजमाईतो निहाल हो गई। बागवानी से सरोज को कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा हुआ। फिलहाल सरोज ने अपने खेत में सरसों ,गेंहू के अलावा चार बीघा में लहसुन, प्याज, मटर टिंडा की फ सल बो रखी है। सरोज ने बताया की वह सुबह दो घंटे और शाम दो घंटे बागवानी के लिए निकालती है। खेती में जैविक खाद का प्रयोग करती है। इससे फसलों के उत्पादन में अच्छी बढ़ोतरी हुई। सरोज खेती में वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल कर रही हैं। वे प्रतिवर्ष अपने खेत की मिट्टी जांच करवाती हैं। वे बताती हैं की मृदा जांच भी पैदावार बढ़ाने में सहायक है। सरोज गांव की अन्य महिलाओं को भी खेती की नवीनतम तकनीक और अच्छी किस्म वाले बीजों की जानकारी दे रही है।

पढ़ लिखकर बदल रही तस्वीर
सूरजगढ़. पढ़ी लिखी महिलाएं अपने ज्ञान से खेती की तस्वीर बदल रही है। नई तकनीक, नया ज्ञान व अपने अनुभव से ये महिलाएं खेती को मुनाफे का सौदा बना रही है। पढ़ी लिखी बहु बेटियां ने केवल खेती बाड़ी के कार्य में पुरुषों का हाथ बटा रहीं है, वहीं कई महिलाएं खेती की पूरी जिम्मेदारी संभाल रही है। ये महिलाएं खेतों में बिजाई से लेकर बीज उत्पादन तक के काम बखूबी कर रही है।बीए पास मंजू सैनी पूरे परिवार के साथ मिलकर खेती को नए व वैज्ञानिक तरीके से करवा रही है। उसने बताया कि क्षेत्र में पानी की कमी के चलते कम समय व कम पानी में तैयार होने वाली फसलों को वे प्राथमिकता दे रही है। मंजू की बड़ी बहिन चमेली एमए पास है। वह भी खेती को नया आयाम दे रही है। कस्बे के वार्ड दो निवासी सुमन ने बताया कि उसकी सुबह खेत से शुरू होती है शाम खेती के साथ अस्त हो जाती है। वह पूरे दिन पशुपालन व खेती बाड़ी में ही लगी रहती है।

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