राजस्थान में प्राइवेट नौकरी छोड़कर उत्तराखंड के भगवती प्रसाद थपलियाल ने अपनी जन्मभूमि के लिए कुछ करना चाहा और बिजली बनाने का बिजनेस शुरू किया। उत्तराखंड में डिम्मरसैंण गांव के भगवती प्रसाद थपलियाल ने जिले में पहला ग्रिड फिटिंग वाला पावर प्लांट स्थापित कर इससे बिजली उत्पादन शुरू किया। भगवती इस प्लांट से प्रतिदिन 50 यूनिट बिजली का उत्पादन कर माह में दस हजार तक कमा रहे हैं।
15 वर्षों से राजस्थान में प्राइवेट कंपनी में जॉब कर रहे भगवती प्रसाद थपलियाल को लगा कि दूसरे के अधीन रह कर वह अपने सपनों को पंख नहीं लगा सकते हैं। ऐसे में नौकरी छोड़कर वह गांव आ गए। अगस्त में उन्होंने उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) के अधिकारियों से संपर्क किया और स्वरोजगार के टिप्स लिए। उरेडा के अधिकारियों ने उन्हें जवाहर लाल नेहरू सोलर मिशन के तहत अपने घर पर ही सोलर पावर प्लांट स्थापित करने के बारे में बताया। उरेडा विभाग की ओर से 30 फीसदी अनुदान पर थपलियाल ने अक्तूबर में घर पर 10 किलोवाट का सोलर पावर प्लांट स्थापित किया। इसमें करीब आठ लाख का खर्च आया। वर्तमान में प्लांट से प्रतिमाह 1500 यूनिट बिजली उत्पादित हो रही है। इसे यूपीसीएल के ग्रिड पर सप्लाई किया जा रहा है। अब थपलियाल पावर प्लांट की क्षमता बढ़ाकर 100 किलोवाट कर रहे हैं। उससे उन्हें प्रतिमाह करीब पांच लाख की आय अर्जित होगी।
भगवती प्रसाद का कहना है कि मैं राजस्थान में प्राइवेट नौकरी करता था। वहां मेरा मकान भी था। अपनी थाती अपनी माटी से जुड़ने की ललक मेरे मन में जगी और मैं परिवार सहित गांव लौट आया। उन्होंने बताया कि उरेड़ा के अधिकारियों से स्वरोजगार के बारे में जानकारी ली और सोलर पावर प्लांट स्थापित किया। अभी 10 किलोवाट का प्लांट लगाया है। भविष्य में 100 किलोवाट का प्लांट लगाने की योजना है। उरेडा के परियोजना प्रबंधक प्रमोद कुमार गंगवार का कहना है कि यह जिले का पहला प्लांट है। अन्य ग्रामीणों को भी ऐसे प्लांट स्थापित कर स्वरोजगार स्थापित करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। सोलर पावर प्लांट से गर्मियों में बिजली उत्पादन बढ़ जाता है। इससे प्लांट मालिक अच्छी-खासी आर्थिकी जुटा लेता है।