दोस्तों कई बार हमने देखा है कि दो अलग अलग प्रजाति के जानवरों में भी इतना प्रेम और सदभाव हो जाता है कि वो एक दुसरे को बहुत प्रेम करने लगते है, ऐसा हम गाय-शेर, गाय-बिल्ली के बीच कई बार देख चुके है. आज आपको एक ऐसे गोपालक बंदर से मिलवाते है जो हर रोज करीब 150-200 गाय को चराकर लाता है.
ऐसा लगता है जैसे ये बंदर अपने पिछले जन्म में अधूरे कार्य को पूरा कर रहा है
ये बंदर एक नंदी के साथ गले लग कर सोता है, सुबह गाय चरने जाने से पहले एक थैले में खाना बांधकर ले जाता है और शाम को थैला वापस लाता है. गायो को आपस में लड़ने से रोकता है और सबको अनुशासन में रखता है. निष्कर्ष यह की बिना किसी प्रशिक्षण यह वानर पिछले जन्म के अधूरे गोसेवा के कार्यो को इस जन्म में पूरा करने में लगा है।