लाखों का पैकेज छोड़कर सिखा रहे खेती, फ्रांस से करके आए थे पढ़ाई

18980

जशपुर. नैनो टेक्नालॉजी में मास्टर डिग्री, बेल्जियम और फ्रांस में तीन सालों तक थर्ड जेनरेशन सोलर सेल पर रिसर्च, कार्बन नैनो ट्यूब पर अंतरराष्ट्रीय स्तर की शोध। इस तरह के शानदार कैरियर वाले रिसर्चर समर्थ जैन 36 लाख रुपए सालाना की नौकरी को छोड़कर जशपुर जैसे पिछड़े और आदिवासी इलाके में किसानों को वैदिक खेती सिखा रहे हैं। समर्थ कहते हैं कि सब्जी की खेती करते वक्त अगर आप खेत की मेढ़ पर सरसों लगा दें, तो सब्जी में कीड़े लगेंगे ही नहीं। भिंडी जैसी फसलों के खेत में एक लाइन गेंदे के फूलों की लगा दीजिए। फूल तो मिलेंगे ही फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीट-पतंगे गेंदे के फूलों में ही उलझे रहेंगे।

भिंडी या बाकी सब्जियों को भूल जाएंगे। नीम और सरसो को मिलाकर ऐसा कीटनाशक तैयार होता है, जो हर बीमारी के लिए रामबाण है। प्राचीन वेदों और ग्रंथों में खेती, बीज उपचार और खाद तैयार करने के उल्लेखित ऐसे ही तरीकों का प्रयोग वह आज करके दिखा रहे हैं।

दिल्ली में पढ़ाई और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, नेशनल फिजिकल स्टेट लेबोरेटरी दिल्ली, भाभा एटॉमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट के साथ समर्थ ने काम किया। बेल्जियम और पेरिस में नई टेक्नालॉजी पर रिसर्च किया। उनके पिता आनंद जैन ने बेटे को खुद के कारोबार और नौकरी के लिए आजादी दी। फौज में काम कर चुके पिता का जशपुर में पेट्रोल पंप है। समर्थ ने खेत में ही गोबर गैस का प्लांट लगा लिया। घर के अलावा अड़ोस-पड़ोस के लोगों को भी खाना पकाने के लिए गैस मुफ्त में मिलने लगी। आज वह हर रोज 200 से 230 लीटर दूध का उत्पादन कर रहे हैं। खेतों में वे एक खास तरह की फसल लेते हैं, जो चारे की जरूरत पूरी करने के अलावा मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ा देती है।

3 से 4 लाख की कमाई 
सवा साल के अंदर स्थिति यह है कि खेती की जरूरत का सारा सामान उनको खेत से ही मिलने लगा है। मिर्च और केले की खेती से हर सीजन में उनको 3 से 4 लाख रुपए की कमाई हो जाती है। गांव और आसपास के इलाकों के किसानों को वह सस्ती आर्गेनिक खेती की ट्रेनिंग देते हैं। उनकी देखा-देखी कई दोस्तों और किसानों ने जैविक खेती का रुख कर लिया है। समर्थ ने बताया कि उनके पास बहुत सीमित संसाधन हैं, इसलिए आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने की उनकी कोशिश की रफ्तार भी धीमी है।

समर्थ के सोलर सेल पारदर्शी होंगे, कपड़ों पर पहने जा सकेंगे 
बेल्जियम के माइक्रो नैनो इलेक्ट्रॉनिक रिसर्च सेंटर बेल्जियम में उन्होंने थर्ड जेनरेशन सोलर सेल टेक्नालॉजी पर शोध पूरी की। इसका प्रोटोटाइप पिछले साल ही तैयार हो चुका है। समर्थ ने बताया कि थर्ड जेनरेशन सोलर सेल में चांदी, सिलीकॉन की जगह एल्युमीनियम प्रयोग होगा। ये सेल डेढ़ माइक्रॉन पतले होंगे यानि हमारे सिर के बालों से भी पतले। लगभग पारदर्शी इन सेलो को शर्ट, टोपी, बिल्डिंग के ऊपर लगाया जा सकेगा। एक वर्ग मीटर में लगे सोलर सेल 50 से 60 वर्ग मीटर तक फैले सोलर सेल की तरह की काम करेंगे। यानि जगह कम घिरे गी, पर बिजली 50 से 60 गुना ज्यादा पैदा होगी। इसके पेटेंट के लिए उन्होंने फ्लोरिडा में रिपोर्ट फाइल की है।

10-20 साल लगेंगे बाजार में आने में समर्थ का कहना है कि इस टेक्नालॉजी को बाजार में आने में 10 से 20 साल लग जाएंगे, क्योंकि बड़ी कंपनियां पहले अपने हित देखती हैं। एलईडी टेक्नालॉजी पर 20 साल पहले ही रिसर्च पूरी हो चुकी थी, पर यह तकनीक बाजार में अब जाकर आई।

छह दिन पहले दिया रिसर्च पेपर 
खेती के साथ-साथ उनकी रिसर्च भी चल रही है। छह दिन पहले ही उन्होंने कार्बन नैनो ट्यूब पर यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन को अपना रिसर्च पेपर दिया है। दिल्ली में नैनो टेक्नालॉजी पर मास्टर्स डिग्री लेने के बाद समर्थ ने एनर्जी एफिशियंट फर्नेस पर रिसर्च शुरू की थी।

 केले की खेती से शुरुआत, दूध उत्पादन भी बढ़ा 
डेढ़ साल बेल्जियम में रहे समर्थ ने देखा था कि वहां किसान को अमीर माना जाता है। जब अपने घर जशपुर आते थे, तो तस्वीर उल्टी दिखती थी। सो फैसला किया कि खेती में ही कुछ किया जाए। 10-12 एकड़ की पुश्तैनी जमीन पर केले की खेती शुरू की। लैपटॉप पर रात में वे सिम्युलेशन टेक्नीक की मदद से रिसर्च करते, दिन में खेती। आर्गेनिक खेती में प्रयोग किए। गोबर खाद, वर्मी कंपोज्ड, पानी की मात्रा घटा या बढ़ाकर सिंचाई की। एक-दो साल बाद उत्पादन तेजी से बढऩे लगा। दूध की जरूरत पूरी करने खेत में ही डेयरी चालू कर दी।

विदेशी संस्थानों में भी चल रहे शोध 
26 साल के समर्थ का कहना है कि खाद तैयार करने, जमीन की उर्वरा शक्तिबढ़ाने की ढेर सारी बातें हमारे वेद-पुराणों में सैकड़ों, हजारों सालों से हैं। पर हम उसे भूल गए हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी समेत कई विदेशी संस्थाओं में इसी ज्ञान पर शोध चल रहे हैं।