बंद करो RO का प्रयोग, आपको बेवकूफ बनाया जा रहा है, जानिए सच्चाई

361445

दोस्तों जीवन की 3 मूल आवश्यकताओं में से 1 है जल यानि पानी | इसके बिना कोई भी प्राणी अपने प्राण नहीं बचा सकता.. इस जल को विकासवाद ने जितना दूषित किया है उससे आज हमारे सामने समस्याओं का बिमारियों का अम्बार खड़ा हुआ है. 1 दिन भी हम जल पिए बिना नहीं रह सकते, यह सत्य है और एक दिन में ही हम कितना सारा जल पि जाते हैं.

दोस्तों पूरी पोस्ट ध्यान से पढ़े

अगर ये कहा जाए कि जिंदगी में पानी के बिना कुछ भी संभव नहीं है, तो गलत नहीं होगा। प्यास बुझाने के अलावा, खाना बनाने जैसे तमाम काम पानी के बिना संभव नहीं हैं। कई लोगों की नजर में पानी की शुद्धता जरूरी नहीं होती। लेकिन आपकी यह सोच आपके और आपके परिवार के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। नहाने के पानी से लेकर पीने के पानी तक की शुद्धता मायने रखती है। जहां अशुद्ध पानी पीने से असंखय रोगों को निमंत्रण मिलता है,

वहीं अशुद्ध पानी से त्वचा संबंधी बीमारियों को न्योता मिलता है। अगर आंकड़ों की मानें, तो पीने के पानी में 2,100 विषैले तत्व मौजूद होते हैं। ऐसे में बेहतरी इसी में है कि पानी का इस्तेमाल करने से पहले इसे पूरी तरह से शुद्ध कर लिया जाए, क्योंकि सुरक्षा में ही सावधानी है। लेकिन विकासवाद की अंधी दौड़ में हमने इस और ध्यान ही नहीं दिया की हम कौनसा जल पि रहे हैं, कौनसा पीना चाहिए और हमारे शरीर में जो नई बीमारियाँ हैं कहीं उनका कारण यह दूषित जल तो नहीं.

पहला प्रशन ?  हम कौन-सा जल पी रहे हैं ?

R.O का पानी, किसी कम्पनी ने अपने उत्पाद बेचने के लिए बिकाऊ मीडिया के साथ मिलकर R.O. की झूठी मनगड़ंत कहानी क्या सुनाई, सारी दुनिया भेडचाल में पागल हो गयी और सबने लगवाया लिया यह सिस्टम. सब अपने आप में एक्सपर्ट बन बैठे की इतने TDS का पानी सही, इतने TDS गलत. RO ये कर देगा RO वो कर देगा. फुल बकवास.. अरे मेरे भाई यह तो सोच लेते, की जब RO नहीं था तब क्या लोग ज्यादा बीमार थे , पिने को शुद्ध पानी नहीं मिलता था.

अब कुछ मुर्ख यह तर्क देंगे की अब पानी ज्यादा गन्दा हो गया इसलिए RO की जरुरत पड़ी.. पहली बात तो मेरे महान ज्ञानियों इस बात को समझो की पानी कितना ही गन्दा हो जाए उसके लिए हमारे पास मुफ्त जी हाँ बिलकुल मुफ्त की तकनीक है तो उसे छोड़कर आप सब क्यूँ पागल बने डोल रहे हो.. और अभी भी RO से विश्वास नही टूट रहा हो तो जान लो यह सब बातें..

Ro water is very harmfull for our body WHO report About RO water1

यह भी जान लो की कल भी यह WHO था जब RO WATER को शुद्ध कहकर बिकवाया था. आज भी वही WHO है जो उल्टा कह रहा.. तो पहले सच बोला या अब बोला यह आप ही तय करो..

अब बात बोतलबंद पानी की।

वैश्विक स्तर पर देखा जाए तो बोतलबंद पानी का कारोबार खरबों में पहुंच गया है। शुद्धता और स्वच्छता के नाम पर बोतलों में भरकर बेचा जा रहा पानी भी सेहत के लिए खतरनाक है। यह बात कई अध्ययनों में उभरकर सामने आई है। इसके अलावा बोतलबंद पानी के इस्तेमाल के बाद बड़ी संख्या में बोतल कचरे में तब्दील हो रहे हैं और ये पर्यावरण के लिए गंभीर संकट खड़ा कर रहे हैं।

अमेरिका की एक संस्था है नेचुरल रिसोर्सेज डिफेंस काउंसिल। इस संस्था ने अपने अध्ययन के आधार पर यह नतीजा निकाला है कि बोतलबंद पानी और साधारण पानी में कोई खास फर्क नहीं है। मिनरल वाटर के नाम पर बेचे जाने वाले बोतलबंद पानी के बोतलों को बनाने के दौरान एक खास रसायन पैथलेट्स का इस्तेमाल किया जाता है। इसका इस्तेमाल बोतलों को मुलायम बनाने के लिए किया जाता है। इस रसायन का प्रयोग सौंदर्य प्रसाधनों, इत्र, खिलौनों आदि के निर्माण में किया जाता है। इसकी वजह से व्यक्ति की प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ता है। बोतलबंद पानी के जरिए यह रसायन लोगों के शरीर के अंदर पहुंच रहा है।

बोतल बंद पानी पर भारत के सबसे बड़े रिसर्च सेण्टर की ये रिपोर्ट भी देखे >>

यह रसायन उस वक्त बोतल के पानी में घुलने लगता है जब बोतल सामान्य से थोड़ा अधिक तापमान पर रखा जाता है। ऐसी स्थिति में बोतल में से खतरनाक रसायन पानी में मिलते हैं और उसे खतरनाक बनाने का काम करते हैं। अध्ययनों में यह भी बताया गया है कि चलती कार में बोतलबंद पानी नहीं पीना चाहिए। क्योंकि कार में बोतल खोलने पर रासायनिक प्रतिक्रियाएं काफी तेजी से होती हैं और पानी अधिक खतरनाक हो जाता है।

National Green Tribune भी सरकार को RO बैन करने के लिए कह चूका है, लेकिन इनको बनाने और बेचने वालों की पहुच इतनी है कि सरकार कुछ कर नही रही है. 

Source – Navbharat Times Delhi

बोतल बनाने में एंटीमनी नाम के रसायन का भी इस्तेमाल किया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि बोतलबंद पानी जितना पुराना होता जाता है उसमें एंटीमनी की मात्रा उतनी ही बढ़ती जाती है। अगर यह रसायन किसी व्यक्ति की शरीर में जाता है तो उसे जी मचलना, उल्टी और डायरिया जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इससे साफ है कि बोतलबंद पानी शुद्धता और स्वच्छता का दावा चाहे जितना करें लेकिन वे भी लोगों के लिए परेशानी का सबब बन सकती हैं।

बोतलबंद पानी के खतरनाक होने की पुष्टि कैलीफोर्निया के पैसिफिक इंस्टीटयूट के एक अध्ययन से भी होती है। इस संस्थान ने अध्ययन करके यह बताया है कि 1990 से लेकर 2007 के बीच कम से कम एक सौ मौके ऐसे आए जबं बोतलबंद पानी बनाने वाली कंपनियों ने ही अपने उत्पाद को बाजार से हटा लिया। वह भी बगैर उपभोक्ताओं को सूचना दिए। कंपनियों ने ऐसा इसलिए किया कि इन मौकों पर बोतलबंद पानी प्रदूषित था।

इसके अलावा बोतलबंद पानी तैयार करने में भारी मात्रा में जल की बर्बादी हो रही है। एक लीटर बोतलबंद पानी तैयार करने में दो लीटर सामान्य पानी खर्च होता है। यानी एक तरफ तो जल संरक्षण की बात चल रही है और दूसरी तरफ शुद्ध पेयजल तैयार करने के नाम पर पानी की बर्बादी की जा रही है। पानी की बर्बादी शुद्ध पेयजल देने वाली मशीनें भी भारी मात्रा में कर रही हैं। बोतलबंद पानी तैयार करने के नाम पर भूजल का दोहन जमकर किया जा रहा है। इसके बावजूद जो पानी तैयार हो रहा है वह स्वच्छ नहीं है।

हम तो आपको भारतीय संस्कृति और विज्ञान पर आधारित पानी शुद्ध करने का तरीका बता रहे हैं जिसमे न मुझे आपको कोई RO बेचना न ही मुझे आपसे कोई फायदा होगा

शुद्ध पेयजल स्वास्थ्य का मूलाधार है। बचपन में अच्छे पोषण और विकास के लिये शुद्ध पेयजल बिलकुल जरुरी है। अतिसार, दस्त, पीलिया, पोलिओ आदि अनेक रोग अशुद्ध पेयजल से फैलते है। इन रोगों से सभी को नुकसान होता है लेकिन बच्चों का कुछ ज्यादा ही नुकसान होता है। शुद्ध पेयजल से यह सारा नुकसान हम टाल सकते है और दवाओं का खर्चा भी। सामुदायिक पेयजल प्रावधान अच्छा हो तब भी घरेलू सुरक्षा बरतना जरुर है। इसके लिये अनेक पद्धती और तरीके उपलब्ध है।

हमें कौनसा जल पीना चाहिए और कैसे करें उसको शुद्ध  >>

पुराने जमाने से चली आ रही यह तकनीक सफ़ेद सूती कपडा लीजिये (2-4 लेयर्स) जितना गन्दा पानी उसके अनुसार उस पानी को इस कपडे से छानिये, इससे आपके पानी में मोटे कण व् गंदगी समाप्त होगी. अब उस पानी को उबालिए अच्छे से (इससे उसके वायरस कीटाणु इत्यादि समाप्त हो जायेंगे) फिर सामान्य तापमान पर ठंडा होने रख दीजिये. पानी तो वैसे शुद्ध हो चूका है और बिलकुल उपयुक्त है अब पिने के लिए लेकिन आप चाहें तो इसे और अच्छा (मिनरल वाटर) बना सकते हैं. तुलसी के पत्ते पानी में डालकर रखें.

जहाँ भी तुलसी का पौधा होता है, उसके आसपास का 600 फुट का क्षेत्र उससे प्रभावित होता है, जिससे मलेरिया, प्लेग जैसे कीटाणु नष्ट हो जाते हैं. इस पानी को ताम्बे के बर्तन में भरकर रखें. इस पानी को ट्रांसपेरेंट बर्तन में धुप में रखें जिससे पानी में क्रिस्टल्स बनेंगे और पानी की गुणवत्ता बढ़ जाएगी. पानी के बर्तन में सूती कपडे में कोयला या भारतीय देसी गाय के गोबर की जली हुई राख को बांधकर रखें.

कार्बन सारा गंद अपने और खिंच लेगा. क्या आप जानते हो की जो water purifier सिस्टम आपके घर में लगा हुआ है उसमे भी यही कोयले की तकनीक इस्तेमाल की जाती है ? कृपया अपनी कैंडल को तोड़कर देखिये और जानिये इस सत्य को.. अब अगर आपको शुद्ध पानी चाहिए और बिमारियों से बचना है तो यह कार्य अपने प्रतिदिन के कार्य में जोडीये और स्वस्थ रहिये..

अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगी तो जन-जागरण के लिए इसे अपने Whatsapp और Facebook पर शेयर करें