अगर आप भी सोयाबिन खाते है तो आज ही बंद कर दे क्योकि ..

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मित्रो आज से 40-45 वर्ष पहले भारत मे कोई सोयाबीन नहीं खाता था ! फिर इसकी खेती भारत मे कैसे होनी शुरू हुई ??  ये जानने से पहलों आपको मनमोहन सिंह द्वारा किए गए एक समझोते के बारे मे जानना पड़ेगा ! मित्रो इस देश मे 1991 के दौर मे Globalization के नाम पर ऐसे-ऐसे समझोते हुये कि आप चोंक जाएंगे ! एक समझोते के कहानी पढ़ें बाकि विडियो में है ! तो समझौता ये था कि एक देश उसका नाम है होललैंड और वहां के सुअरों का गोबर (टट्टी) वो भी 1 करोड़ टन भारत लाया जायेगा ! और डंप किया जायेगा ! ऐसा समझोता मनमोहन सिंह ने एक बार किया था !  जब मनमोहन सिंह को पूछ गया के यह समझोता क्यूँ किया ???? तब मनमोहन सिंह ने कहा होललैंड के सुअरों का गोबर (टट्टी) quality में बहुत बढ़िया है ! फिर पूछा गया कि अच्छा ये बताये की quality में कैसे बढ़िया है ??? तो मनमोहन सिंह ने कहा कि होललैंड के सूअर सोयाबीन खाते है इस लिए बढ़िया है !!

मित्रो जैसे भारत में हम लोग गाय को पालते है ऐसे ही हालेंड के लोग सूअर पालते है वहां बड़े बड़े रेंच होते है सुअरों कि लिए ! लेकिन वहाँ सूअर मांस के लिए पाला जाता है ! सूअर जितना सोयाबीन खाएगा उतना मोटा होगा, और उतना मांस उसमे से निकलेगा ।  तो फिर मनमोहन सिंह से पूछा गया की ये हालेंड जैसे देशो मे सोयाबीन जाता कहाँ से है ???  तो पता चला भारत से ही जाता है !! और मध्यपरदेश मे से सबसे ज्यादा जाता है !!!

मित्रो पूरी दुनिया के वैज्ञानिक कहते है अगर किसी खेत में आपने 10 साल सोयाबीन उगाया तो 11 वे साल आप वहां कुछ नहीं उगा सकते ! जमीन इतनी बंजर हो जाती है ! अब दिखिए इस मनमोहन सिंह ने क्या किया ! होललैंड के सुअरों को सोयाबीन खिलाने के लिए पहले मध्यप्रदेश में सोयाबीन कि खेती करवाई ! खेती कैसे करवाई ?? किसानो को बोला गया आपको सोयाबीन की फसल का दाम का ज्यादा दिया जाएगा ! तो किसान बेचारा लालच के चक्कर मे सोयाबीन उगाना शुरू कर दिया! और कुछ डाक्टरों ने रिश्वत लेकर बोलना शुरू कर दिया की ये सेहत के लिए बहुत अच्छी है आदि आदि !

तो इस प्रकार भारत से सोयाबीन होलेंड जाने लगी ! ताकि उनके सूअर खाये उनकी चर्बी बढ़े और मांस का उत्पादन ज्यादा हो ! और बाद मे होललैंड के सूअर सोयाबीन खाकर जो गोबर (टट्टी) करेगे वो भारत में लाई जाएगी ! वो भी एक करोड़ टन सुअरों का गोबर(टट्टी ) ऐसा समझोता मनमोहन सिंह ने लिया ! और ये समझोता एक ऐसा आदमी करता है जिसको इस देश में Best Finance Minster का आवार्ड दिया जाता है !  और लोग उसे बहुत भारी अर्थशास्त्री मानते है !! शायद मनमोहन सिंह के दिमाग में भी यही गोबर होगा !

सोयाबीन हमारे स्वास्थय के लिए हानिकारक है. सोयाबीन दाल के रूप में या तेल के रूप में शरीर को कभी भी हजम नही होता. राजीव जी ने सोयाबीन के बारे में कई बातें बताई. सोयाबीन का आप कुछ भी खाएं शरीर उसको हजम नहीं कर सकता. क्योंकि सोयाबीन को पचाने के लिए जो कुछ भी एंजाइम्स चाहिए वह हमारे शरीर में नहीं होते. उन्होंने आगे बताया कि सोयाबीन को पचाने की ताकत सिर्फ डुक्कर (सुवर) में हैं. और किसी में नहीं है. डुक्कर के पेट में एक एंजाइम्स बनता है जो सोयाबीन को पचा सकता है. बाकी किसी के शरीर में ऐसा एंजाइम्स नहीं है.

आप कहेंगे के सोयाबीन में तो प्रोटीन होता है. लेकिन सोयाबीन और उसके प्रोटीन को पचा सके ऐसे एंजाइम्स ही हमारे शरीर में नहीं है. इसी लिए मनुष्यों को सोयाबीन का तेल, सोयाबीन की दाल, सोयाबीन का दूध या फिर सोयाबीन का कुछ भी नहीं खाना चाहिए. कितना भी सस्ता मिले फिर भी कभी भी मत खाना. मूंगफली का तेल हो, तील का तेल हो, सूरजमुखी का तेल हो या फिर सरसों का तेल हो, ऐसे तेल भले कितने भी महेंगे हो जाये, लेकिन खाने में ऐसे ही तेल का इस्तेमाल करे. इनमे से कोई भी तेल खाइए लेकिन शुद्ध तेल ही खाइए. वेजिटेबल ऑयल भी एक प्रकार ऑयल ही है, लेकिन उसे नहीं खाना चाहिए. ऐसे तेल डालडा, तरँग, नंबर 1 जैसे कई और नामो से बेचे जाते है. ऐसे सब तेल खाना स्वास्थ्य के लिए खतरा है, जहर है. तेल खाना हो तो शुद्ध तेल खाना, रिफाइंड तेल भी कभी मत खाना. तेल जितना रिफाइंड होता है, उतना ही जहर उसमे बढ़ता जाता है.

मित्रो दरअसल सोयाबीन मे जो प्रोटीन है वो एक अलग किस्म का प्रोटीन है उस प्रोटीन को शरीर का एसक्रिटा system बाहर नहीं निकाल पाता और वो प्रोटीन अंदर इकठ्ठा होता जाता है ! जो की बाद मे आगे जाकर बहुत परेशान करता है ! प्रोटीन के और भी विकल्प हमारे पास है ! जैसे उरद की दाल मे बहुत प्रोटीन है आप वो खा सकते है ! इसके अतिरिक्त और अन्य दालें है !! मूँगफली है,काला चना है आदि आदि । और अंत मे एक और बात मित्रो आपके घर मे अगर दादी या नानी हो तो आप उन्हे पूछे की क्या उनकी माता जी ने उनको कभी सोयाबीन बनाकर खिलाया था ??  आपको सच सामने आ जाएगा !

इस विडियो में देखिए सोयाबीन की सच्चाई >>

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