गांववालों के लिए नौकरी छोड़ कर भ्रष्टाचार से लड़ता है ये शख्स !!

4637

हम सब सरकार और भ्रष्टाचार को लेकर तंज कसते हैं, मगर असल में हमने इसके लिए कभी कुछ किया नहीं। हम भले ही कितने बड़े देशभक्त क्यों न हों पर हम कभी एक-दूसरे की मदद के लिए आगे नहीं आते। हालातों के आगे एक शख्स ने हार नहीं मानी। उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव से आने वाला यह शख्स अपने गांव में भ्रष्टाचार से लड़ रहा है।

हम बात कर रहें के. एम. यादव की जो नागरिकों के आरटीआई यानी सूचना के अधिकार के लिए लड़ रहे हैं।

3-rti

2005 के बाद से आरटीआई भ्रष्टाचार से लड़ने में एक बड़ी सफलता बन कर सामने आया है। नागरिकों की मदद से आरटीआई ने बड़े-बड़े खुलासे किए हैं। भ्रष्टाचार और घोटालों से जुड़े कानूनों में आरटीआई का अहम योगदान रहा है। इसके जरिए नागरिक सरकार और सिस्टम से सवाल कर सकते हैं।

2-rti

उत्तर प्रदेश के चौबेपुर गांव में आप देश के बड़े आरटीआई कार्यकर्ता से मिल सकते हैं, वो भी एक चाय की छोटी-सी दुकान पर,  मगर यह सिर्फ़ एक टी-स्टॉल नहीं है। इस स्टॉल से ही यादव बाबू अपनी ऑफिस भी चलाते हैं, जहां से वो अपने गांववालों को आरटीआई के ‘हथियार’ की ट्रेनिंग दे रहें हैं ताकि वो सरकारी जानकारी से अपने अधिकार और सुविधाओं के बारे में जान सकें। दबे स्वर में ही सही, उनकी आवाज दूर तक जाती है। यादव जी 2010 से ही आरटीआई से जुड़े हुए हैं। उन्होंने जल्द ही समझ लिया की इस कानून की गांवों में सख्त जरूरत है।

उन्होंने अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर कानपुर से एक छोटे से गांव के एक कमरे में आ गए। यादव ने चाय की दुकान से ही लोगों से अपील की कि वो आरटीआई के ज़रिए अपने अधिकारों को जानें और समझें। यादव अब तक 800 से ज्यादा आरटीआई का जरिया बन चुके हैं। इससे गांव के लोगों की जिंदगी में काफी सुधार आया है। चौबेपुर और आस-पास के गांवों के लोग के.एम. यादव को ‘सूचना सैनिक’ और ‘मॉडर्न महात्मा गांधी’ कहते हैं।

यादव ने फसल की कीमत, कानून, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, जैसे कई मसलों पर काम किया। मगर बीबीसी को दिए अपने इंटरव्यू में अपने काम के बारे में वो सिर्फ़ यही कहते हैं,

“मैं सिर्फ एक कार्यकर्ता हूँ, जो लोगों की समस्या सुलझाने में उनकी मदद कर रहा है। अधिकतर मामलों में मैं सरकार पर दबाव बनाने में कामयाब हुआ क्योंकि मेरे पास जानकारी थी।”

वो सिर्फ़ गांव वालों की मदद नहीं करते, बल्कि वो खुद भी 200 आरटीआई दायर कर चुके हैं, जिनमें स्कूली फंड, सड़क निर्माण और पीने के पानी की समस्या मुख्य है। उम्मीद है कि अब वो रुकेंगे नहीं…

अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगी तो जन-जागरण के लिए इसे अपने Whatsapp और Facebook पर शेयर करें