ये दुनिया की सर्वोतम औषधि है, Indian Army भी इसे इस्तेमाल करती है

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गेंदे का फूल जिसको मराठी में जेंडू कहते है. गेंदे के फूल को दुनिया में सर्वोतम ओषधि में गिना जाता है, ये बहुत ही अच्छी ओषधि है, इसमे इतनी ताकत है कि ये गंभीर से गंभीर चोट को भी ठीक कर देता है. आपको याद होगा कि अभी थोड़े समय पहले कारगिल का युद्ध हुआ, उस कारगिल युद्ध में भारत में 680 सैनिक शहीद हुए और 1200-1300 सैनिक घायल हुए थे. इनमे किसी को गोली लगी थी, किसी को बम लगा था जिसके परिणाम सवरूप सबको बहुत ज्यादा घाव हो गए थे.

आप किसी भी मिलट्री हॉस्पिटल में जायेंगे तो आप देखेगे कि जिन सैनिको को गोली आदि से घाव होते है उनको वहा के डॉक्टर यही गेंदे के फूल का रस सैनिको को दिया जाता है. और उनके घाव पर गेंदे के फूल की चटनी बनाकर उसको घाव पर लगाया जाता है, इस गेंदे के फूल की चटनी को अगर घाव पर लगाया जाए तो बड़े से बड़ा घाव ठीक हो सकता है. और अगर आप ये गेंदे का रस साथ में पीने को दिया जाए तो घाव और जल्दी ठीक होता है.

कारगिल युद्ध में जितने भी भारतीय सैनिक घायल हुए थे, या जिनको चोंटे आई थी उन सबको यही इलाज दिया गया था, और इसके बहुत अच्छे परिणाम आए थे. इस गेंदे के फूल को हमसे अपने घर में रखे. आजकल तो घर के गमले में भी लोग गेंदे के फूल का पौधा लगाने लगे है, आप भी लगा लीजिए. ये फूल किसी भी प्रकार की चोंट में अद्बुत काम करता है. गेंदे का फूल दुनिया का सबसे बड़ा एंटीसेप्टिक है. इससे अच्छा एंटीसेप्टिक पूरी दुनिया में कोई नहीं है.

और अगर आप गेंदे के फूल की चटनी और कच्ची हल्दी के रस को आपस में मिलाए तो ये बिलकुल सोने पे सुहागे जैसा हो जाता है. बहुत ही अद्बुत कोम्बीनेशन है गेंदे के फूल और हल्दी का, ख़राब से ख़राब घाव हो या पूरा शरीर सड गया हो उसपर पर लगा दीजिये बहुत ही अच्छे रिजल्ट देगा. राजीव भाई ने इस दवा का उपयोग कोड़ीयों पर किया था, कोड़ी तो आप समझते ही होंगे जिनका शरीर घलना शुरू हो जाता है. उनके शरीर के गले हुए अंगो पर जब राजीव भाई ने इसको लगाया तो उनका शरीर गलना बंद हो गया और धीरे धीरे ठीक हो गया.

गेंदे के फूल का सबसे बड़ा उपयोग ये है कि शरीर के बाहर किसी भी तरह का घाव या चोट हो, गोली लग गई हो, बम लग गया हो, एक्सीडेंट हो गया हो, उसके घाव को जल्दी भरना हो उसकी सबसे अच्छी ओषधि ये गेंदे का फूल है.

विडियो में देखिए इसको कैसे प्रयोग किया जाता है >>

मित्रो कई बार चोट लग जाती है और कुछ छोटे बहुत ही गंभीर हो जाती है। और अगर किसी डाईबेटिक पेशेंट( शुगर का मरीज ) है और चोट लग गयी तो उसका सारा दुनिया जहां एक ही जगह है, क्योंकि जल्दी ठीक ही नही होता है। और उसके लिए कितनी भी कोशिश करे डॉक्टर को हर बार सफलता नहीं मिलती और अंत में वो चोट धीरे धीरे गैंग्रीन (अंग का सड़ जाना) में कन्वर्ट हो जाती है।

और फिर वो अंग काटना पड़ता है, उतने हिस्से को शरीर से निकालना पड़ता  ऐसी परिस्तिथि में एक औषधि है जो गैंग्रीन को भी ठीक करती है और Osteomyelitis (अस्थिमज्जा का प्रदाह) को भी ठीक करती है। गैंग्रीन माने अंग का सड़ जाना, जहाँ पर नई कोशिकाएं विकसित नही होती । न तो मांस में और न ही हड्डी में !और सब पुरानी कोशिकाएं भी मरती जाती है । इसी का एक छोटा भाई है Osteomyelitis इसमें भी कोशिका कभी पुनर्जीवित नही होती

जिस हिस्से में ये होता है वहाँ बहुत बड़ा घाव हो जाता है और वो ऐसा सड़ता है के डॉक्टर कहता है की इसको काट के ही निकलना है और कोई दूसरा उपाय नही है।। ऐसे परिस्थिति में जहां शरीर का कोई अंग काटना पड़ जाता हो या पड़ने की संभावना हो, घाव बहुत हो गया हो उसके लिए आप एक औषधि अपने घर में तैयार कर सकते है।

औषधि है देशी गाय का मूत्र लीजिये (सूती के आठ परत कपड़ो में छान लीजिये) हल्दी लीजिये और गेंदे के फूल लीजिये । गेंदे के फुल की पीला या नारंगी पंखरियाँ निकलना है, फिर उसमे हल्दी डालकर गाय मूत्र डालकर उसकी चटनी बनानी है। अब चोट का आकार कितना बढ़ा है उसकी साइज़ के हिसाब से गेंदे के फुल की संख्या तय होगी, अगर चोट छोटे एरिया में है तो एक फुल, काफी है चोट बड़ी है तो दो, तीन,चार अंदाज़े से लेना है।

इसकी चटनी बना के इस चटनी को लगाना है जहाँ पर भी बाहर से खुली हुई चोट है जिससे खून निकल जुका है और ठीक नही हो रहा। कितनी भी दवा खा रहे है पर ठीक नही हो रहा, ठीक न होने का एक कारण तो है डाईबटिस या दूसरा कोई जैनेटिक कारण भी हो सकते है।

इसको दिन में कम से कम दो बार लगाना है जैसे सुबह लगाके उसके ऊपर रुई पट्टी बांध दीजिये ताकि उसका असर बॉडी पे रहे; और शाम को जब दुबारा लगायेंगे तो पहले वाला धोना पड़ेगा ! इसको गोमूत्र से ही धोना है डेटाल जैसो का प्रयोग मत करिए, गाय के मूत्र को डेटाल की तरह प्रयोग करे। धोने के बाद फिर से चटनी लगा दे। फिर अगले दिन सुबह कर दीजिये।

यह इतना प्रभावशाली है इतना प्रभावशाली है के आप सोच नही सकते देखेंगे तो चमत्कार जैसा लगेगा। यहाँ आप मात्र post पढ़ रहे लेकिन अगर आपने सच मे किया तब आपको इसका चमत्कार पता चलेगा !इस औषधि को हमेशा ताजा बनाके लगाना है। किसी का भी जखम किसी भी औषधि से ठीक नही हो रहा है तो ये लगाइए। जो सोराइसिस गिला है जिसमे खून भी निकलता है, पस भी निकलता है उसके लीजिये भी यह औषधि पूर्णरूप से ठीक कर देती है।

अकसर यह एक्सीडेंट के केस में खूब प्रयोग होता है क्योंकि ये लगाते ही खून बंद हो जाता है। ऑपरेशन का कोई भी घाव के लिए भी यह सबसे अच्छा औषधि है। गिला एक्जीमा में यह औषधि बहुत काम करता है, जले हुए जखम में भी काम करता है।

सारी जानकारी लिख पाना असंभव है ये विडियो देखिए >>