भोजन करने का सबसे उत्तम तरीका जो आपको आरोग्य रखेगा जिससे आपकी उम्र लम्बी होगी

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अगर आपको अपने लिए भोजन का समय  निकालना है तो आपको एक सरल सूत्र बताता हूँ आप अपने घर में असरे (आइना) के सामने खड़े हो जाइये और मुह खोलिए और अपने दांत गिनिये. आप के घर में जहाँ भी शीशा लगा है उसके सामने खड़े होकर मुह खोलकर अपने दांत गिनिये. आप के कितने दांत है तो आप कहेंगे 32, कोई कहेगा 30 कोई कहेगा 28, ऐसे सबके अलग अलग होंगे. जरूरी नही है सबको 32 हो. सभी व्यक्तिओ के दांत अलग अलग होंगे तो सबके लिए भोजन का समय भी अलग अलग तय होगा.

पहले आप गिन लो आपके दांत कितने है. जितने आपके दांत है उसके हिसाब से आपके भोजन का समय तय होगा. कैसे होगा ? रोटी का एक टुकड़ा मुह में रखा तो जितने दांत है उतनी बार उसको चबाएं, ये है सूत्र. कोई कहेगा जी दांत ही नही है तो ऐसा भी हो सकता है न दांत ही न हो तो उसके लिए वागभट ऋषि ने व्यस्व्स्था की है कि जिनको दांत नही है वो ऐसा भोजन खाए जिसको चबाने की जरुरत न हो जैसे फल खाइए. फल उसको चबाने की ज्यदा जरुरत नही है. आम खाइए, केला खाइए, नही तो फल का रस पीजिये, नही तो आप दही खाइए, ताक पीजिये, दूध पीजिये.

इस विडियो में देखिए पहला नियम >>

जिनको दांत है वो चबा चबा कर भोजन खाए कितनी बार चबाना सूत्र मैंने आपको बता दिया. जिसको जितने दांत है उतन बार आपको चबाना है भाकड़ी का एक टुकड़ा, रोटी का एक टुकड़ा मुह में रखन 32 बार चबाना, गिन कर चबाना, शुरू में आप गिनेंगे बाद में आपको गिनने की जरूरत नही पड़ेगी, दांत अपने आप सेट हो जायंगे और ये उतनी ही बार चलेंगे जितना अपने आदत डाली है, ये दो तिन दिन ही गिनना पड़ेगा उसके बाद गिनना ही नही पड़ेगा

आयुर्वेद में भोजन करने के कई नियम बताये गए हैं। उनके बारे में विस्तार से बताते हुए राजीव जी ने कहा कि आयुर्वेद में कई ऋषि हुए जैसे कि बाणभट ऋषि, चरक ऋषि, आत्रे ऋषि, कश्यप ऋषि, भावप्रकाश ऋषि और निघ्न्तु ऋषि। इन सारे ऋषि ने धीरे खाना खाने की बात पर बहुत जोर दिया है। जब भी खाना खाओ तब धीरे खाना खाओ। खाने में कभी भी जल्दी मत करो।

खाने के बारे में कई ऋषियों ने तो ऐसा लिखा है कि अगर जल्दी है तो कुछ मत खाओ, बिना खाए रह जाओ। अगर आपको ट्रेन पकडनी है, और टाइम हो गया है और वो छुटने वाली है, तो ट्रेन तो आप छोड़ नही सकते, तो खाना छोड़ दे। इस बात पर आप बोलेंगे कि क्या भूखे रहे? ट्रेन पकड़ने के लिए भूखे मत रहिये, खाने को पैकेट में बंद करिये और ट्रेन मैं बैठने के बाद आप आराम से खाना खाइए।

राजीव जी ने एक और महत्व की बात बताते हुए कहा कि खाना खाते समय, शरीर में थोडा भी ब्लड-प्रेशर बढना नही चाहिए। खाना खाने के बाद अगर बढ़ जाये तो बात अलग है। अगर आप खाना खाने के लिए बैठ रहे है और अगर मन में बहुत अशांति है, गडबड चल रही है या फिर तनाव बहुत है तो तब ब्लड-प्रेशर बढ़ा हुआ होता है। उस समय खाना नहि खाना चाहिए और शांत होके ही खाना चाहिए।

राजीव जी ने इसके लिए एक सूत्र भी बताया। उन्होंने आगे कहा कि जब भोजन आ जाए तब मन को शांत करिए और शरीर को शांत करिये। इसके लिए भोजन मंत्र की व्यवस्था की गयी है और ईश्वर का ध्यान करने की व्यवस्था की गयी है। जब भी आपके सामने भोजन रखा हो तब आप अगर अपने इष्टदेव का 2-3 मिनट तक ध्यान करेंगे तो मन अपने आप शांत हो जायेगा और शरीर भी शांत हो जायेगा। उसके बाद खाना खाइए।

उन्होंने खाना खाने के नियम के बारे में आगे बताया कि खाना खाते समय मन में और शरीर में तनाव न रहे उसका ध्यान रखिये। खाते समय तनाव न होने की वजह से खाने का पाचन सबसे अच्छे तरीके से होगा और शरीर को जितने पोषक-तत्त्व चाहिए उतने मिलेंगे। खाना धीरे और चबा के खाना वो पाँचवाँ सूत्र है।

खाने को कितना चबाना है वो राजीव जी ने पहले बता दिया था, लेकिन उन्होंने फिर से याद दिलाते हुए कहा कि किसी के 32 दांत है तो 32 बार चबाये, किसी के 28 है तो 28 बार धीरे-धीरे चबा के खाना है। आप शुरू में 4-5 दिन तो गिन-गिन कर चबाइए, उसके बाद अपने आप आदत पड़ जाएगी। आखिर में उन्होंने दोहराया कि खाना खाते समय किसी भी तरह का तनाव, किसी भी तरह की जल्दबाजी कभी भी न करे। जो लोग धीमे खाना खाते है, उनका आरोग्य अच्छा रहता है और उनकी उम्र लम्बी होती है।

इस विडियो में देखिए भोजन कैसे करना चाहिए >>