इस किसान की मार्मिक कहानी जान कर दिल पसीज जाएगा, बिना एक पैर के करता है खेती

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किसान ! लाचारी और बेबसी का शायद दूसरा नाम है। फसल की बर्बादी और ऋणों का बोझ न जाने कितने ही किसानों को घुट-घुट कर ज़िंदगी जीने को विवश कर देती है। कभी-कभी तो हालात ऐसे हो जाते हैं कि वे आत्महत्या करने पर भी मजबूर हो जाते हैं। हमें समय-समय पर इस तरह की खबरें मिलती रहती हैं।

आज जिस किसान की कहानी और तस्वीरें आपसे साझा करने जा रहा हूं, वह मार्मिक ज़रूर है, लेकिन साथ में आपको विषम परिस्थितियों में ज़िंदगी जीने की राह भी सिखाएगी। ढलती उम्र, एक पैर की जगह बंधी लाठी, और जोतने के लिए पड़े खाली खेत ज़रूर आपको एक पल के लिए विचलित कर सकते हैं। लेकिन झांसी के रहने वाले 61 साल के देवराज सिंह पिछले 41 साल से ऐसा ही करते आ रहे हैं।

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21 साल की उम्र में गंवाना पड़ा था पैर 
बांदा के बेबरू इलाके में किसानी करने वाले देवराज सिंह को एक दुर्घटना में अपना दाया पैर गवाना पड़ा था। देवराज बताते हैं कि तब वे मात्र 21 साल के थे, जब उनके बैल ने उन पर हमला बोल दिया था। दायां पैर बुरी तरह जख्‍मी हो गया। काफ़ी इलाज़ के बाद भी जब उनका जख्म ठीक नही हुआ, तो डॉक्टरों ने जांच के बाद पाया कि उनका पैर अंदर से सड़ चुका है। तब डॉक्टरों ने यह सलाह दी कि जान बचाने के लिए पैर काटना पड़ेगा। इसके बाद ऑपरेशन कर डॉक्‍टर्स ने जांघ से पूरा पैर काट दिया। तभी से देवराज ने लाठी को अपना सहारा बना लिया।

अखिलेश सरकार ने की मदद लेकिन निकाल दिए नकली पैर 
देवराज कहते हैं कि 2015 में अखिलेश यादव ने उनकी मदद की थी। जिस वजह से उनके आर्टिफिशियल पैर लगवाया गया था। लेकिन कुछ वक़्त बाद अच्छा महसूस न करने की वजह से देवराज ने अपने नकली पैर निकाल के रख दिए। दरअसल, नकली पैरों के साथ चलने में उनको बहुत परेशानी होती थी। देवराज बताते हैं कि वह अपनी कमर में लाठी बांध कर ही खेत जोत लेते हैं।

ठीक नहीं थी घर की आर्थिक स्थिति, लाठी को ही बना लिया दूसरा पैर 
देवराज के अनुसार एक पैर के साथ ज़िंदगी जीना बहुत मुस्किल था, लेकिन साथ में यह चुनौती भी थी कि वह अपना और अपने परिजनों का पेट पाल सकें। उनके पास सिर्फ़ 3 बीघा ज़मीन है, लेकिन सिर्फ़ एक पैर से खेती किसानी कर पाना बिल्कुल भी आसान नहीं था।

घर की गिरती माली हालत और उपर से साहूकारों का कर्ज चुकाने जैसी जिम्‍मेदारियां ने एक वक़्त तो उन्हें तोड़ कर रख दिया था। लेकिन उन्होंने हिम्‍मत नहीं हारी और नए सिरे से जिंदगी शुरू करने की ठानी। उन्होने जांघ से नीचे कटे पैर की भरपाई के लिए एक लंबी लाठी कमर से बांध ली। वह पिछले 41 साल से ऐसे ही खेती कर रहे हैं और अपनी बेटी सुनीता की शादी के साथ बेटे को ग्रैजुएशन में एडमिशन भी दिलवा चुके हैं।

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