राईट टू रिकाल ग्रुप द्वारा प्रस्तावित संपत्ति कर का कानूनी ड्राफ्ट, जिसे गेजेट में प्रकाशित करने की हम मांग कर रहे है :
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सरकार चलाने के लिए धन की आवश्यकता होती है, यह धन जनता पर लगाए गए करो से आता है । एक अच्छी कर प्रणाली देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करती है, जबकि बुरी कर प्रणाली से शोषण और गरीबी को बढ़ावा मिलता है, अत: नागरिको को कर व्यवस्था में रुचि लेनी चाहिए, चाहे इन्हें पढना नीरस और समझना दुर्बोध ही क्यों न हो ।
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भारत में अधिकतर कर प्रतिगामी है तथा केंद्र, राज्य और स्थानीय निकायों ने मिलकर लगभग एक दर्जन अनुपयोगी कर लगा रखे है, जिससे छोटी उद्योग इकाइयों तथा करदाताओ को नुक्सान उठाना पड़ता है । राईट टू रिकाल ग्रुप एक्साइज, वेट, जीएसटी, एलबीटी, ओक्ट्रोय आदि करो के स्थान पर संपत्ति कर का प्रस्ताव कर रहा है, जिससे औद्योगिक इकाइयों तथा आम करदाताओ को राहत मिलेगी । प्रस्तावित संपत्ति कर के आने से जमीनों की कीमतें 5 से दस गुना तक कम हो जायेगी जिससे उद्योगों का विकास होगा, भू संसाधन का समान वितरण होगा, गरीबी कम होगी तथा सरकार को इतना राजस्व मिलने लगेगा कि हम भारत की सेना को मजबूत बना सके ।
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ड्राफ्ट का प्रारम्भ :
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सेक्शन -1. परिभाषाएं
(1.1) इस ड्राफ्ट में नागरिक शब्द का आशय भारत का पंजीकृत व्यस्क मतदाता है ।
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(1.2 ) इस ड्राफ्ट में भूमि शब्द में भूखंड, कृषि भूखंड, फ्लेट्स, इमारतें, कार्यालय, तथा किसी भूखंड पर निर्माण से प्राप्त हुआ स्वामित्व शामिल है । शब्द फ्लेट में सभी प्रकार के निर्माण, अपार्टमेन्ट, बंगले, कार्यालय, गोदाम, इमारते, औद्योगिक शेड्स तथा इनमे किये गए सभी प्रकार के निर्माण शामिल है ।
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सेक्शन -2. मुख्य अधिकारी तथा उनका स्टाफ, कार्यालय ।
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(2.1) [प्रधानमन्त्री के लिए निर्देश]
प्रधानमन्त्री संपत्ति कर संग्रह के लिए राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी पदनाम से एक राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी की नियुक्ति करेंगे । नागरिको को यह अधिकार होगा कि वे ड्राफ्ट में वर्णित राईट टू रिकाल प्रावधानों का प्रयोग कर राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी को बदल सकेंगे ।
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(2.2) [राष्ट्रीय संपत्ति अधिकारी, प्रधानमन्त्री, सांसद तथा नागरिको के लिए निर्देश]
राष्ट्रीय भूमि अधिकारी गाइड लाइन तैयार करेगा, तथा पूरे देश में अपनी कार्यालयी गतिविधियों के संचालन के लिए आवश्यक धन का ब्यौरा प्रस्तुत करेगा । यह गाइड लाइन्स प्रभावी होगी, जबकि प्रधानमन्त्री इन्हें राजपत्र में प्रकाशित कर देते है, या संसद इन्हें स्वीकृत कर देती है, या इस ड्राफ्ट में वर्णित टी सी पी के प्रावधानों के अनुसार नागरिक इन्हें अनुमोदित कर देते है ।
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(2.3) [राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी के लिए निर्देश]
राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी केंद्र अथवा राज्य सरकारों में कार्यरत कार्मिको में से प्रत्येक राज्य में एक राज्य संपत्ति कर अधिकारी, प्रत्येक जिले में एक जिला संपत्ति अधिकारी तथा प्रत्येक तहसील में तहसील संपत्ति कर अधिकारियों की नियुक्ति करेगा । ऐसी नियुक्तियों के लिए राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी अमुक कार्मिको के सम्बंधित उच्च अधिकारियों से अनुमति लेगा । ये सभी अधिकारी केंद्र सरकार के अंतर्गत राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी के अधीन कार्य करेंगे ।
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सेक्शन -3. संपत्ति कर नियम बनाने तथा उनमें परिवर्तन करने के लिए निर्देश :
(3.1) संसद इन संपत्ति कर कानूनों में आवश्यकतानुसार संशोधन कर सकेगी, तथा प्रधानमन्त्री भी राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से इन कानूनों में वांछित संशोधन कर सकेंगे या नये विनियम बना सकेंगे, जो कि इस अधिनियम के अंतर्गत अधिशासित हो ।
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(3.2) राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी संपत्ति कर की गणना तथा संग्रह के लिए आवश्यक कार्यालयी आदेश (सर्कुलर) जारी कर सकेगा ।
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(3.3) जब राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी कोई सर्कुलर जारी करेगा तो ऐसा सर्कुलर सभी जिलो के जिला संपत्ति कर अधिकारियों को भेजा जाएगा । जिला संपत्ति अधिकारी अमुक जिले की मतदाता सूची में से अक्रमत: विधि से 12 नागरिको की ज्यूरी बुलाएगा तथा ज्युरी सदस्यों के सामने इस सर्कुलर की व्याख्या करेगा । ज्यूरी किसी कर विशेषग्य या अन्य किसी नागरिक से इस सर्कुलर पर सलाह ले सकेगी । यदि पूरे देश के इन कुल ज्यूरी सदस्यों का बहुमत ऐसे किसी सर्कुलर का विरोध करता है, तो राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी इस्तीफा दे सकता है या उसे ऐसा करने की जरुरत नही है, अथवा वह ऐसे सर्कुलर को रद्द कर सकता है या उसे ऐसा करने की जरुरत नही है । इस विषय पर राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी का फैसला अंतिम होगा ।
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(3.4) नागरिक इस ड्राफ्ट में वर्णित टी सी पी प्रावधानों का उपयोग करते हुए कोई सर्कुलर जारी कर सकेंगे ।
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सेक्शन – 4. संपत्ति कर प्रतिवेदन (वेल्थ टेक्स रिटर्न) प्रस्तुत करना :
(4.1) ऐसे नागरिक जिनकी कुल संपत्ति कर मुक्त संपत्ति सीमा से कम है, को छोड़ते हुए सभी संपत्ति स्वामियों, सभी विदेशी इकाइयों, सभी ट्रस्टो तथा सभी कम्पनियों को संपत्ति कर प्रतिवेदन जमा करना अनिवार्य होगा ।
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(4.2) किसी वित्तीय वर्ष की समाप्ति के 210 दिवस के भीतर तथा आयकर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के 30 दिनों के भीतर संपत्ति कर प्रतिवेदन जमा करना अनिवार्य होगा ।
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(4.3) संपत्ति कर प्रतिवेदन जमा करने के लिए करदाता अपने पेन कार्ड या आधार कार्ड का प्रयोग करेगा । यदि किसी करदाता के पास उपरोक्त दोनों कार्ड नही है, तो करदाता इस क़ानून को राजपत्र में प्रकाशित किये जाने के 3 महीने के भीतर इनमे से कोई एक पहचान पत्र बनवायेगा ।
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(4.4) कर्ता हिन्दू अविभाजित परिवार के लिए अलग से कर प्रतिवेदन जमा कर सकेगा, जिसमे किसी प्रकार की मूल कटौतियां में छूट प्राप्त नही होगी, या अपनी संपत्ति को हिन्दू अविभाजित परिवार से संयुक्त करके भी कर प्रतिवेदन जमा कर सकेगा ।
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सेक्शन -5. संपत्ति कर से सामान्य छूट तथा राहतें :
(5.1) अवैयक्तिक इकाइयों जैसे कम्पनियाँ, ट्रस्ट तथा हिन्दू अविभाजित परिवार आदि के लिए सामान्य छूट तथा राहतें शून्य होगी ।
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(5.2) नागरिक जिनकी आयु 60 वर्ष से अधिक है, को सामान्य छूट एवं राहतों की नीचे दी गयी सूची में से दोगुना तथा 80 वर्ष से अधिक आयु होने पर छूटों का चार गुना लाभ मिलेगा । विधवाओं तथा विधुरों को भी सूचीगत सामान्य छूटों का दोगुना लाभ मिलेगा । यद्यपि 60 वर्ष से अधिक आयु की विधवाओं और विधुरो को छूटो में लाभ दोगुना ही होगा न कि चार गुना, तथा विधवाओं तथा विधुरो की आयु 80 वर्ष से अधिक होने पर भी छूट की तय सीमा आठ गुना के स्थान पर चार गुना ही रहेगी ।
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(5.3) उपयोग में न ली गयी छूटों का हस्तांतरण पारिवारिक सदस्यों को किया जा सकेगा । पारिवारिक सदस्य होने की अर्हता के प्रावधान इसी ड्राफ्ट के अन्य सेक्शन में दिए गए है ।
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(5.4). प्रति व्यक्ति 25 वर्ग मीटर तक का अकृषि भूखंड तथा उपयोग में न ली गयी छूटें पारिवारिक सदस्यों को हस्तांतरित की जा सकेगी ।
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(5.5). प्रति व्यक्ति 50 वर्ग मीटर का निर्माण तथा उपयोग में न ली गयी छूटों का हस्तांतरण पारिवारिक सदस्यों को किया जा सकेगा ।
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(5.6). कृषि भूमि जो कि प्रति व्यक्ति दो एकड़ से कम हो तथा उपयोग में न ली गयी छूटों का हस्तांतरण पारिवारिक सदस्य को किया जा सकेगा ।
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(5.7). प्रति पुरुष 50,000 रू से कम मूल्य के तथा प्रति स्त्री 2,50,000 रू से कम मूल्य के स्वर्ण/चांदी/रत्न/कीमती पत्थर/जेवरात तथा उपयोग में न ली गयी छूटों का हस्तांतरण परिवार के मुखिया को किया जा सकेगा ।
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(5.8). प्रति व्यक्ति 1 लाख रू मूल्य से कम का वाहन एवं उपयोग में न ली गयी छूटों का हस्तांतरण पारिवारिक सदस्यों को किया जा सकेगा ।
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(5.9). सभी कंपनियों के ऐसे शेयर/बॉन्ड/ऋण पत्र जिन पर अमुक कंपनी संपत्ति कर चुका रही हो, तो इन प्रतिभूतियों को रखने वाले स्वामी को संपत्ति कर में छूट प्राप्त होगी ।
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(5.10). किसी व्यक्ति के स्वामित्व वाले एक लाख रू से कम मूल्य के शेयर/बॉन्ड/ऋण पत्र जिन पर अमुक कम्पनी संपत्ति कर चुका रही है जिसने इन्हें जारी किया है, ऐसी प्रतिभूतियों की कटौतियां/छूट अहस्तांतरणीय होगी ।
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(5.11). प्रति व्यक्ति, एक लाख रू से कम नकद राशि तथा उपयोग में न ली गयी छूटों का हस्तांतरण पारिवारिक सदस्य को किया जा सकेगा ।
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(5.12). प्रति व्यक्ति 3 लाख रू से कम के फर्नीचर, विद्युतीय इलेक्ट्रोनिक उपकरण, चित्र, कलाकृतियाँ तथा भारी साजो सामान हार्डवेयर आदि तथा उपयोग में न ली गयी छूटों का हस्तांतरण पारिवारिक सदस्य को किया जा सकेगा ।
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(5.13). भारत से बाहर स्थित संपत्ति पर कोई सामान्य छूट प्राप्त नही होगी। यदि व्यक्ति लौटा हुआ अप्रवासी भारतीय है, तो 10 लाख तक की संपत्ति तथा उपयोग में न ली गयी छूटों का हस्तांतरण पारिवारिक सदस्य को किया जा सकेगा ।
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(5.14). व्यक्ति तथा अवैयक्तिक इकाई को बौद्धिक संपदा जैसे सॉफ्टवेयर, पेटेंट्स, कॉपीराईट, ब्रांडनेम आदि पर संपत्ति कर से छूट होगी ।
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सेक्शन – 6. पूर्व वर्ष के लिए संपत्ति कर उपार्जन ( वेल्थ टेक्स क्रेडिट) का निर्धारण :
पिछले चार वर्ष के दौरान अदा किये गए विभिन्न कर तथा किये गए अन्य भुगतानों की गणना वेल्थ टेक्स क्रेडिट में की जा सकेगी ।
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(6.1). वेल्थ टेक्स क्रेडिट की गणना प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए अलग से की जायेगी । इसे कर निर्धारण वर्ष के लिए वेल्थ टेक्स क्रेडिट लिखा जाएगा । किसी वित्तीय वर्ष के लिए वेल्थ टेक्स क्रेडिट अगले वर्ष के लिए होगा, जैसा कि नीचे दर्शाया गया है ।
WTC-AY-YYYY या WTC-FY-YYYY+1
( WTC – वेल्थ टेक्स क्रेडिट, AY – कर निर्धारण वर्ष, FY – वित्तीय वर्ष, YYYY – सम्बंधित वर्ष )
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(6.2). वेल्थ टेक्स क्रेडिट की गणना संपत्ति कर लागू होने के 4 वर्ष पहले से की जायेगी ।
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स्पष्टीकरण :
उदाहरण के लिए यदि वेल्थ टेक्स वित्तीय वर्ष 1 अप्रेल 2016 – 31 मार्च 2017 से प्रारम्भ होता है, तो कर निर्धारण वर्ष 2017 से 2018 होगा ।
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अत: वेल्थ टेक्स क्रेडिट की गणना पिछले 4 वर्षो के लिए निम्नलिखित तरीके से की जायेगी ।
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कर निर्धारण वर्ष 2013-2014 के लिए वेल्थ टेक्स क्रेडिट की गणना : वित्तीय वर्ष 1 अप्रेल 2012 – 31 मार्च 2013 के लिए चुकाए गए करों के आधार पर कर निर्धारण वर्ष 31 मार्च 2013 – 1 अप्रेल 2014 के लिए वेल्थ टेक्स क्रेडिट की गणना की जायेगी ।
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कर निर्धारण वर्ष 2014-2015 के लिए वेल्थ टेक्स क्रेडिट की गणना : वित्तीय वर्ष 1 अप्रेल 2013 – 31 मार्च 2014 के लिए चुकाए गए करो के आधार पर कर निर्धारण वर्ष 1 अप्रेल 2014 – 31 मार्च 2015 के लिए वेल्थ टेक्स क्रेडिट की गणना की जायेगी ।
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कर निर्धारण वर्ष 2015 -2016 के लिए वेल्थ टेक्स क्रेडिट की गणना : वित्तीय वर्ष 1 अप्रेल 2014 – 31 मार्च 2015 के लिए चुकाए गए करो के आधार पर कर निर्धारण वर्ष 1 अप्रेल 2015 – 31 मार्च 2016 के वेल्थ टेक्स क्रेडिट की गणना की जायेगी ।
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कर निर्धारण वर्ष 2016 – 2017 के लिए वेल्थ टेक्स क्रेडिट की गणना : वित्तीय वर्ष 1 अप्रेल 2015 – 31 मार्च 2016 के लिए चुकाए गए करो के आधार पर कर निर्धारण वर्ष 1 अप्रेल 2016 – 31 मार्च 2017 के लिए वेल्थ टेक्स क्रेडिट की गणना की जायेगी ।
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(6.3). किसी कर निर्धारण वर्ष में प्राप्त की गयी अवैतनिक आय पर चुकाया गया आयकर, तदनुसार उस कर निर्धारण वर्ष के लिए वेल्थ टेक्स क्रेडिट होगा ।
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(6.4). वैतनिक आय पर चुकाये गए आयकर का 50% वेल्थ टेक्स क्रेडिट होगा ।
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स्पष्टीकरण :
यदि वैतनिक आय X, अवैतनिक आय Y तथा चुकाया गया कुल आयकर T है तो वैतनिक आय पर चुकाया गया कर T×X ÷ X+Y , तथा अवैतनिक आय पर चुकाया गया आयकर T×Y ÷ X+Y का फलित होगा ।
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(6.5). कस्टम ड्यूटी के अलावा किसी कर निर्धारण वर्ष में केंद्र, राज्य, स्थानीय निकायों को चुकाए गए वेल्थ टेक्स, सर्विस टेक्स, वैट, सीएसटी, चुंगी, पे रोल टेक्स, प्रोफेशनल टेक्स, एल बी टी, मुन्सिपल प्रोपर्टी टेक्स तथा चुकाए गए अन्य करो को उस कर निर्धारण वर्ष में वेल्थ टेक्स क्रेडिट में शामिल किया जाएगा । चुकाई गयी कस्टम ड्यूटी को संपत्ति कर में शामिल नही किया जाएगा ।
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(6.6). प्रत्येक कर्मचारी को भुगतान किये गए वेतन के निर्दिष्ट भाग को वेल्थ टेक्स क्रेडिट में शामिल किया जाएगा ।
यदि वेतन 2 लाख से कम है तो 0%, यदि वेतन 2 लाख से 5 लाख के मध्य है तो 5%, यदि वेतन 5 लाख से 10 लाख के मध्य है तो 10% तथा 10 लाख से अधिक वेतन होने पर 15% ।
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स्पष्टीकरण : यदि किसी नियोक्ता ने अपने चार कर्मचारियों को 1,50,000, 2,60,000, 6,00,000 तथा 12,000,000 का भुगतान किया है, तो कर्मचारियों के वेतन के लिए वेल्थ टेक्स क्रेडिट क्रमश: 0, 3000, 25000 तथा 95000 होगा । इन चारो राशियों का योगफल ही कर्मचारियों के वेतन के लिए वेल्थ टेक्स क्रेडिट होगा ।
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(6.7). नियोक्ता की और से चुकाए गए प्रोविडेंट फंड का 15% भाग नियोक्ता के लिए वेल्थ टेक्स क्रेडिट होगा ।
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(6.8). नही चुकाए गए तथा विलम्ब से चुकाए गए करो पर धारित सभी जुर्मानो को शामिल किया जाएगा । नही चुकाए गए तथा विलम्ब से चुकाए गए भुगतानो पर अदा किये गए ब्याज का सिर्फ 50% ही शामिल किया जाएगा ।
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(6.9). किसी तिथि के लिए वेल्थ टेक्स क्रेडिट की राशि भुगतान योग्य नही है, बल्कि उस वित्तीय या सम्बंधित कर निर्धारण वर्ष के लिए देय राशि है ।
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(6.10). किसी कर निर्धारण वर्ष के वेल्थ टेक्स क्रेडिट में सुधार करने के लिए या दावा प्रस्तुत करने के लिए निर्धारित समय सीमा अमुक वर्ष की समाप्ति से अगले दो वर्ष तक की होगी । पिछले चार वर्ष के वेल्थ टेक्स क्रेडिट के लिए यह समय सीमा इस अधिनियम के लागू होने के बाद के तीन वर्ष तक की होगी ।
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(6.11). वेल्थ टेक्स क्रेडिट राशि के सम्बन्ध में कोई विवाद होने पर अंतिम रूप से सरकारी रेकार्ड्स को ही प्रमाणिक और सही माना जाएगा । ज्यूरी वेल्थ टेक्स क्रेडिट की राशि को पुनर्निर्धारित कर सकेगी ।
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सेक्शन – 7. अगले वर्ष के लिए वेल्थ टेक्स क्रेडिट की गणना :
कर निर्धारण वर्ष के बाद वाले वर्ष के लिए वेल्थ टेक्स क्रेडिट की गणना निम्नानुसार की जायेगी ।
(7.1). अवैतनिक आय जिन पर आयकर का भुगतान किया गया है ।
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(7.2). वैतनिक आय पर अदा किये गए आयकर का 50% ।
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(7.3). कर निर्धारण वर्ष के लिए सीमा शुल्क को छोड़ते हुए केंद्र, राज्य तथा स्थानीय निकायों द्वारा लागू अन्य सभी देय कर । इनमें पेनल्टी, ब्याज तथा अदा किये गए अन्य जुर्मानों को शामिल नही किया जाएगा ।
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(7.4). भुगतान किये गए वेतन का 15%, यदि ऐसे भुगतान बेंक खातो में किये गए हो, या नकद दिए गए हो, यदि ऐसे नकद भुगतानो के अभिलेख वेतनभोगी बेंक के नकद खातो में या आयकर रिटर्न में व्यवस्थित रूप से दर्ज करता हो ।
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(7.5). नियोक्ता द्वारा अदा किये गए संचित निधियों (प्रोविडेंट फंड) का 15% ।
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(7.6). सेवाग्राहियों की संख्या का 500 से गुणनफल ।
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सेक्शन – 8. संपत्ति कर की गणना :
(8.1). भूमि तथा निर्माण के मूल्य का निर्धारण, सर्कल रेट तथा क्रय मूल्य में से जो राशि अधिक हो, पर किया जाएगा । भूमि पर किसी प्रकार का मूल्य ह्रास लागू नही होगा । मूल्यवृद्धि सूचकांक को समायोजित करते हुए, निर्माण पर 5% सालाना मूल्य ह्रास प्रभावी होगा ।
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(8.2) मशीनरी, वाहन तथा हार्डवेयर का मूल्य निर्धारण क्रय मूल्य पर किया जाएगा, जिन पर 10% सालाना की दर से मूल्य ह्रास प्रभावी होगा, किन्तु इन जिंसो पर मूल्यवृद्धी सूचकांक लागू नही होगा । फर्नीचर पर 5% सालाना मूल्य ह्रास लागू होगा तथा मूल्य वृद्धि सूचकांक को भी समायोजित किया जाएगा । फर्नीचर का मूल्य निर्धारण क्रय मूल्य पर होगा ।
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(8.3). स्वर्ण, चांदी, धातुएं, हीरे तथा कीमती पत्थरों का मूल्य निर्धारण लागू वर्ष के बाजार मूल्य पर किया जाएगा ।
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(8.4). अंश मूल्य : अ) यदि कंपनी अंशो पर संपत्ति कर चुका रही है तो अंशो का करयोग्य मूल्य लागू वर्ष में पूँजी बाजार का औसत होगा, जिसमें से भूमि, निर्माण, स्वर्ण, चांदी तथा कीमती पत्थरो का मूल्य घटाया जाएगा ।
ब) यदि अंशो पर संपत्ति कर अंश धारक चुका रहा है, तो यह मूल्य लागू वर्ष में रहे अंश मूल्य का औसत रहेगा ।
स) अंशो पर संपत्ति कर का भुगतान अंशधारक या कंपनी में से किसी एक को ही करना होगा । दोनो को नहीं ।
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(8.5) प्रत्येक मामले में निर्धारित सामान्य छूटें कटौती योग्य होगी ।
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(8.6). अनुच्छेद 8.1, 8.2, 8.3 तथा धारा 8.4 में वर्णित क्रमश: भूमि, निर्माण, मशीनरी, फर्नीचर, स्वर्ण, धातुएं तथा अंश मूल्यों का 1% संपत्ति कर देय होगा, जिसमे से प्राप्त सामान्य छूटें घटा दी जायेगी ।
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(8.7). यदि किसी कर निर्धारण वर्ष में संपत्ति कर नकारात्मक रहता है, तो यह उस वर्ष के लिए वेल्थ टेक्स क्रेडिट होगा ।
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(8.8). यदि किसी वर्ष के लिए संपत्ति कर सकारात्मक रहता है तो इसमें से सबसे पुराने वर्ष के वेल्थ टेक्स क्रेडिट को घटाया जाएगा । इस प्रक्रिया में जब सभी पुराने वर्षो के वेल्थ टेक्स क्रेडिट्स को समायोजित करने के बाद यदि वेल्थ टेक्स सकारात्मक रहता है, तब करदाता को इस कर का भुगतान करना होगा ।
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(8.9). यदि करदाता कर चुकाने में असमर्थ है तो वह सम्बंधित संपत्ति को स्तंभित (लॉकिंग) करने का आग्रह कर सकेगा । ऐसी सम्बंधित संपत्ति पर करदाता द्वारा 9% सालाना की दर से ब्याज देय होगा । किन्तु ऐसी संपत्ति का मूल्य बकाया राशि से कम से कम दोगुना अवश्य होना चाहिए ।
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सेक्शन – 9. परिवार का सदस्य बनने की अर्हताएं :
(9.1). संपत्ति कर निर्धारण के उद्देश्य के लिए कोई व्यक्ति अपनी सुविधानुसार स्वयं को एक परिवार या उसके सदस्य के रूप में पंजीकृत कर सकेगा ।
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(9.2). एक व्यक्ति दो परिवारों का सदस्य नहीं हो सकेगा । व्यक्ति जिसने स्वयं को परिवार के रूप में पंजीकृत किया है, वह अन्य किसी परिवार का सदस्य नहीं हो सकेगा । संपत्ति कर के उद्देश्य से कोई अवैयक्तिक इकाई या विदेशी परिवार का सदस्य नही हो सकेगा ।
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(9.3). किसी परिवार के अधिकतम सदस्यों की संख्या 12 से अधिक नही हो सकेगी । परिवार के किसी भी सदस्य की अधिकतम संपत्ति 25 तक ही हो सकेगी । इसमें भूमि तथा निर्माण मूल्य को शामिल नहीं किया जाएगा ।
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(9.4). परिवार का मुखिया परिवार में शामिल माना जाएगा, जो कि स्त्री या पुरुष कोई भी हो सकेगा, जिसकी आयु 18 वर्ष से अधिक हो ।
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(9.5). परिवार के मुखिया का जीवन साथी परिवार का सदस्य हो सकेगा ।
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(9.6). बच्चे परिवार के सदस्य हो सकेंगे ।
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(9.7). माता-पिता तथा सास-श्वसुर परिवार के सदस्य हो सकेंगे ।
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(9.8). पुत्र या पुत्री के बच्चे परिवार के सदस्य बन सकेंगे, लेकिन तब, जबकि ऐसे पुत्र तथा पुत्री अमुक परिवार के सदस्य हो ।
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(9.9). पोते-पोतियों के बच्चे परिवार के सदस्य नही हो सकेंगे ।
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(9.10). परिवार के मुखिया कि अविवाहित या तलाकशुदा बहिन परिवार की सदस्य हो सकेगी । भाई जो कि 18 वर्ष से कम आयु का है, परिवार का सदस्य हो सकेगा ।
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(9.11). भाई अथवा बहन के बच्चे परिवार के सदस्य नही हो सकेंगे ।
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(9.12). उपरोक्त वर्णित व्यक्तियों के अलावा कोई भी परिवार का सदस्य नही हो सकेगा ।
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(9.13). यदि किसी व्यक्ति के 4 संतानों से अधिक है तो सम्पति कर निर्धारण के लिए अधिकतम 4 संताने ही परिवार के सदस्य के रूप में पंजीकृत हो सकेगी ।
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(9.14). यदि कोई व्यक्ति संपत्ति कर निर्धारण के उद्देश्य से परिवार का गठन करता है तो उसे पंजीयन के लिए पटवारी/तलाटी के कार्यालय में व्यक्तिश: रूप से उपस्थित होना होगा । परिवार के सदस्यों को भी देश के किसी पटवारी/तलाटी कार्यालय में उपस्थित होकर इसकी पुष्टि करनी होगी । बच्चो के पंजीयन के लिए उसके माता तथा पिता दोनों की सहमती आवश्यक होगी ।
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(9.15). परिवार के सदस्य प्राप्त सामान्य छूटों का हस्तांतरण परिवार के अन्य सदस्यों को कर सकेंगे ।
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(9.16). परिवार के सदस्य वेल्थ टेक्स क्रेडिट किसी को भी हस्तांतरित नहीं कर सकेंगे ।
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सेक्शन – 10. सम्बद्धता :
[पटवारी/तलाटी, राष्ट्रीय संपत्ति अधिकारी तथा सभी नागरिको के लिए निर्देश]
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(10.1) कोई भी मतदाता अपने पेन कार्ड या आधार कार्ड के साथ पटवारी के कार्यालय में उपस्थित होकर यह घोषणा कर सकेगा कि वह किसी इकाई जैसे व्यक्ति, संस्था, कंपनी, ट्रस्ट, विदेशी इकाई आदि की सेवाएँ ग्रहण कर रहा है । मतदाता अमुक इकाई की आधार या पेन संख्या भी प्रस्तुत करेगा । संपत्ति कर के सन्दर्भ में इसे सम्बद्धता कहा जाएगा ।
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(10.2). पटवारी इस संबद्धता को नागरिक तथा अनुमोदित इकाई की आधार या पेन संख्या के साथ राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी की वेबसाईट पर दर्ज करेगा ।
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(10.3). पटवारी कार्यालय में उपस्थित होकर नागरिक अपनी सम्बद्धता को किसी भी दिन रद्द कर सकेंगे ।
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(10.4). नागरिक अधिक से अधिक पांच इकाइयों के साथ सम्बद्ध हो सकेंगे । यदि कोई नागरिक किसी एक इकाई को अपनी दो, तीन, चार या पांचो सम्बद्धताएं आवंटित करना चाहता है, तो वह ऐसा कर सकेगा ।
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(10.5). कोई इकाई नागरिको से प्राप्त अपनी संबद्धताओ को अन्य इकाई को हस्तांतरित कर सकेगी । राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी इसके लिए आवश्यक कार्यलयी शुल्क वसूल कर सकेगा ।
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(10.6). इकाईयां ग्रहण की गयी प्रत्येक सम्बद्धता के लिए 500 रू के बराबर वेल्थ टेक्स क्रेडिट प्राप्त करेगी ।
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(10.7). 18 वर्ष से कम आयु के बच्चो की सम्बद्धता को आवंटित करने का अधिकार उसकी माता के पास होगा । यदि ऐसे अवयस्क की माता की मृत्यु हो चुकी हो तो उसके पिता इस अधिकार का उपयोग कर सकेंगे ।
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सेक्शन – J. ज्यूरी ट्रायल
संपत्ति कर के विवादों के निपटान के लिए जूरी ट्रायल प्रावधान :
(J.1). [राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी तथा सभी करदाताओं के लिए निर्देश]
यदि राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी या उसके अधिकारियों और करदाता के मध्य कोई विवाद खड़ा होता है, तो राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी अंकेक्षको की एक कमिटी तथा नागरिको की ज्यूरी का गठन करेगा । यह सेक्शन ऐसी अंकेक्षक कमिटी तथा ज्यूरी के गठन के विनियमों से सम्बंधित है ।
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(J.2). [राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी के लिए निर्देश]
राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी प्रत्येक जिले में एक जिला ज्यूरी प्रशासक, प्रत्येक राज्य में एक राज्य ज्यूरी प्रशासक तथा राष्ट्रीय स्तर पर एक राष्ट्रीय ज्यूरी प्रशासक की नियुक्तियां करेगा ।
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(J.3). [राष्ट्रीय ज्यूरी प्रशासक, राज्य ज्यूरी प्रशासक, जिला ज्यूरी प्रशासक, सभी संपत्ति कर अधिकारियों और करदाताओं के लिए निर्देश]
(J.3.1) कर अधिकारी तथा करदाता के बीच किसी प्रकार का विवाद होने पर मामला उस जिले में दर्ज किया जाएगा जिस जिले में करदाता मतदाता है या निवास निवास करता है या जहाँ करदाता का पंजीकृत कार्यालय है । यदि करदाता या कर अधिकारी किसी मामले की सुनवाई को उसी राज्य के अन्य जिले में स्थानांतरित करना चाहते है तो उन्हें ऐसा करने के लिए अमुक राज्य के राज्य ज्यूरी प्रशासक अथवा राज्य के उच्च न्यायलय से अनुमति लेनी होगी । यदि ऐसा जिला राज्य के बाहर स्थित है तो ऐसी अनुमति राष्ट्रीय ज्यूरी प्रशासक या उच्चतम न्यायलय से ली जानी चाहिए ।
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(J.3.2). करदाता तथा कर अधिकारी के बीच किसी विवाद की सुनवाई के लिए अमुक जिले का जिला ज्यूरी प्रशासक अंकेक्षक सूची में से रेंडम/अक्रमत: विधि से 3 से 7 अंकेक्षको का चयन करेगा, यदि ये अंकेक्षक अपनी सेवा देने के लिए उपलब्ध रहने की सहमती देते है । ऐसे अंकेक्षको की आयु 30 वर्ष से 55 वर्ष के मध्य होनी चाहिए तथा उन्हें अंकेक्षण कार्यो का 5 वर्षो का अनुभव हो ।
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(J.3.3). ज्यूरी के गठन के लिए जिला ज्यूरी प्रशासक भारत की मतदाता सूची में से अक्रमत: विधि से 30 से 55 आयु वर्ग के नागरिको का चयन करेगा । किन्तु ऐसे नागरिक पिछले 10 वर्ष में किसी ज्यूरी सभा के सदस्य न रहे हो, तथा न ही उन्हें किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो ।
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(J.3.4). ज्यूरी सदस्यों की संख्या : किसी ज्यूरी के लिए ज्यूरी सदस्यों की न्यूनतम संख्या 12 तथा अधिकतम संख्या 1500 तक हो सकेगी । यदि संपत्ति कर अधिकारी द्वारा की गयी दावा राशि 10 लाख से तक है तो ज्यूरी सदस्यों की संख्या 12 होगी तथा दावा राशि 10 लाख से अधिक होने पर प्रति 10 लाख पर एक ज्यूरी सदस्य बढ़ा दिया जाएगा, किन्तु यह संख्या 1500 से अधिक नही बढाई जा सकेगी ।
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(J.3.5). ज्यूरी सदस्यों का चयन उन जिलों से किया जाएगा, जिन जिलो के जिला न्यायलय वीडियो कोंफ्रेंसिंग के जरिये उस जिले के न्यायलय से जुड़े हुए है, जिस जिले में सुनवाई की जा रही है । यदि मामला ऐसे जिले में दर्ज किया गया है, जिसके न्यायलय में वीडियो कोंफ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध नही है, तो सभी ज्यूरी सदस्यों का चयन उसी जिले की मतदाता सूची में से किया जाएगा ।
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(J.3.6). संपत्ति के मूल्य निर्धारण सम्बन्धी विवाद : यदि विवाद सिर्फ संपत्ति के मूल्य निर्धारण को लेकर है, तो विवाद के निपटान के लिए उसी जिले की मतदाता सूची से ज्यूरी सदस्यों का चयन किया जा सकेगा । 10 लाख तक के मूल्य निर्धारण के लिए ज्यूरी सदस्यों की न्यूनतम संख्या 12 होगी, तथा सम्पत्ति का मूल्य प्रति 10 लाख बढ़ने पर एक ज्यूरी सदस्य बढ़ा दिया जाएगा, किन्तु ज्यूरी सदस्यों की अधिकतम संख्या 1500 तक सीमित रहेगी । यद्यपि राष्ट्रीय, राज्य या जिला संपत्ति कर अधिकारी मामले की सुनवाई अन्य स्थान पर स्थानान्तरण करने के लिए पूछ सकते है ।
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(J.3.7). ज्यूरी द्वारा दिए गए फैसलों के लिए अपील प्रवृत अन्य कानूनों के अनुसार ज्यूरी और उच्च न्यायलय, तथा बाद में ज्यूरी और उच्चतम न्यायलय में की जा सकेगी ।
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सेक्शन – RTR. राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी के लिए राईट टू रिकाल प्रक्रिया :
(RTR.1). [केबिनेट सचिव, केंद्र सरकार या उनके द्वारा नियुक्त किये गए अधिकारी के लिए निर्देश]
यदि कोई नागरिक मतदाता राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी बनना चाहता है तो वह केबिनेट सचिव के समक्ष उपस्थित होकर या अपने वकील के माध्यम से शपथपत्र प्रस्तुत करेगा । केबिनेट सचिव सांसद के चुनाव के लिए निर्धारित राशि के बराबर राशि जमा कर ऐसे शपथपत्र को दर्ज कर लेगा ।
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(RTR.2). [पटवारी/तलाटी के लिए निर्देश]
यदि अमुक जिले का मतदाता पटवारी कार्यालय में अपने मतदाता पहचान पत्र के साथ उपस्थित होकर राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी के लिए अनुमोदन दर्ज कराता है, तो पटवारी 3 रू शुल्क लेकर उसे कम्पूटर में दर्ज करेगा तथा बदले में एक रसीद देगा, जिस पर उसकी मतदाता पहचान संख्या, अनुमोदित उम्मीदवारों के नाम, समय तथा दिनांक अंकित करेगा । मतदाता अधिक से अधिक पांच उम्मीदवारों को अनुमोदित कर सकेगा ।
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(RTR.3). [पटवारी/तलाटी के लिए निर्देश]
पटवारी नागरिक द्वारा दर्ज करायी गयी उम्मीदवारों की प्राथमिकता के अनुसार अनुमोदनों को प्रधानमन्त्री की वेबसाईट पर उसकी मतदाता संख्या के साथ दर्ज करेगा ।
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(RTR.4). [पटवारी/तलाटी के लिए निर्देश]
यदि कोई मतदाता अपने किसी अनुमोदन को रद्द करवाता है तो पटवारी बिना कोई शुल्क लिए उसे रद्द कर देगा, तथा इसे प्रधानमन्त्री की वेबसाईट पर दर्ज करेगा ।
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(RTR.5). [केबिनेट सचिव के लिए निर्देश]
पिछले महीने के अंतिम दिन तक उम्मीदवारों को प्राप्त नागरिको के अनुमोदनों की संख्या को केबिनेट सचिव हर महीने की 5 तारीख को प्रकाशित करेगा ।
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(RTR.6). [प्रधानमन्त्री के लिए निर्देश]
यदि किसी उम्मीदवार को कुल मतदाताओं के 51% अनुमोदन प्राप्त हो जाते है, ( कुल पंजीकृत मतदाताओं के 51%, न कि उन मतदाताओं के जिन्होंने अनुमोदन किया है ) तो प्रधानमन्त्री उसे राष्ट्रीय संपत्ति कर अधिकारी के पद पर नियुक्त कर सकते है या उन्हें ऐसा करने की आवश्यकता नही है अथवा प्रधानमन्त्री अपने पद से इस्तीफा दे सकते है या उन्हें ऐसा करने की आवश्यकता नही है । इस सम्बन्ध में प्रधानमन्त्री का फैसला अंतिम होगा ।
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सेक्शन – TCP. टी सी पी – जनता की आवाज के प्रावधान :
(TCP.1). [जिला कलेक्टर के लिए निर्देश]
यदि कोई नागरिक मतदाता इस क़ानून में कोई संशोधन करना चाहता है तो वह कलेक्टर कार्यालय में उपस्थित होकर शपथपत्र प्रस्तुत कर सकेगा । कलेक्टर 20 रू प्रति पृष्ठ की दर से शुल्क लेकर इसे प्रधानमन्त्री की वेबसाईट पर दर्ज करेगा और बदले में छपी हुयी रसीद देगा ।
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(TCP.2). [पटवारी/तलाटी के लिए निर्देश]
यदि कोई मतदाता इस अधिनियम के किसी सेक्शन, अनुच्छेद या धारा में संशोधन चाहता है या टी सी पी की धारा एक के तहत दर्ज किये गए किसी शपथपत्र पर अपनी हाँ या ना दर्ज कराता है, तो पटवारी 3 रू लेकर उसे दर्ज करेगा तथा प्रधानमन्त्री की वेबसाईट पर डाल देगा ।
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(TCP.3). [प्रधानमन्त्री के लिए निर्देश]
यदि किसी शपथपत्र पर कुल पंजीकृत मतदाताओं के 51% मतदाता हाँ दर्ज कर देते है ( कुल पंजीकृत मतदाताओं के 51%, न कि उनके 51% जिन्होंने अनुमोदन किया है ), तो प्रधानमन्त्री उस पर कार्यवाही कर सकते है या अपना इस्तीफा दे सकते है, अथवा उन्हें ऐसा करने की जरुरत नही है ।
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