भारत की इन 10 अनोखी जगहें जहा विज्ञान भी फेल है !

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भारत एक ऐसा राज्य है जिसे घूमने निकलेंगे तो कई ऐसी जगहें देखने को और कई ऐसे किस्से सुनने को मिलेंगे जो आपको हैरान कर देंगे। लेकिन कुछ जगहें तो इतनी अजीब हैं कि विज्ञान भी उनके आगे हार मान चुका है। चलिए आपको बताते हैं 10 ऐसी अजीबो-गरीब जगहों के बारे में।

1- राजस्थान का भानगढ़ क़िला

भारत कहानियों का भी देश है। गूगल कर लीजिए या लोगों के मुँह से सुन लीजिए, राजस्थान की राजधानी जयपुर से 32 मील दूर किला अपनी कहानियों और भुतहा क़िस्सों के लिए मशहूर भानगढ़ किला 17वीं सदी से ही भूत प्रेतों वाली जगह बताया जाता है।

लोगों का कहना है कि यहाँ एक तांत्रिक किसी ज़माने में काला जादू करता था, रात के वक़्त में जो लोग ग़लत काम करते थे, उनको मार देता था। भारत के पुरातत्त्व विभाग ने शाम के बाद किले के अन्दर न जाने का बड़ा सा बोर्ड लगा रखा है। ना जाने कितने विदेशी लोग (जिसमें डिस्कवरी चैनल भी शामिल है) इस जगह के रहस्य का पता लगाने आए और सब ख़ाली हाथ लौट कर गए।

2- लद्दाख की चुम्बक वाली सड़क

घूमे, घूमे बंजारे घूमे गलियाँ ये बेचारे… लद्दाख का नाम आते ही ज़हन में आता है हार्ले डेविडसन की बाइक और काली जैकेट पहने लोगों का जत्था, जो अपनी मस्ती में लम्बी लम्बी सड़कें नाप रहा है।

लद्दाख से लेह की ओर जाते वक़्त एक सड़क मिलती है जो चारों ओर पहाड़ों से घिरी है, इसे मैग्नेटिक हिल बोलते हैं। चढ़ाई होने के बाद भी इस सड़क पर गाड़ी अपने आप ऊपर चढ़ती है। लद्दाख की चुम्बक वाली ये जगह पर आप बाइक का इंजन बंद भी करते तो भी ऊपर खिंचती चली जाएगी। नज़दीकी लोगों की कहानी भी सुनने लायक है

ये लोग कहते हैं कि ये सड़क आस पास पहाड़ होने से चढ़ाई वाली दिखती है लेकिन है उतरान। पहाड़ होने से क्षितिज का सही अंदाज़ा नहीं लग पाता है इसलिए उतरान वाली सड़क चढ़ान वाली महसूस होती है।

3. असम का जतिंगा गाँव

रहस्य चीज़ ऐसी है कि लोग कान लगाकर सुनते हैं। कई बार ये रहस्य आपको दुःख में, अकेला और असहाय छोड़ देते हैं। असम के जतिंगा गाँव का रहस्य भी कुछ ऐसा है। असम के इस गाँव ने न जाने कितनी बार पंछियों को आसमान से स्वतः गिरते हुए देखा है।

अक्टूबर के आस-पास हर साल जितने पंछी यहाँ उड़ते हैं, सब अकारण गिरने लगते हैं। शाम 6 से 9 बजे के बीच में ये पंछी गिरने के कारण मौत का भी शिकार होते हैं। निरीक्षक और वैज्ञानिक आज तक इसका कारण पता नहीं कर पाए। एक बेतुका सा बयान ये भी है कि इस गाँव के लोग ख़ुद ही इन पंछियों को मारते हैं। वैज्ञानिक इस पर भी कुछ नहीं मौन साध लेते हैं।

4- उत्तराखंड की रूपकुंड झील

रूपकुंड झील का नाम जैसे ही आता है, आँखों के आगे झूलती हैं कंकालों की मुंडियाँ और हड्डियाँ। हिमालय के ट्रेक की ख़्वाहिश करने वालों का ये पसंदीदा ट्रेक है। ज़मीन से 5029 मीर की ऊँचाई पर ऐसे नज़ारे देखने मिलें तो ट्रिप तस्वीरों में ही क़ैद करता है इंसान। रूपकुंड झील ढेर सारे नरमुंडों से पटी पड़ी है।

1942 में अंग्रेज़ों के जंगलों के गार्ड ने इस जगह का पता लगाया था। उसके बाद से ये झील विदेशी और देसी पुरातत्त्व विभागों का अड्डा बन गई। पिछले कुछ दशकों में हज़ारों से ज़्यादा रीसर्च हो चुकी हैं यहाँ पर लेकिन कोई नहीं बता पाया कि यहाँ पर इतने कंकाल आए कहाँ से। सालों तक रीसर्च करने के बाद वैज्ञानिकों ने बताया कि ये कंकाल 850 ई. के हैं। लेकिन उनकी मौत का कारण अभी भी नहीं पता। वो यहाँ के लोगों की कहानियों से पता करने की कोशिश करते हैं।

स्थानीय लोगों के अनुसार सदियों पहले यहाँ ख़ूब बर्फ़बारी हुई। इतनी कि ज़मीन 23 सेंटिमीटर तक बर्फ़ से ढक गई। इतनी ठंड से सबकी मौत हो गई। शोधकर्ताओं की मानें तो खोपड़ियों पर दरारें पाई गई हैं जिसका मतलब है कि जो भी प्रभाव था, गोलाकार रहा होगा।

5- पाली शहर के बुलेट बाबा की बाइक का मंदिर

राजस्थान के जोधपुर से 30 मील की दूर पर है गाँव चोटिला। यहाँ एक आदमी हुए ओम बन्ना उर्फ़ बुलेट बाबा। साल 1988 में बाबा अपने गाँव की ओर इस बाइक पर आते आते एक एक्सीडेंट के शिकार हुए और वहीं दम तोड़ दिए। इस एक्सीडेंट के बाद बाइक चलने की हालत में नहीं थी। अगली सुबह इसके ग़ायब होने के लिए पुलिस की निगरानी में रखा गया। ढूँढ़ने पर यह बाइक वहीं मिली जहाँ पर इसका एक्सीडेंट हुआ था।

इस बाइक को फिर से पुलिस थाने में रखा गया और फिर से बाइक ग़ायब हो गई। लोगों ने इस बाइक और बुलेट बाबा को पवित्र आत्मा मानते हुए इसके लिए एक भव्य मंदिर बनवाया। इस बाइक की वहीं पूजा होने लगी। आस-पास के लोग भी इसकी पूजा करने लगे और मंदिर बुलेट बाबा का मंदिर नाम से प्रसिद्ध हो गया।

6- राजस्थान का कुलधरा गाँव

लम्बे रेगिस्तान, रॉयल पैलेस, बड़ी बड़ी झीलें, विशेष हथकरघा के कारण राजस्थान की टूरिस्टों के दिल में बहुत इज़्ज़त है। लेकिन एक और विशेषता है जो यहाँ घूमने का बड़ा कारण देती है। जैसलमेर से 20 कि.मी. दूर एक गाँव है कुलधरा। 3 दशक पहले ये इलाक़ा ब्राह्मण समुदाय का घर हुआ करता था.

लेकिन कुछ हालातों के कारण लोग यहाँ से भाग गए। कारण किसी को नहीं पता, लेकिन पुरातत्त्व वालों के लिए अब ये एक सर्वेक्षण स्थल बन चुका है। कुछ लोग इसे किसी प्रेत का साया बताते हैं तो कुछ भगवान की माया, शब्द सबके पास हैं हक़ीकत से किसी का कोई वास्ता नहीं।

7- लेपाक्षी का लटकता पिलर, आंध्र प्रदेश

भारत बसता है गाँव में और ढेर सारे रहस्य भी यहाँ की पैदाइश हैं। आंध्र प्रदेश के लेपाक्षी गाँव में 16वीं सदी का बना एक मंदिर है। इनका वास्तु जो इसे आँखें भर कर देखने लायक बनाता है। 70 पिलर वाला ये मंदिर वाक़ई में नक्काशी की खान है।

लेकिन इस मंदिर को विचित्र बनाता है यहाँ का एक पिलर जो सीलिंग के सहारे हवा में लटकता रहता है। हवा में लटकता पिलर के नीचे से आप काग़ज़ का टुकड़ा या कोई कपड़ा आसानी से निकाल सकते हैं। ऐसा क्यों बनाया गया होगा या ये ग़लती से बन गया होगा, कोई नहीं जानता लेकिन जो सत्य है वो तो सामने है।

8- राजस्थान का करणी माता मंदिर

राजस्थान घूमने की दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण है। यात्री अपनी लिस्ट में इसे सबसे ऊपर रखते हैं। ख़ासियत है यहाँ की जगहें जो इस रेगिस्तानी ज़मीन को जन्नत बनाए हुए हैं। इसी लिस्ट में आता है देशनोक गाँव में माता करणी का मंदिर। बीकानेर से 30 कि.मी. दक्षिण पर पड़ता है ये गाँव जहाँ हर दिन 20,000 से अधिक चूहों को स्वादिष्ट दूध और खाना परोसा जाता है। इसीलिए इसे चूहों का मंदिर भी बोलते हैं।

इस मंदिर में चूहों की अर्चना होती है। आपको 30 से अधिक की तादाद में एक प्लेट पर दूध चट करते चूहे मिल जाएँगे। माता करणी को लोग 14वीं सदी से मान रहे हैं और 15वीं सदी में यहाँ के राजा गंगा सिंह ने माता करणी का भव्य मंदिर बनवाया था। ये मंदिर पूरी तरह से मार्बल का बना है। हैरानी की बात तो ये है कि  लोग चुहों का खाया हुआ खाना ग्रहण करते हैं और फिर भी बिमार नहीं पड़ते!

9- मणिपुर की लोकतक झील

अगर आपने धरती पर स्वर्ग देखने की इच्छा है और भगवान की बनाई सुन्दर जगहों को आँखों में क़ैद करना है तो लोकतक झील आ जाइए। ये चमत्कारी झील मणिपुर के लोगों की जीवनदायिनी है। इस झील ने अपने ऊपर एक पूरे द्वीप को उठा रखा है जिसे फुमदी के नाम से जानते हैं।

इसी द्वीप में आता है कीबुल लमजाओ राष्ट्रीय पार्क जो पूरे विश्व का अकेल तैरता हुआ राष्ट्रीय पार्क भी है। जन्नत और क़िस्मत का साबदा होता है यहाँ से।

10- जुड़वा बच्चों वाला कोडिन्ही गाँव, केरल

जब आप आएँगे इस गाँव में तो यहाँ सब कुछ सामान्य लगेगा । वहीं सुहावना मौसम, वही स्कूल जाते बच्चे, वही अपने पति से नोंक झोंक करती पत्नियाँ, कुछ पुराने रीति रिवाज़ मानते लोग। आप मुझसे कहोगे कि, “कहाँ ले आए हमको। क्या ख़ास है इस जगह में?” फिर मैं आपसे थोड़ा ग़ौर करने को कहूँगा। और फिर आप चौंक जाओगे। 2000 परिवार वाले इस गाँव में जुड़वा बच्चों के 220 जोड़े मिलेंगे आपको यहाँ पर।

सन् 2008 में 300 में से 15 परिवारों के घर जुड़वा बच्चे पैदा हुए। वहीं 2009 से 14 के बीच में 30 परिवारों के घर जुड़वा किलकारियाँ गूँजीं। वैज्ञानिकों से पूछो तो वो ख़ुद आश्चर्य से आसमान ताड़ने लगते हैं कि यहाँ चल क्या रहा है। उनके पास भी कोई जवाब नहीं।  इसीलिए कहता हूँ, पहले अपना घर ही देख लीजिए, बाहर की ख़ूबसूरती देखने का प्लान बाद में बनाइएगा।

मैंने ख़ुद नहीं सोचा था कि भारत में इतनी जगहें और ऐसी अविस्मरणीय कहानियाँ मिलेंगी जिनको सुनकर वैज्ञानिक कन्फ्यूज़ हो जाएँगे।

source – Tripoto