स्कूल दूर था, ऐसे में छात्रा ने बनाई हवा से चलने वाली साइकिल

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‘आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है’, ये वाक्य तो काफ़ी प्रचलित है. अगर इसी वाक्य को ऐसे कहें कि ‘मज़बूरी भी आवश्कता की जननी है,’ तो कहना गलत ना होगा. इस बात को यथार्थ करने के लिए हम आपको एक स्टोरी से रू-ब-रू करवाने जा रहे हैं.
सभी बच्चों की चाहत होती है कि वो स्कूल जाएं, मगर उसकी ये चाहत नहीं होती है कि वो दूर पैदल चल कर स्कूल जाए. लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज भी देश में कई ऐसे बच्चे हैं, जिन्हें साइकिल से स्कूल जाना पड़ता है. गर्मी हो या बरसात, हर समय में साइकिल में पैडल मारना पड़ता है. सभी बच्चों की तरह ओडिशा की 14 साल की छात्रा तेजस्विनी प्रियदर्शनी भी साइकिल से स्कूल जाती थी. स्कूल दूर होने के कारण वो काफ़ी थक जाती थी. ऐसे में उसने एक ऐसी साइकिल की खोज की, जो बिना पैडल की है. यह एक ऐसी साइकिल है, जो हवा से चलती है. यह सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, मगर ये शत-प्रतिशत सच है. राउरकेला के सरस्वती शिशु विद्या मंदिर की 11वीं की छात्रा तेजस्विनी की खोज से पूरे राज्य में ख़ुशी की लहर है.

कैसे मिला Idea?

तेजस्विनी को पहली बार इसका विचार तब आया, जब वह साइकिल रिपेयर की दुकान पर गई थी. उसने देखा कि कैसे मैकेनिक साधारण-सी एयर गन का इस्तेमाल कर साइकिल के टायरों की गांठें सुलझाते हैं. उसने सोचा कि अगर एयर गन यह काम कर सकती है तो इससे साइकिल भी चल सकती है. उसने अपना आइडिया अपने पिता नटवर गोच्चायट के साथ साझा किया, जिन्होंने बेटी को प्रेरित किया और जरूरी सामान दिलवाया.

क्या है इनोवेशन?

साइकिल में एयर सिलेंडर लगा हुआ है.
एयर सिलेंडर की मदद से साइकिल चलने लगती है.
साइकिल में 6 गियर लगे हुए हैं.
साइकिल में एक स्टार्टिंग नॉब है.
एक सेफ्टी वॉल्व भी है जो अतिरिक्त एयर रिलीज़ करती है.
तेजस्विनी की खोज वाकई में अद्भुत है. उसके इनोवेशन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि दुनिया में कोयला, तेल, गैस, पेट्रोल और डीजल की खपत ज़्यादा हो रही है. यह खोज पूरे विश्व के लिए एक नई राह है.