रेलवे में FDI की सच्चाई

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मित्रो वैसे तो WTO समझोते मे 2000 से अधिक शर्ते हैं  लेकिन उसमे एक शर्त ये भी है की सरकार किसी भी service sector को core sector मे नहीं रख सकती ! उसका निजीकरण करना पड़ेगा ! अब बात करते है service sector (सेवा का क्षेत्र ) क्या होता ?? और core sector क्या होता है ??  बैंक सभी service sector मे आते है , बीमा कंपनियाँ सभी service सैक्टर मे आती है, स्कूल चलते है सभी service sector मे आते है,  कालेज चलते है सभी service sector मे आते हैं मंदिर service sector मे आते है होटल है सभी service sector मे आते है हास्पिटल है सभी service मे आते है किरयाने की दुकाने है सभी services मे आते है वकालत की फ़र्मे है service sector मे आती है रेलवे service sector मे आता है रक्षा का क्षेत्र service sector मे आता है आप मोटी-मोटी एक बात याद रखिए उत्पादन (production) को छोड़ कर सब कुछ service के क्षेत्र मे आता है !

अगर रेलवे में FDI आई तो उससे क्या क्या होगा इस विडियो में देखिए >>

अब बात करते है core sector क्या है ! core sector वो sector होता है जिसका कभी भी निजीकरण privatization नहीं किया जा सकता है इसको सरकार अपने पास ही रखती है ! अब WTO समझोते मे शर्त है कि सरकार किसी भी services sector को core sector मे नहीं रख सकती है उसको इसे निजी और विदेशी कंपनियो के लिए खोलना ही पड़ेगा

core sector मे मुख्यता तीन services आती है

1) हवाई सेवा (airline services )

2) रक्षा का क्षेत्र ( defence sector )

3) रेलवे
अब WTO की शर्त के अनुसार आप इसे core sector मे रख नहीं सकते ! आपको बेचना ही है !

अभी आप देखिये हवाई सेवा का निजीकरण हो चुका है ! पहले सिर्फ air india होती थी और आज कितनी ही कंपनिया आ गई है

रक्षा क्षेत्र बिक चुका है 26 % FDI मनमोहन सिंह कर गया था भाजपा 100 % करने जा रही है !

तो बचा सिर्फ रेलवे तो उसमे भी सरकार ने लगभग 100 % FDI की हरी झंडी दे ही दी है !सरकार कारण कुछ भी बताये की आधुनिककरण करना है बुलेट ट्रेन चलानी है ये करना है वो करना है असली कारण ये है की सारा खेल wto समझोता के अनुसार खेला जा रहा है जो सरकार आपको बता नहीं रही !

तो मित्रो रेलवे खोलना है विदेशी कंपनियो के लिए ! तो अब होगा ये की रेलवे ट्रैक बिकेंगे इस देश मे ! अर्थात मुंबई से कलकत्ता एक ट्रैक खरीद लिया किसी एक कंपनी ने ! तो अब उस ट्रैक पर जितनी भी ट्रेन चलेगी उससे जो आय अब हो उस कंपनी के खाते मे जाएगी ! ऐसे ही मान लीजिये मुंबई से अहमदाबाद का ट्रैक खरीद लिया किसी एक कंपनी ने ! तो अब उस ट्रैक पर जितनी भी ट्रेन चलेगी उससे जो आय अब हो उस कंपनी के खाते मे जाएगी ! ऐसे अन्य सभी स्टेशनो पर होगा ! और रेलवे को भारत सरकार टुकड़े-टुकड़े करके बेच सके उसके लिए पिछली सरकार ने ही बहुत से नए zone बना दिये थे ! जैसे Central Railway ,Eastern Railway, Northern Railway, Southern Railway आदि

ऐसा इसलिए किया गया है की पूरे रेलवे को खरीदने की ताकत किसी एक कंपनी ने नहीं है इसलिए टुकड़े-टुकड़े कर के बेचो ! जैसे Central Railway एक को बेच दिया ,Eastern Railway दूसरे को ,Northern तीसरे को ! शुरुवात शायद रेलवे के प्लेटफार्म से होगी ! रेलवे प्लेटफार्म पर क्या है ? दूध मिलता है ,चाय मिलती है ,बिस्कुट ,टाफी ,मिलती है ,डबल रोटी मिलती है फल आदि मिल जाते है ! तो ये सब अब आप कुछ समय बाद देखेंगे की मिलना बंद हो जाएगा !
और इन सबका ठेका किसी विदेशी बड़ी खाने-पीने वाली कंपनी को दे देंगे जैसे मैकडोनल्ड को दे दिया या KFC को दे दिया या और किसी बड़ी कंपनी को दे दिया ! तो होगा ये एक लंबी चैन हर स्टेशन पर आपको इनके छोटे छोटे रेस्टोरेंट खुले दिखाई देंगे ! और हमारे समाज का एक वर्ग तो है ही ऐसा की जहां भी विदेशी चीजें देखेगा उसे आधुनिकरण
बताएंगा ! और सरकार के गुण गाएगा !!

ऐसे ही गीता प्रेस और अन्य छोटी संस्थाओ मैगजीन बेचती है उसका ठेका किसी विदेशी मैगजीन बेचने वाली कंपनी को दे दिया जाएगा ! पानी मिलता है वो बंद हो जाएगा और उसका ठेका किसी बड़ी कंपनी को दे दिया जाएगा ! जैसे मान कोका ,कोला या पेप्सी को दे दिया तो आप देखेंगे की रेलवे पर पीने के लिए किन्नले या एक्वाफ़ीना ही मिलेगा आप जो मर्जी ख़रीदों पैसा अमरीकी कंपनी के पास !! ऐसे रेलवे के पास बहुत सारी खाली जमीन पड़ी है वो जमीन उठा बड़ी कंपनियो को कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए बेच दी जाएगी !!

रेलवे भारत सरकार का है !आज रेलवे से जितनी आमदनी है वो भी भारत सरकार की है ! आपने FDI लागू कर विदेशियों के लिए रेलवे खोल दिया और उसका कुछ हिस्सा विदेशियों को बेच दिया ! विनिवेश कर दिया,अपनी हिस्सेदारी कम कर दी तो पहले बार तो बेचने मे आप धन जुटा लेंगे ! लेकिन एक तरह से आपने अपनी आय की हिस्सेदारी भी तो कम कर ली ! जो हिस्सा आपने विदेशी कंपनियो को बेचा अब वो वहाँ से पैसा कमाएँगी ! जबकि कल तक ये पैसा आप कमा रहे थे !! तो सरकार ने आय तो कम कर ली लेकिन खर्चे पहले जैसे ही है ! तो खर्चे पूरा करने के लिए फिर आप भाड़ा बढ़ाकर सरकार जनता की जेब मे मुंह मारेगी !!

तो अंत मे कहने का अर्थ ये ही है मित्रो की सरकारों को गलियाँ देने से क्या मिलेगा ?? समस्या तो नीतियो मे है व्यवस्था मे है ! अभी कल तक हमारी समस्या ये थी की हमे किसी भी तरह कांग्रेस को भागना था तो हम किसी समस्या का मूल कारण बताने की बजाय सारा ठीकड़ा कांग्रेस पर फोड़ देते थे ! अब सत्ता बदल चुके ही है और जैसा लोग कहते है अब सत्ता अच्छे हाथो मे तो अब हमे चाहिए की हम समस्याओ का मूल कारण ढूंदे और सरकार पर इसको रोकने और बदलने का दबाव बनाये ! क्योंकि बहुत वर्ष बाद सरकार के पास पूर्ण बहुमत है वरना क्या होगा ??

मान लो हम समस्याओ के मूल कारण पर बात ना करे सरकार को गलियाँ दे जाए.  मोदी को हटा कर फिर किसी और को ले आए फिर सत्ता परिवर्तन करे फिर जिस को लेकर आए वो भी हमारे काम ना करे फिर किसी और को ले आए ! तो ये काम तो मित्रो पिछले 67 सालो से चल ही रहा है हर बार हम सरकारें  ही तो बदल रहे है तो अब समय आ गया है जब हम सत्ता नहीं व्यवस्था बदले  पुराने अँग्रेजी कानूनों और गलत नीतियो को बदले ,उसकी जगह नई नीतियाँ  भारत और भारतीयता के अनुसार बनाये !!

तो इसलिए मित्रो WTO समझोते के बारे मे लोगो मे अधिक से अधिक जागृति लाये ताकि वो सरकारों पर दबाव बनाये वो इसे रद्द करे !