इस त्यौहार को क्यों खाया जाता है बासी भोजन, जानिए वैज्ञानिक कारण

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वागभट्ट जी कहते हैं कि कोई भी भोजन जो हम बनाते हैं 48 मिनट के अंदर उसका उपभोग हो जाना चाहिए रोटी बनी या चावल या डाल या खीर जो भी बनाएं उसे 48 मिनट में ही खा लें वागभट्ट जी गणित के बहुत बड़े वैज्ञानिक थे आयुर्वेदिक के चिकित्सक तो थे ही उन्होंने लिखा है 50 पल में खा लें यानी के 48 मिनट में

48 मिनट के बाद उसकी पोषकता कम होती जाएगी 2 घंटे बाद और कम हो जाएगी और 48 घंटे बाद तो खाने का कोई फायदा ही नही बासी हो जायेगा और बासी भोजन तो हमें जानवरों को भी नही देना चाहिए

वागभट्ट जी कहते हैं कि साल में 365 दिन होते हैं जिसमे से एक ही दिन आता हैं जिस दिन हम बासी भोजन खा सकते बाकि के 364 दिन नही खाना चाहिए और उस दिन की उन्होंने ऐसी कैलकुलेशन की है कि उस दिन शरीर के वात, पित्त और कफ की अवस्था ऐसी होती है कि उस दिन बासी भोजन ही किया जाता है उसी के आधार पर हमारे देश में एक त्योंहार मनाया जाता है जिसका नाम है बसोडा और जिस दिन जिस महीने में यह त्योंहार आता है वागभट्ट जी की कैलकुलेशन के हिसाब से भी वही दिन आता है इसी बात से पता चलता है कि भारत के हर त्योंहार के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक कारण होता है

वागभट्ट जी के अनुसार शरीर में तीन दोष हैं ये समान स्तिथि में रहे तो व्यक्ति स्वस्थ रहता है यदि एक भी दोष कम या ज्यादा हो जाये तो शरीर रोगी हो जाता है या रोग पैदा होते है तो एक ही दिन ऐसा आता है जिस दिन इन दोषों की स्तिथि विचित्र होती है यानी होनी नही चाहिए तो वागभट्ट जी कहते हैं की उस स्तिथि को काबू में लेन के लिए बासी खाना ही चाहिए ऐसा भोजन खाना चाहिए जिसकी पोषकता बिलकुल चली गयी हो उस दिन शरीर को बिलकुल भी प्रोटीन नही चाहिए तो बासी भोजन में प्रोटीन नही होता तो ऐसा भोजन खाना ही चाहिए उस दिन, और उसी दिन के लिए घरों में फ्रीज का इस्तेमाल होता है क्योंकि फ्रिज में रखा हुवा भोजन ही बासी होता है तो 364 दिन बिजली क्यों खर्च करें फ्रिज चलाकर

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