शौच करने समय होती है जलन और दर्द तो आपको भी हो सकता है भगंदर? जानिए लक्षण, कारण और इलाज

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भगंदर, नाम से भले ही अजीब लगता है, लेकिन यह बड़ी बीमारी है। एक मामूली फोड़े से बढ़ कर भयंकर दर्द देने वाली बीमारी, जो कि किसी को भी हो सकती है। इस बीमारी को फिस्टुला भी कहते हैं। गुदा नली में पस जमा होने के कारण भगंदर जानलेवा दर्द दे सकता है। इस बीमारी को ऐसे समझें कि हमारे कुछ नाजुक अंग या नस जो आपस में जुड़े नहीं होते, उन्हें यह जोड़ देता है। जैसे आंत को त्वचा से, योनि को मलाशय से। आइए जानते हैं भगंदर के लक्षण, कारण, बचाव और इलाज के बारे में:

फिस्टुला में सबसे आम होता है- एनल फिस्टुला यानी भगंदर। यह छोटी नली की तरह होता है, जो आंत के अंतिम हिस्से को गुदा के पास की त्वचा से जोड़ देता है। गुदा नली में पस जमा होने के कारण कई बार ऑपरेशन की जरुरत पड़ जाती है।

भगंदर और बवासीर में अंतर

कई लोग बवासीर और भगंदर रोग को लेकर कनफ्यूज हो जाते हैं, जबकि दोनों में बहुत बड़ा अंतर है। बवासीर रोग में गुदा के बाहर नस फूलकर मोटी हो जाती है और अंगूर के दानों के बराबर बाहर निकल जाती है। ज्यादा कब्ज की स्थिति में वे फट जाती है। और खून निकलने लगता है। जबकि ये जब गुदा के अंदर होता है तो वो भगंदर कहलाता है, जोकि एक विकट समस्या हैं।

भगंदर के लक्षण:

  • गुदा में बार-बार फोड़े होना
  • गुदा के आसपास दर्द और सूजन
  • शौच करने में दर्द
  • मलद्वार से रक्तस्नाव
  • बुखार लगना, ठंड लगना और थकान होना
  • कब्ज होना, मल नहीं हो पाना
  • गुदा के पास से बदबूदार और खून वाली पस निकलना
  • बार-बार पस निकलने के कारण गुदा के आसपास की त्वचा में जलन

बचाव

अगर कभी आपको गुदा द्वार के पास फुंसी, फोड़ा वगैरह हो चुका है तो भगंदर से बचने के लिए आपको सावधानियां बरतनी चाहिए।

  • कब्ज या सूखे मल की स्थिति में पर्याप्त मात्रा में फाइबर लें।
  • तरल पदार्थ/पेय का ज्यादा सेवन करें। शराब और कैफीन (चाय-कॉफ़ी) पीने से बचें।
  • शौच को रोकें नहीं। बहुत जरुरी हो तो भी ज्यादा देर तक न रोकें।
  • पाचन तंत्र फिट रखने के लिए रोजाना कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें।
  • शौच करने में पर्याप्त समय लें। न बहुत हड़बड़ी करें और न ही बहुत ज्यादा देर तक बैठे रहें।
  • मल द्वार को साफ और सूखा रखें। शौच के बाद अच्छे से सफाई करें।

भगंदर का परीक्षण

कुछ का भगंदर का पता लगाना आसान होता है और कुछ का कठिन। कभी-कभी यह खुद ठीक हो जाता है तो कभी-कभी ठीक होने के बाद फिर से हो जाता है।

इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर मलद्वार से रिसाव और रक्तस्त्राव के लक्षणों की जांच करते हैं। इसका पता लगाने के लिए कोलोनोस्कोपी  की भी जरुरत पड़ सकती है। इसमें आपके गुदा में एक कैमरे वाली ट्यूब डाली जाती है, गुदा और मलाशय का भीतरी हिस्सा देखा जाता है।

इलाज

अगर आपको बवासीर है, भंगंदर है, गोल तीर है, होसिला है, फिशर है जिसे पाइल्स बवासीर भी कहते है. इसका सबसे अच्छा इलाज है मुली का रस. जो हमारे घर में आसानी से मिल जाती है. एक कप मुली का रस खाना खाने के एक घंटे बाद ले. ये जल्दी बवासीर ठीक करता है. इससे 20-20 साल पुरानी बवासीर भी ठीक होती है. बवासीर दो तरह की होती है. एक खुनी होती है, और एक काली इसके सेवन से दोनों ठीक होती है. जिसको हम पुस्यला बदन दर्द कहते है. ये भी ठीक हो जाता है.

इसकी एक और ओषधि है, काले अंगूर का रस. जोकि बवासीर और बदन दर्द की एक अच्छी दवा है. अगर कोई काले अंगूर रस का एक कप जूस पिएगा तो उसका बवासीर और बदन दर्द ठीक हो जाएगा. बवासीर और बदन दर्द अनार के रस से भी ठीक हो जाता है. बवासीर और बदन दर्द के लिए एक और बहुत अच्छी दवा है, जिसको आप कपूर  कहते है, इसका प्रयोग आप पूजा मे भी करते है. कपूर का थोडा सा टुकड़ा केले मे लगा के खा ले तो तुरंत ये बवासीर और बदन दर्द को ठीक करता है. लेकिन इसका सेवन हर रोज नहीं करना है. इसको आप महीने में दो बार ले सकते है और अधिक से अधिक तीन बार ये बवासीर के लिए बहुत उपयोगी दवा है.

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