अखरोट के पेड़ बहुत सुन्दर और सुगन्धित होते हैं, इसकी दो जातियां पाई जाती हैं। जंगली अखरोट 100 से 200 फीट तक ऊंचे, अपने आप उगते हैं। इसके फल का छिलका मोटा होता है। कृषिजन्य 40 से 90 फुट तक ऊंचा होता है और इसके फलों का छिलका पतला होता है। इसे कागजी अखरोट कहते हैं। इससे बन्दूकों के कुन्दे बनाये जाते हैं। अखरोट बहुत ही बलवर्धक है, हृदय को कोमल करता है, हृदय और मस्तिष्क को पुष्ट करके उत्साही बनाता है इसकी भुनी हुई गिरी सर्दी से उत्पन्न खांसी में लाभदायक है। यह वात, पित्त, टी.बी., हृदय रोग, रुधिर दोष वात, रक्त और जलन को नाश करता है।
अखरोट को पावर फूड का नाम दिया गया है क्योंकि यह स्टैमिना बढ़ाने में मदद करता है। इसे ब्रेन फूड भी कहा जाता है। एक अमेरिकी संस्थान की रिसर्च की मानें तो विटामिन ई, ओमेगा 3 फैटी ऐसिड, ऐंटीऑक्सिडेंट्स का अच्छा स्रोत होने से इसको रोज खाने से दिमाग को ऊर्जा मिलती है। जानें अखरोट खाने के फायदे…
नींद ना आने की समस्या होगी दूर-
मेलाटोनिन नामक होर्मोन हमारी नींद के लिए उत्तरदायी होता है और यही मेलाटोनिन अखरोट में भी पाया जाता है। ऐसे में जिन लोगों को नींद ना आने की समस्या होती है, उन्हें अखरोट के सेवन की सलाह दी जाती है।
डाइटिंग करने वालों के लिए फायदेमंद-
अखरोट में फैट और कैलरी की भरपूर मात्रा होती है इसीलिए यह डाइटिंग करने वालों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। शरीर को फायदा देने वाले वसा की उचित मात्रा के साथ अखरोट में जरूरी फाइबर और प्रोटीन भी होते हैं, जो शरीर को एनर्जी और सेहत देते हैं।
ऐंटीऑक्सिडेंट गुणों से भरपूर-
अखरोट ऐंटीऑक्सिडेंट का बड़ा स्रोत है। इसमें ओमेगा 3 ऐसिड भी उच्च मात्रा में पाया जाता है जो शरीर को होने वाले नुकसान को ठीक करता है। यह शरीर के लिए एक जरूरी वसीय अम्ल है।
दिल को रखता है स्वस्थ-
अखरोट हृदय को रोगों से बचाता है। अखरोट को ऐसे ही बिना किसी सैचुरेटेड फैट वाली चीज के साथ खाएं। यह आपके दिल को बीमारियों से बचाने में भी मदद करता है। अपने दिल की हिफाजत के लिए अखरोट को रोजाना अपने आहार में शामिल करें। हाई बीपी का मुख्य कारण तनाव है। तनाव ही आपके ब्लड प्रेशर को बढ़ा कर परेशानियां पैदा कर देता है।
कोलेस्ट्रॉल कम करता है-
अखरोट में ओमेगा 3 की उपस्थिति ही शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में सहयोग देती है। इसके अलावा पित्ताशय को ठीक रख उसे सुचारु रूप से कार्य करने में भी मदद देती है।
विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)
प्रमेह (वीर्य विकार) : अखरोट की गिरी 50 ग्राम, छुहारे 40 ग्राम और बिनौले की मींगी 10 ग्राम एक साथ कूटकर थोड़े से घी में भूनकर बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर रखें, इसमें से 25 ग्राम प्रतिदिन सेवन करने से प्रमेह में लाभ होता है। ध्यान रहे कि इसके सेवन के समय दूध न पीयें।
वात रोग : अखरोट की 10 से 20 ग्राम की ताजी गिरी को पीसकर दर्द वाले स्थान पर लेप करें, ईंट को गर्मकर उस पर जल छिड़ककर कपड़ा लपेटकर उस स्थान पर सेंक देने से शीघ्र पीड़ा मिट जाती है। गठिया पर इसकी गिरी को नियमपूर्वक सेवन करने से रक्त शुद्धि होकर लाभ होता है।
शोथ (सूजन) :
अखरोट का 10 से 40 मिलीलीटर तेल 250 मिलीलीटर गौमूत्र (गाय के पेशाब) में मिलाकर पिलाने से सभी प्रकार की सूजन में लाभ होता है।
वात-जन्य सूजन में इसकी 10 से 20 ग्राम अखरोट की गिरी को कांजी में पीसकर लेप करने से लाभ होता है।
बूढ़ों के शरीर की कमजोरी : 10 ग्राम अखरोट की गिरी को 10 ग्राम मुनक्का के साथ रोजाना सुबह खिलाना चाहिए।
दाद : सुबह-सुबह बिना मंजन कुल्ला किए बिना 5 से 10 ग्राम अखरोट की गिरी को मुंह में चबाकर लेप करने से कुछ ही दिनों में दाद मिट जाती है।
नासूर : अखरोट की 10 ग्राम गिरी को महीन पीसकर मोम या मीठे तेल के साथ गलाकर लेप करें।
घाव (जख्म) : इसकी छाल के काढे़ से घावों को धोने से लाभ होता है।
नारू (गंदा पानी पीने से होने वाला रोग) :
अखरोट की खाल को जल के साथ महीन पीसकर आग पर गर्म कर नहरुआ की सूजन पर लेप करने से तथा उस पर पट्टी बांधकर खूब सेंक देने से नारू 10-15 दिन में गलकर बह जाता है।
अखरोट की छाल को पानी में पीसकर गर्मकर नारू के घाव पर लगावें।
अफीम के जहर पर : अखरोट की गिरी 20 से 30 ग्राम तक खाने से अफीम का विष और भिलावे के विकार शांत हो जाते हैं।
कब्ज : अखरोट के छिलकों को उबालकर पीने से दस्त में राहत मिलती है।
दस्त के लिए : अखरोट को पीसकर पानी के साथ मिलाकर नाभि पर लेप करने से पेट में मरोड़ और दस्त का होना बंद हो जाता है।
अखरोट के छिलकों को पानी के साथ पीसकर पेट की नाभि पर लगाने से पेट में होने वाली मरोड़ के साथ आने वाले दस्त तुरंत बंद हो जाते हैं।
खूनी बवासीर (अर्श) : अखरोट के छिलके का भस्म (राख) बनाकर उसमें 36 ग्राम गुरुच मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से खूनी बवासीर (रक्तार्श) नष्ट होता है।
कमजोरी : अखरोट की मींगी पौष्टिक होती है। इसके सेवन से कमजोरी मिट जाती है।
लकवा (पक्षाघात-फालिस-फेसियल, परालिसिस) : रोजाना सुबह अखरोट का तेल नाक के छिद्रों में डालने से लकवा ठीक हो जाता है।
नष्टार्तव (बंद मासिक धर्म) : अखरोट का छिलका, मूली के बीज, गाजर के बीज, वायविडंग, अमलतास, केलवार का गूदा सभी को 6-6 ग्राम की मात्रा में लेकर लगभग 2 लीटर पानी में पकायें फिर इसमें 250 ग्राम की मात्रा में गुड़ मिला दें, जब यह 500 मिलीलीटर की मात्रा में रह जाए तो इसे उतारकर छान लेते हैं। इसे सुबह-शाम लगभग 50 ग्राम की मात्रा में मासिक स्राव होने के 1 हफ्ते पहले पिलाने से बंद हुआ मासिक-धर्म खुल जाता है।
दर्द व सूजन में : किसी भी कारण या चोट के कारण हुए सूजन पर अखरोट के पेड़ की छाल पीसकर लेप करने से सूजन कम होती है।
पेट में कीड़े होने पर : अखरोट को गर्म दूध के साथ सेवन करने से बच्चों के पेट में मौजूद कीड़े मर जाते हैं तथा पेट के दर्द में आराम देता है।