भगंदर: भगन्दर रोग और इस के लक्षण,घरेलु इलाज़ और परहेज

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भगन्दर गुद प्रदेश में होने वाला एक नालव्रण है जो भगन्दर पीड़िका (abscess) से उत्पन होता है। इसे इंग्लिश में फिस्टुला (Fistula-in-Ano) कहते है। यह गुद प्रदेश की त्वचा और आंत्र की पेशी के बीच एक संक्रमित सुरंग का निर्माण करता है जिस में से मवाद का स्राव होता रहता है। यह बवासीर से पीड़ित लोगों में अधिक पाया जाता है। सर्जरी या शल्य चिकित्सा या क्षार सूत्र के द्वारा इस में से मवाद को निकालना पड़ता है और कीटाणुरहित करना होता है। आमतौर पर यही चिकित्सा भगन्दर रोग के इलाज के लिए करनी होती है जिस से काफी हद तक आराम भी आ जाता है।

भगन्दर रोग के लक्षण

बार-बार गुदा के पास फोड़े का निर्माण होता, मवाद का स्राव होना, मल त्याग करते समय दर्द होना, मलद्वार से खून का स्राव होना, मलद्वार के आसपास जलन होना, मलद्वार के आसपास सूजन, मलद्वार के आसपास दर्द, खूनी या दुर्गंधयुक्त स्राव निकलना, थकान महसूस होना,इन्फेक्शन (संक्रमण) के कारण बुखार होना और ठंड लगना

भगन्दर रोग के कारण

गुदामार्ग के पास फोड़े होना।, गुदामार्ग का अस्वच्छ रहना, पुरानी कव्ज, वेक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण, अनोरेक्टल कैंसर से, गुदा में खुजली होने या किसी और कारण से गुदा में घाव का हो जाना, ज्यादा समय तक किसी सख्त या ठंडी जगह पर बैठना, इसके अलावा यह रोग बूढ़े लोगो में गुदा में रक्तप्रवाह के घटने से हो सकता हैं,

भगन्दर का घरेलू उपचार वा नुस्खे

निम्नलिखित घरेलू उपचार वा नुस्खे भगन्दर रोगी के लिए हितकारी है।

हरी शाकाहारी सब्ज़ियों

ये अक्सर देखा गया है हम अपने खाने पीने में हरी सब्जियों का सेवन कम कर दिया है। हरी सब्जियां जैसे पालक, मूली, परवल, करेला, बथुआ, सरसों का साग, हरी सब्जियों का सलाद, गेहूं के आटे की रोटी चोकर के साथ का अवश्य खाना चाहिए। ये कब्ज़ की शिकायत नहीं होने देती।

फलों का ख़ूब उपयोग करे

रोगी को फलों का सेवन ज़रूर करना चाहिये, इसमें कई तरह के पौष्टिक तत्व पाए जाते है, जो इस रोग में बहुत मदद कर सकते हैं। फल जैसे पपीता, केला, सेब, नाशपाती, तरबूज़, अमरुद और मौसमी फल बहुत आवश्यक हैं। इनका नियमित रूप से सेवन करना चाहिए।

ज़्यादा पानी पियें

इस रोग में रोगी को नियमित रूप से पानी का सेवन करना चाहिए। पानी की कमी से शरीर के अंदर से गंदगी नहीं निकल पाती। पानी में जैसे जूस, नारियल पानी, छाछ, निम्बू पानी, लस्सी आवश्यक रूप से लेना चाहिए।

मल मूत्र को न रोके

अपने मल मूत्र का सही समय पर त्याग करें। ज्यादा समय तक मल मूत्ररोक कर रखने से मल सख्त और सुखा हो जाता हे, जिससे भगन्दर रोगी को पीड़ा का अनुभव होता है। इसको ज्यादा देर तक को रोक कर न रखे।

व्यायाम और सुबह की सैर रोज़ करें

व्यायाम नियमित रूप से करना चाहिए। २० से ३० मिनट तक घूमना चाहिए या सुबह की सैर करनी चाहिए। इससे कब्ज़, उच्च रक्तचाप और मोटापा कम करने में मदद मिलती है।

गर्म पानी से सिकाई

नहाने के समय गरम पानी से मल की जगह की सिकाई १५ मिनट तक अवश्य करें। इससे रोगी को काफी राहत मिलती है। दिन में कम से कम २ से ३ बार अवश्य करें। अपने मल मूत्र और उसके आस पास की जगह को हमेशा साफ रखे।

बर्फ़ से सिकाई

बर्फ़ की सिकाई करने से रोगी को पीड़ा में राहत मिलती है। इसे दिन में कई बार किया जा सकता है। इससे मल त्याग करने में दर्द का कम अनुभव होता है। सूजन को कम करता है।

भगन्दर में इन बातों का ध्यान रखें

तेल में तली भुनी चीजों का इस्तेमाल कम करें, शराब से बचें, पानी के कम से कम ८ – ९ गिलास अवश्य पियें, काफ़ी और चाय का कम सेवन करें, एक जगह पर ज्यादा देर तक न बैठे, दर्द निरोधक दवाओं का सेवन कम करें, इससे कब्ज़ की सम्भावना बढ़ती है, सूती कपड़े का इस्तेमाल ज्यादा करें, बैठने के लिए तकिये का इस्तेमाल करें , सख्त सतह पर न बेठे, अपने रहन सहन की आदतों में परिवर्तन करें। समय पर उठना और समय पर अवश्य खाना खायें, मल की जगह को अच्छी तरह साद करें .

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