फ़िल्में समाज का आईना हैं। आईना कुछ छिपाता नहीं। ख़ूबसूरती भी उतनी ही दिखाता है, जितनी बदसूरती। आईने को हक़ नहीं किसी को बदसूरत करने का। वो करता भी नहीं, पर फ़िल्म वाले बदमाश हैं।
अपनी फ़िल्मों में बेहतरीन लोकेशन दिखाने के चक्कर में डायरेक्टरों ने इन पर्यटन स्थलों का जमकर नुकसान किया है। एक बार मेरा मन किया कि इन बेहतरीन फ़िल्म लोकेशनों पर जाकर देखा जाए। मैंने टिकट भी बुक कर ली। लेकिन जैसे ही मैं वहाँ पहुँचा, यहाँ की भारी भीड़ और गंदगी देख मुझे इन हिन्दी फ़िल्मों से कुछ नाराज़गी सी हो गई। पहले ये जगहें ठीक हुआ करती थीं, लेकिन फ़िल्मों के बाद लाइमलाइट में आने से इनका हाल शर्मनाक हो गया।
देखिए भारत की वो ख़ूबसूरत टूरिस्ट जगहें, जो फ़िल्मों के कारण शिद्दत से बर्बाद हुईं।
1- पैंगोंग झील, लद्दाख
फ़िल्म ‘3 ईडियट्स’ देखी होगी आपने। देख लीजिए, ऐसा ‘चमत्कार’ बार-बार नहीं होता। बेहद शानदार फ़िल्म है। लेकिन लद्दाख में नीले पानी की प्रसिद्ध पैंगोंग झील इस फ़िल्म के बाद शानदार रूप से बर्बाद भी हुई है। आमिर ख़ान ने कभी नहीं सोचा होगा कि उनकी फ़िल्म की लोकेशन लोगों को इतनी पसन्द आ जाएगी कि उस जगह का ऐसा हाल कर देंगे। वैसे ये एक जगह नहीं है जिसने आमिर ख़ान की फ़िल्म से बदसूरती वाली शोहरत पाई हो, अगली जगह भी कुछ ऐसी ही है।
2- चपोरा किला, गोआ
गोआ का चपोरा किला फ़िल्म ‘दिल चाहता है’ की वजह से लोगों की नज़र में आया। तब से तीन दोस्तों की जोड़ियों ने यहाँ आकर पूरे किले की छीछालेदर कर दी। अब आलम यूँ है कि जगह का हाल बुरा है, लोगों के आने का बोझ इतना अधिक है कि नज़दीकी इलाक़े को नुकसान हो रहा है।
3- दूधसागर झरना, गोआ
फ़िल्म ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ के कारण सुर्ख़ियों में आने वाला दूधसागर झरना अब गोआ का नया नवेला टूरिस्ट स्पॉट बन गया है। कुछ ख़ास है नहीं इस झरने में, बल्कि इसे देखने के लिए आपको एक ट्रेन की भी टिकट लेनी पड़ेगी। लेकिन ऐसे कैसे भाई साहब, शाहरुख़ की फ़िल्म है और सबको दीपिका चाहिए, तो टिकटें ली जा रही हैं, और शाहरुख़ बना जा रहा है।
इस फ़िल्म का इतना प्रभाव इस दूधसागर झरने पर पड़ा कि चंद दिनों में भयंकर रूप से प्रसिद्ध हो गया। न झरना इस प्रसिद्धि के लिए तैयार था, न ही लोग। लेकिन किसी को क्या फ़र्क पड़ता है, पैसे बन रहे हैं तो सब ऑसम है जी।
4- अथिरापल्ली फॉल्स, केरल
तमिल फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध डायरेक्टर हैं, मणि रत्नम। उनको ये जगह है ख़ूब पसन्द। ख़ूब पसन्द मतलब कुछ ज़्यादा ही पसन्द। सर जी हिन्दी की दो फ़िल्में इस जगह पर फ़िल्मा चुके हैं। रावण और गुरू। दोनों फ़िल्में सुपरहिट।
फिल्म सुपर हिट, ऐश्वर्या का गाना ‘बरसो रे मेघा मेघा’ सुपर डुपर हिट। गाने के साथ लोकेशन की भी चर्चे हुए। अब सबको ऐश्वर्या बनना है, यहीं नाचना है, गाना है, तस्वीरें लेनी हैं।
मणि रत्नम के बाद इस जगह पर दिल आया एस. एस. राजामौली साहब का। अरे अपनी बाहुबली के डायरेक्टर। उन्होंने भी प्रभास को चढ़ा दिया जय माहिष्मती करने। उसके चक्कर में निपट गई ये ख़ूबसूरत सी जन्नत। पहले भी यह जगह प्रसिद्ध थी, इसके बाद तो दर्शकों की बाढ़ आ गई। नतीजा आप देख ही चुके हैं।
5- हिडिम्बा देवी मंदिर, मनाली
हिमाचल में देखने लायक प्रसिद्ध मंदिरों में एक मनाली का हडिंबा देवी मंदिर अब कुछ ज़्यादा ही प्रसिद्ध हो गया है। रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण की फ़िल्म ‘ये जवानी है दीवानी’ की शूटिंग इसी प्रसिद्ध मंदिर में हुई है। इस फ़िल्म के रिलीज़ के होने के बाद से इस मंदिर कि लोकप्रियता में तोड़ वृद्धि हुई है। आस पास के इलाक़ों में अब इसे ‘ये जवानी है दीवानी’ मंदिर भी बोलते हैं। फ़िल्म के होने से सैलानियों की इज़ाफ़ा हुई और जगह पर लोगों का बोझ बढ़ गया।
मक़सद किसी डायरेक्टर या फ़िल्म का दुष्प्रचार करना नहीं है, बस ध्यान दिलाना है कि उनकी नासमझी या फिर ख़ूबसूरती दिखाने की ललक उस जगह और नज़दीक के माहौल को कितना प्रभावित करती है।
फ़र्ज़ करिए कि आप अपने घर से बाहर निकले और 500 लोगों की भीड़ लगी है। एक दो दिन के लिए ठीक है लेकिन उसके बाद आपको भी चिढ़न होने लगेगी।
कुछ ऐसा ही महसूस करते होंगे यहाँ रहने वाले लोग, जब हम उस जगह को टूरिस्ट प्लेस बोलकर उनके इलाक़े को नुकसान पहुँचाते हैं, कूड़ा बिखेरते हैं और बेवजह दखल देते हैं। हमारे चक्कर में उस जगह पर पैसा तो पैदा होता है, पर पैसे ज़्यादा होने से दिन अच्छे होने की गारंटी कोई नहीं दे सकता।
फ़िल्मों के कारण प्रसिद्ध हुई इन जगहों के भविष्य पर आपका क्या ख़्याल है। इसमें ग़लती किसकी है, डायरेक्टरों की या फिर सैलानियों की, हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ।