ऐसा अजीबोगरीब देश जहा 13 महीने का साल होता है, आज भी 2013 चल रहा है

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जैसा कि हम सभी जानते ही हैं कि नये साल का पहला हफ्ता बीत चुका है. ऐसे में सबकी पार्टीज़ ख़तम हो चुकी है और हर कोई अपने डेली रूटीन की तरफ वापिस मुद रहा है. जहाँ भारत समेत अन्य देश साल 2020 का स्वागत करने में मशरूफ हैं वहीँ हम आपको आज एक ऐसे देश के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ आज भी साल 2013 चल रहा है. हालाँकि आपको पढने में थोडा अजीब लग रहा होगा लेकिन यह बिलकुल सच है.

दुनिया में ऐसे कईं अजीबोगरीब देश है जहाँ का हवा पानी हमसे उल्ट चलता है. अफ्रीकी देश इथियोपिया का कैलेंडर दुनिया से 7 साल, 3 महीने पीछे चलता है. जहाँ आज हम 2020 में जी रहे हैं वही यह लोग हमसे आज भी सात साल पीछे हैं. इसके इलावा आपको जानकर हैरानी होगी कि यहाँ साल में 12 महीने होने की जगह 13 होते महीने होते हैं. इस अंतराल के कारण यह देश बाकी अन्य देशों के मुकाबले काफी पीछे चल रहा है.


85 लाख से ज्यादा आबादी के साथ अफ्रीका के दूसरे सबसे ज़्यादा जनसंख्या वाले देश के तौर पर जाना जाने वाले इथियोपिया का अपना कैलेंडर ग्रेगोरियन कैलेंडर से लगभग पौने आठ साल पीछे है. यहां नया साल 1 जनवरी की बजाए हर 13 महीने बाद 11 सितंबर को मनाते हैं.

85 लाख से ज्यादा आबादी के साथ अफ्रीका के दूसरे सबसे ज़्यादा जनसंख्या वाले देश के तौर पर जाना जाने वाले इथियोपिया का अपना कैलेंडर ग्रेगोरियन कैलेंडर से लगभग पौने आठ साल पीछे है. यहां नया साल 1 जनवरी की बजाए हर 13 महीने बाद 11 सितंबर को मनाते हैं.

दरअसल ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत 1582 में हुई थी, इससे पहले जूलियन कैलेंडर का इस्तेमाल हुआ करता था. कैथोलिक चर्च को मानने वाले देशों ने नया कैलेंडर स्वीकार कर लिया, जबकि कई देश इसका विरोध कर रहे थे. इनमें इथियोपिया भी एक था.

दरअसल ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत 1582 में हुई थी, इससे पहले जूलियन कैलेंडर का इस्तेमाल हुआ करता था. कैथोलिक चर्च को मानने वाले देशों ने नया कैलेंडर स्वीकार कर लिया, जबकि कई देश इसका विरोध कर रहे थे. इनमें इथियोपिया भी एक था.


इथियोपिया में रोमन चर्च की छाप रही. यानी इथियोपियन ऑर्थोडॉक्स चर्च मानता रहा कि ईसा मसीह का जन्म 7 बीसी में हुआ और इसी के अनुसार कैलेंडर की गिनती शुरू हुई. वहीं, दुनिया के बाकी देशों में ईसा मसीह का जन्म AD1 में बताया गया है. यही वजह है कि यहां का कैलेंडर अब भी 2012 में अटका हुआ है, जबकि तमाम देश 2020 की शुरुआत कर चुके हैं.

इथियोपिया में हमेशा से ही रोमन चर्च की छाप रही है. यानी इथियोपियन ऑर्थोडॉक्स चर्च शुरू से ही यह मानता चला आ रहा है कि ईसा मसीह का जन्म 7 बीसी में हुआ था. इसी गणना के बाद लोगों ने साल और दिनों की गिनती करनी शुरू कर दी. वहीं, दुनिया के बाकी देशों में ईसा मसीह का जन्म AD1 में बताया गया है. यही वजह है कि यहां का कैलेंडर अब भी 2012 में अटका हुआ है, जबकि तमाम देश 2020 की शुरुआत कर चुके हैं.

इथियोपियन कैलेंडर में एक साल में 13 महीने होते हैं. इनमें से 12 महीनों में 30 दिन होते हैं. आखिरी महीना पाग्युमे कहलाता है, जिसमें पांच या छह दिन आते हैं. यह महीना साल के उन दिनों की याद में जोड़कर बनाया गया है, जो किसी वजह से साल की गिनती में नहीं आ पाते हैं.

आपको बता दें कि अफ्रीकी इथियोपियन कैलेंडर में एक साल में 13 महीने माने गये हैं. इसे 12 महीनों में क्रमवार 30 दिन होते हैं जबकि साल का आखिरी महीना पाग्युमे कहलाता है, जिसमें केवल पांच या छह ही दिन आते हैं. यह महीना साल के उन दिनों की याद में जोड़कर बनाया गया है, जो किसी वजह से साल की गिनती में नहीं आ पाते हैं.


इथियोपिया के लोग ध्यान रखते हैं कि इस कैलेंडर और उनकी मान्यताओं की वजह से सैलानियों को किसी किस्म की दिक्कत न हो. हालांकि इथियोपिया घूमने जाने वालों को होटल की बुकिंग और कई दूसरी बेसिक सुविधाओं में कहीं न कहीं इस कैलेंडर की वजह से परेशानी उठानी ही होती हैं.

इथियोपिया के लोग ध्यान रखते हैं कि इस कैलेंडर और उनकी मान्यताओं की वजह से सैलानियों को किसी किस्म की दिक्कत न हो. हालांकि इथियोपिया घूमने जाने वालों को होटल की बुकिंग और कई दूसरी बेसिक सुविधाओं में कहीं न कहीं इस कैलेंडर की वजह से परेशानी उठानी ही होती हैं.

इस देश की कई अन्य खासियतें भी हैं. जैसे यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल जगहों में सबसे ज्यादा जगहें इथियोपिया की हैं. जैसे दुनिया की सबसे गहरी और लंबी गुफा, दुनिया की सबसे गर्म जगह और ढेर सारी प्राकृतिक सुंदरता का यहां खजाना है, जिसकी वजह से दुनियाभर के सैलानी यहां आते हैं. 11 सितंबर को मनाया जाने वाला नया साल भी यहां का खास आकर्षण होता है.

अफ्रीकी इथियोपिया देश की कई और भी अन्य खासियतें हैं. मिली जानकारी के अनुसार यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल जगहों में सबसे ज्यादा जगहें अफ्रीकी इथियोपिया की ही हैं. जैसे दुनिया की सबसे गहरी और लंबी गुफा, दुनिया की सबसे गर्म जगह और ढेर सारी प्राकृतिक सुंदरता का यहां खजाना है, जिसकी वजह से दुनियाभर के सैलानी यहां आते हैं. 11 सितंबर को मनाया जाने वाला नया साल भी यहां का खास आकर्षण होता है.