किसान का कमाल, बंजर जमीन पर की खेती और कमाई दस करोड़ रुपए

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जेहन में खेती करने का जोश, जुनून और जज्बा हो तो कुछ भी मुश्किल नहीं होता। पाली जिले के सुमेरपुर के अशोक खत्री ने यहां बेड़ा गांव में पहली बार ब्रह्मा डेक नीम के पेड़ों की खेती कर इसे सही साबित किया है। खत्री ने सात साल पहले 2009 में यहां 250 बीघा जमीन पर नीम (ब्रह्मा डेक) की खेती की और आज यहां हजारों नीम के पेड़ लहलहा रहे हैं। दो साल बाद यानी 2018 में इन पेड़ों से करीब दस करोड़ की कमाई होनी तय है।

खत्री का मानना है कि बंजर से बंजर जमीन पर भी इसकी खेती आसानी से की जा सकती है और उस जमीन से लाखों-करोड़ों रुपए कमाए जा सकते हैं। बस, इसके लिए आपको नौ साल इंतजार करना पड़ता है। कारण कि इस खेती की अवधि नौ साल की होती है। फिलहाल खत्री जिले के अन्य किसानों को भी इस तरह की खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं ताकि बंजर या नाकार पड़ी जमीन वाले किसान भी लाखों रुपए कमा सकें।

ऐसे होती है खेती
ब्रह्मा डेक नीम की खेती को वन खेती कहा जाता है। यह अच्छी से लेकर बंजर जमीन पर भी आसानी से की जा सकती है। इस खेती की अवधि नौ साल है। एक बीघा जमीन में 215 पेड़ लगते हैं। बुवाई के दौरान पेड़ों की आपस में दूरी 9 फीट रखनी होती है। गर्मी में दस दिन में एक बार पानी देना होता है। वे बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति का उपयोग करते हैं। इससे पानी की बर्बादी नहीं होती। बिजली की खपत भी कम होती है। ऐसी पद्धति से बिजली और पानी दोनों की 50 से 60 प्रतिशत बचत होती है। बरसात और सर्दी के मौसम में इनको पानी की खास आवश्यकता नहीं रहती।

ऐसे होती है कमाई
ब्रह्मा डेक नीम की पत्तियों से लेकर जड़ तक सभी से कमाई होती है। पत्तियों को सूखाकर आयुर्वेदिक चिकित्सा के काम में लिया जाता है। इन पत्तियों को त्वचा की दवाएं बनाने वाली कम्पनियां अच्छे दामों में खरीदती हैं। छाल भी आयुर्वेदिक कार्यों में आती है। तना मोटा होने के कारण इमारती लकड़ी के काम आता है। इसके भी अच्छे दाम मिलते हैं। पेड़ की अन्य छोटी-मोटी टहनियां (लकडिय़ां) भी 12 रुपए किलो के भाव से बिकती है। अशोक खत्री के अनुसार एक पेड़ से कम से कम 18 से 20 हजार रुपए की कमाई होती है। यानी सिर्फ एक बीघा जमीन से करीब 4 लाख रुपए की कमाई हो जाती है। बकौल खत्री – “मुझे नीम की खेती किए सात साल बीत गए हैं, कभी कोई दिक्कत नहीं आई और आगे भी दो साल तक यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो 250 बीघा में की गई इस खेती से करीब 10 करोड़ की कमाई हो जाएगी।

नुकसान कुछ नहीं, फायदे अनेेक
ब्रह्मा डेक नीम के दो पेड़ों के बीच नौ फीट की दूरी रखनी पड़ती है। पेड़ों के बीच वाली जगह पर दूसरी खेती भी की जाती है। जैसे सब्जी वगैरह। सब्जी को गर्मी से बचाव के लिए आपको अलग से ग्रीन हाउस बनाने की आवश्यकता नहीं रहती। कारण यह है कि तीन साल की उम्र में ये पेड़ खुद ग्रीन हाउस में तब्दील हो जाते हैं। इस पेड़ों को जानवरों से बचाने की भी जरूरत नहीं है। कारण कि जानवर भी इस पेड़ को नहीं खाते हैं।

जानकार बताते हैं
जानकार बताते हैं कि ब्रह्मा डेक नीम की खेती करने से पहले आपको गिरदावरी के समय इस खेती का उल्लेख करवाना पड़ता है, उसके बाद ही आप इस तरह की खेती कर सकते हैं। ऐसी खेती करने वाले किसानों को इन पेड़ों को काटने के लिए किसी तरह के सरकारी इजाजत नहीं लेनी पड़ती। किसान जब चाहे इन पेड़ों को बगैर किसी इजाजत के काट सकता है।

ब्रह्मा डेक नीम की एक प्रजाति
ब्रह्मा डेक नीम की ही एक प्रजाति का नाम है। कोई भी किसान अपने खेत में इस तरह की खेती कर सकता है। इससे पर्यावरण भी शुद्ध रहता है। – बालाजी करी, वन अधिकारी

पाली से अमरसिंह राव (मो. 9414566265) की रिपोर्ट