ये हैं महावीर सिंह आर्य। बेहद साधारण से व्यक्ति, मगर ये किसी वैज्ञानिक से कम नहीं। खेती में नित नए प्रयोग करना इन्हें रास आता है। इन्होंने कई फसलों की नई किस्में इजाद की हैं। तभी तो भारत के तीन अलग-अलग राष्ट्रपति भी इनके अनुसंधान की तारीफ करने के साथ ही इनके नवाचार को किसानों के लिए महत्वपूर्ण बता चुके हैं।
-महावीर सिंह आर्य राजस्थान के चूरू जिले की राजगढ़ तहसील के गांव गुडान के रहने वाले हैं।
-ये गेहूं व सरसों की पांच-पांच नई किस्में तैयार कर चुके हैं। मूली की ढाई से साढ़े तीन फीट सोगरी की किस्म भी तैयार की है।
-गेहूं की 50, सरसों की 22, सोगरी की 20 से ज्यादा किस्मों पर शोध कर चुके हैं।
-सरसों की दस किस्में पीले मोटे दाने वाली तथा शलजम की एक किस्म तैयार की है। शेष सभी काले रंग में किस्मे हैं।
-इनके द्वारा तैयार की गई किस्मों की खासयित यह है कि ये अधिक पैदावार देने के साथ ही इनमें रोगों से लडऩे की क्षमता भी अधिक है।
-बाजरे की 17 किस्मों पर तथा ग्वार की 4 किस्मों पर शोध कर रहे हैं। इनमें अधिकांश किस्म तैयार होने के अंतिम दौर में हैं।
-इनके पास 3 बीघा 5 बिस्वा जमीन है। ये इसी पर खेती व प्रयोग करते हैं।
-वर्ष 1974 में नलकूप लगवाकर खेती और वर्ष 1982 से लगातार कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान कर रहे हैं।
-महावीर सिंह बताते हैं कि एक बार इन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का रेडियो पर भाषण सुना। भाषण में खेती के नवाचारों का जिक्र किया गया था। उसी से इनको खेती पर शोध की प्रेरणा मिली।
-महावीर सिंह समय-समय पर अपने खेत पर शिविर लगाकर किसानों को भूमि की तैयारी से लेकर अनाज भण्डारण की जानकारी भी किसानों को देते हैं।
-गर्मियों में गहरी जुताई, उन्नत किस्म के बीज, बुवाई से पहले बीज उपचार की विधि तथा आधुनिक तरीके से खेती करने के बारे में भी बताते हैं।
-भारतीय कृषि अनुसन्धान संसथान पूसा, नई दिल्ली के कृषि वैज्ञानिक तथा राष्ट्रीय भैंस अनुसन्धान हिसार की टीमें भी इनके खेत का दौरा कर चुकी हैं।
-महावीर पशुधन की अच्छी नस्ल को भी बढ़ावा देते हैं। ग्रामीणों को पशुधन की अच्छी नस्लों की जानकारी भी देते हैं।
-राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र पूसा, नई दिल्ली में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन अहमदाबाद और किसान पौध किस्म अधिकार प्राधिकरण की बैठक में ‘किसान वैज्ञानिक’ का भी दर्जा मिल चुका है।
-महावीर सिंह आर्य को उनकी उपलब्धियों के लिए अब तक दर्जनों पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं।