अब तक हमने नए-नए स्टार्टअप की कई सफलतम कहानियां पढ़ीं। किन्तु क्या आपने कभी कल्पना की होगी कि एक ऐसा स्टार्टअप आएगा जो भिखारियों को नौकरी देकर उन्हें भी सम्मान से जीने का अवसर प्रदान करेगा। जी हाँ मित्रों, यह सुनने में थोरी अटपटी जरुर लगती है किन्तु धरातल पर इसे सफल बनाने में कामयाब हो गए हैं राजस्थान निवासी युवा इंजीनियर गणपत यादव।
एक मल्टीनेशनल कंपनी में लाखों रुपये के शानदार पैकेज की नौकरी करने वाले इस युवा इंजीनियर ने कुछ नया करने की चाह में पहले अपने जॉब को अलविदा किया। फिर एक ऐसे स्टार्टअप की खोज में लग गए जो हर मायने में समाज के लिए कल्याणकारी हो। गणपत ने सोचा क्यों न लोगों के सामने हाथ फैलाते भिखारियों को समुचित प्रशिक्षण मुहैया करा कर उन्हें काम करने योग्य बनाया जाय। इससे उन्हें भी आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है और उनकी स्किल का उपयोग समाज और देश के काम भी आ सकता है।
इसी कड़ी में उन्होंने अपने पैत्रिक गांव में एक अनोखे स्टार्टअप की नीव रखी। उन्होंने शुरू किया आर्गेनिक फार्मिंग और सौ से ज्यादा भिखारियों को इससे जोड़ा। इस योजना के तहत हरी सब्जियां और मौसमी फल आदि फसल पैदाकर बाजार में बेचा जाता है और उससे मिले पैसे से भिखारियों को मेहनताना दिया जा रहा। गणपत के इस अनोखे स्टार्टअप की बदौलत जहाँ एक तरफ भिखारियों को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा, वहीँ दूसरी तरफ आर्गेनिक फार्मिंग को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
इतना ही नहीं इस स्टार्टअप से हो रही आमदनी से भीख मांगने वाले बच्चों को आर्गेनिक फार्मिंग के गुर सिखाने के साथ-साथ उन्हें समुचित जरुरी शिक्षा भी मुहैया करायी जा रही है। गणपत का मानना है कि ऑर्गेनिक फार्मिंग से अच्छे रिटर्न मिलते हैं, इसीलिए वो प्रोफेशनल लोगों को जोड़ने के बजाये आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के लोगों को इससे जोड़ने पर बल दे रहे हैं।
गणपत का यह अनोखा स्टार्टअप सचमुझ हर मायने में समाज के लिए कल्याणकारी प्रतीत हो रहा है। साथ-ही-साथ ऐसे स्टार्टअप की मदद से देश में भिक्षावृत्ति की समस्या से भी यक़ीनन मुक्ति मिलने के आसार हैं।