भारतीय नागरिको, जब कोई विदेशी कंपनी भारत में निवेश करती है तो उसे व्यवसाय के लिए जमाएं, अंश, भूमि, श्रम आदि की आवश्यकता होती है । इन गतिविधियों को करने के लिए विदेशी कंपनी को भारतीय मुद्रा की आवश्यकता होती है, अत: अमुक विदेशी कम्पनी रिज़र्व बेंक ऑफ़ इण्डिया को डॉलर जमा करके उसी अनुपात में भारतीय मुद्रा अर्थात रुपया प्राप्त करती है ।
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया दो शर्तो के साथ डॉलर जमा करके रूपये का भुगतान करता है :
- पुनर्भर्णिय : इस व्यवस्था के तहत व्यक्ति रिजर्व बैन्क ऑफ़ इण्डिया में रूपये जमा करके फिर से डॉलर की मांग कर सकता है ।
- अपुनर्भरणीय : इस व्यवस्था में व्यक्ति रिजर्व बैंक ऑफ़ इण्डिया में रूपये जमा करके डॉलर की मांग नहीं कर सकता है ।
मौजूदा समय में संस्थागत विदेशी निवेश या प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के तहत निवेश करने वाली कम्पनियों को उनके द्वारा अर्जित किये गए पूंजीगत तथा अन्य लाभों पर पुन:भरण का विकल्प दिया गया है । किन्तु ऐसी स्थिति में जबकि हमारे पास डॉलर या विदेशी मुद्रा का पर्याप्त कोष नहीं है, विदेशी मुद्रा की यह कमी हमारे लिए कभी भी गंभीर विदेशी मुद्रा संकट का कारण बन जायेगी तथा हम विदेशी मुद्रा के क़र्ज़ में लगातार डूबते जायेंगे ।
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इसीलिए यह आवश्यक है कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के जरिये आने वाले निवेश को अपुन:भरणीय नियम के अंतर्गत ही स्वीकार किया जाए । अत: रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया या भारत सरकार को विदेशी कम्पनियों द्वारा अर्जित किये गए मुनाफे के बदले में डॉलर के भुगतान का कोई वादा नहीं करना चाहिए, बल्कि यह निर्धारित करना चाहिए कि अमुक कम्पनियां डॉलर खुले बाजार से ख़रीदे ।
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यह व्यवस्था लागू करने से भारतीय अर्थव्यवस्था किसी भी समय खड़े हो सकने वाले इस गंभीर संकट से बच जायेगी ।
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इसके अलावा निजी व्यष्टि को रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की अनुमति से विदेशी बेंको के खाते में डॉलर या विदेशी मुद्रा रखने की छूट दी जानी चाहिए । निर्यात से अर्जित विदेशी मुद्रा को वे विदेशी बेंको के खाते में रख सकेंगे, तथा उस आय पर उन्हें आयकर की सामान्य दरो के अनुसार कर देना होगा ।
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ड्राफ्ट का प्रारम्भ :
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[1]. जिलाधीश के लिए निर्देश :
यदि कोई नागरिक मतदाता इस क़ानून में संशोधन चाहता है, तो वह वांछित संशोधन के लिए एक शपथपत्र जिलाधीश कार्यालय में दे सकेगा । इस शपथपत्र को जिलाधीश या उसका सहायक प्रति पृष्ठ 20 रू की दर से शुल्क लेकर प्राधानमंत्री की वेबसाईट पर डाल देगा ।
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[2]. पटवारी/तलाटी के लिए निर्देश :
यदि कोई नागरिक मतदाता ऐसे शपथपत्र पर या उसमें वर्णित किसी धारा में बदलाव के लिए हां/ना दर्ज कराता है, तो पटवारी ऐसी राय को 3 रू लेकर दर्ज करेगा तथा इसे प्रधानमन्त्री की वेबसाईट पर डाल देगा ।
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[3]. हाँ या ना की संख्या के आधार पर प्रधानमन्त्री/मुख्यमंत्री फैसला लेने के लिए बाध्य नही होंगे ।
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[4]. परिभाषाएं
इस अधिनियम में ‘कंपनी’ शब्द किसी भी भारतीय नागरिक या भारतीय कंपनी या कोई भारतीय गैर सरकारी संस्था जैसे ट्रस्ट आदि या कोई विदेशी नागरिक या विदेशी कंपनी या विदेशी सरकार या विदेशी गैर सरकारी संस्था जैसे कि कोई विदेशी ट्रस्ट आदि के लिए प्रयुक्त किया गया है ।
इस अधिनियम में ‘भारतीय कंपनी’ शब्द किसी भी भारतीय नागरिक या भारतीय कंपनी या भारतीय गैर सरकारी संस्था जैसे ट्रस्ट आदि के लिए प्रयुक्त किया गया है ।
इस अधिनियम में ‘विदेशी कंपनी’ शब्द किसी भी विदेशी नागरिक या विदेशी कंपनी या विदेशी सरकार या विदेशी गैर सरकारी संस्था जैसे कोई ट्रस्ट आदि के लिए प्रयुक्त किया गया है ।
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[5]. सभी के लिए निर्देश :
भारतीय कम्पनियाँ व भारतीय नागरिक अपने निर्यात व् स्थानांतरण से अर्जित डॉलर असीमित दिनों के लिए भारतीय बैंकों में जमा कर सकेंगे।
विदेशी कंपनी अपने निर्यात व स्थानांतरण से अर्जित डॉलर भारतीय या विदेशी बैंक में असीमित दिनों तक रख सकेगी।
भारतीय नागरिक रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया की अनुमति के बिना विदेशी बैंकों में डॉलर नहीं रख सकेंगे हालाँकि लौटे हुए अप्रवासी भारतीय विदेशी बैंको में दस वर्ष तक अपने खाते संचालित कर सकेंगे/ रख सकेंगे।
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[6]. भारतीय नागरिकों के लिए निर्देश :
रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया व भारतीय बैंक रूपए के बदले डॉलर नहीं देंगे हालाँकि भारत सरकार के आयात की स्थिति में ऐसा किया जा सकेगा।
यदि निजी नागरिक आयात करना चाहे तो उन भारतीय या विदेशी कम्पनियों, जिनके पास भारतीय या विदेशी बैंकों में डॉलर है, से डॉलर प्राप्त करना होगा।
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[7]. भारतीय नागरिकों के लिए निर्देश :
कोई भारतीय नागरिक अथवा कंपनी जिसने निर्यात अथवा स्थानांतरण के द्वारा डॉलर अर्जित किया है उन्हें रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया में जमा किये हुए/ बेचे हुए डॉलर की मात्रा के अनुपात में 30 % तक आयकर में छूट मिलेगी।
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[8]. आयकर की गणना में आयात को कटौती योग्य खर्चो में शामिल नहीं किया जाएगा ।
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[9]. कस्टम बोर्ड चेयरमेन के लिए निर्देश:
हीरे के आयात को किम्बरली प्रक्रिया, प्रमाणन योजना (KPCS) या किसी अन्य प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं होगी।
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[10]. भारतीय नागरिकों के लिए निर्देश:
कोई भी कंपनी जो सोना या चाँदी आयात करती है वह आयातित सोने या चांदी की मात्रा के अनुपात में सोना आयातित अंक अथवा चाँदी आयातित अंक अर्जित करेगी। अंक हस्तांतरणीय होंगे।
अंकों के खातों की रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा नामित बैंकों द्वारा देखरेख/ निगरानी की जाएगी ।
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[11]. भारतीय नागरिको के लिए निर्देश :
कोई भारतीय नागरिक जो कि स्वर्ण या चांदी या मिश्रित गहनों का निर्यात करता है, को उस सीमा तक स्वर्ण या चांदी के निर्यात की अनुमति होगी, जिस सीमा तक उसने स्वर्ण या चांदी के आयात अंक अर्जित किये है या आयात अंको का स्थानान्तरण/हस्तांतरण किया है ।
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[12]. सभी के लिए निर्देश :
कोई भी भारतीय या विदेशी कंपनी स्वर्ण या चांदी या धातु या धात्विक अयस्क का निर्यात प्रधानमन्त्री कार्यालय या उनके द्वारा नियुक्त अधिकारी की अनुमति बिना नहीं कर सकेगी ।
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[13]. कस्टम बोर्ड चेयरमेन के लिए निर्देश :
यदि किसी समाप्य सामग्री का निर्यात किया जाता है, जिसमे कि स्वर्ण या चांदी सम्मिलित है, तो ऐसे स्वर्ण या चांदी की कुल कीमत निर्यातित सामग्री के 1% मूल्य से अधिक की नही हो सकेगी ।
अन्य सभी धातुओ के लिए निर्यात शुल्क निर्यातित सामग्री के 30% के बराबर होगा ।
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[14]. सभी के लिए निर्देश :
यदि निर्यातक द्वारा रिज़र्व बेंक ऑफ़ इंडिया को डॉलर बेचे गए है, तब बेचे गए डॉलर की कीमत के 30% की सीमा तक उन्हें आय कर में छूट प्राप्त होगी, अन्य सभी परिस्थितियों में निर्यात द्वारा अर्जित आय पूरी तरह से कर योग्य होगी ।
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[15]. भारतीय नागरिको के लिए निर्देश :
ऐसी भारतीय कंपनी जो कि विदेशी मुद्रा रखती है, को रखी गयी विदेशी मुद्रा पर महीने की आखिरी तारीख को 0.1% की दर से संपत्ति कर का भुगतान करना होगा ।
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[16]. भारतीय नागरिको के लिए निर्देश :
कोई भी भारतीय कम्पनी जो कि विदेशी मुद्रा रखती है, को रखी गयी विदेशी मुद्रा पर अर्जित किये गए लाभ पर महीने की आखिरी तारीख को 30% पूंजीगत कर का भुगतान करना होगा, जबकि पूंजीगत हानि को आगामी 36 माह तक अग्रेषित किया जा सकेगा ।
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ड्राफ्ट का अंत