यहाँ तैयार हो रहे है भविष्य के ‘अर्जुन’, जीत चुके हैं सैकड़ों गोल्‍ड मेडल

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मेरठ के एक छोटे से गांव टीकरी के जंगल में गंगनहर के किनारे स्थित गुरुकुल प्रभात आश्रम में भविष्य के अर्जुन तैयार किए जा रहे हैं। यहां पढ़ रहे छात्र न केवल विद्या में निपुण हो रहे हैं, बल्कि धनुर्विद्या में भी आश्रम और देश का नाम रोशन कर रहे हैं। इस आश्रम से धनुर्विद्या सीख चुके दो धनुर्धर ओलंपिक तक खेल चुके हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताओं में धनुर्धर गोल्ड और अन्य मेडल लाकर नाम रोशन कर चुके हैं। वर्तमान में भी कई खिलाड़ी आश्रम में शांतचित माहौल में ओलंपिक की तैयारी में जुटे हैं। संसाधनों के अभाव के बावजूद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय धनुष प्रतियोगिता में आश्रम और देश का नाम रोशन करने के लिए यहां के खिलाड़ियों में जोश और जज्बे में किसी तरह की कमी नहीं दिखती।

इस विडियो में देखिए कैसे तैयार हो रहे है भविष्य के अर्जुन >>

लकड़ी के धनुष से शुरू किया था प्रशिक्षण 
गुरुकुल प्रभात आश्रम में धनुर्विद्या का अभ्यास वर्ष 1993 में शुरू किया गया। यह निर्णय प्रभात आश्रम के संत शिरोमणि स्वामी विवेकानंद सरस्वती ने तब लिया, जब 1992 में वार्सिलोना में हुए ओलंपिक गेम में 85 करोड़ भारतीयों का प्रतिनिधित्व करने वाले 85 खिलाड़ियों में से कोई भी एक पदक नहीं लेकर आया। तब उन्होंने तय किया कि कम से कम तीरंदाजी में तो निपुण किया ही जा सकता है। इसके बाद लकड़ी का एक धनुष मंगाकर प्रभात आश्रम में पढ़ रहे छात्रों को तीरंदाजी का प्रशिक्षण देना शुरू किया गया। शुरू में लकड़ी का धनुष 2500 रुपए का खरीदा गया था। अब आश्रम के पास विश्व स्तरीय प्रतियोगिता के लिए प्रैक्टिस करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक वाला धनुष है। अब यहां के तीरंदाज लकड़ी और लोहे के धनुष से प्रैक्टिस करते हैं।

आश्रम का शांत माहौल बनाता है निशाना साधने में निपुण 
गुरुकुल प्रभात में तीरंदाजी की प्रैक्टिस कर रहे छात्र हेमंत राठी और सव्यसाची का कहना है कि आश्रम का शांत माहौल यहां प्रैक्टिस करने में विशेष बल देता है। गुरुजी स्वामी विवेकानंद सरस्वती उन्हें एकाग्रता के साथ लक्ष्य पर निशाना साधने की शिक्षा देते हैं। यही कारण है कि यहां के खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान कायम कर रहे हैं।

सवा सौ से अधिक स्वर्ण पदक जीत चुके हैं यहां के खिलाड़ी 
तीरंदाजी की विभिन्न प्रतियोगिताओं में यहां के खिलाड़ी अब तक 125 से अधिक स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। रजत और कांस्य पदक की संख्या इससे कहीं अधिक है। यह पदक व्यक्तिगत और दलीय प्रतियोगिताओं में जीते गए हैं। पदक जीतकर गुरुकुल प्रभात आश्रम के तीरंदाज क्रांतिधरा के साथ-साथ देश का मान बढ़ा रहे हैं।

आश्रम में गुरुजी स्वामी विवेकानंद सरस्वती 

गुरुकुल प्रभात आश्रम ने वर्ष 1993 में तीरंदाजी का प्रशिक्षण शुरू करने के एक वर्ष के अंदर ही पटियाला में हुए खेलों में आश्रम के तीरंदाजों नें स्वर्ण पदक प्राप्त किए। उसके बाद वर्ष 1997 में राष्ट्रीय खेलों में व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से गोल्ड मेडल हासिल कर जता दिया कि उनके आश्रम में धनुर्विद्या सीख रहे तीरंदाजों का कोई सानी नहीं है। आश्रम से प्रशिक्षित 20 तीरंदाज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के रहे हैं। इनमें तीरंदाज सत्यदेव प्रसाद ने वर्ष 2004 में ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया। दूसरे ओलंपियन वेदकुमार है। इसके अलावा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचने वाले आश्रम के खिलाड़ियों की लंबी सूची है।

सुबह-शाम सात घंटे करते हैं प्रैक्टिस 
आश्रम में सुबह और शाम तीरंदाजी की प्रैक्टिस की जाती है। तीरंदाज रोजाना करीब सात घंटे प्रैक्टिस करते हैं। प्रैक्टिस का समय सुबह साढ़े आठ बजे से साढ़े 11 बजे तक और दोपहर ढाई बजे से शाम साढ़े छह बजे तक का है। वेद कुमार इस समय आश्रम के तीरंदाजों के कोच भी हैं, जो समय-समय पर यहां आकर प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। ओलंपियन सत्यदेव प्रसाद भी आश्रम में आकर तीरंदाजों को ट्रेंड करते हैं।

क्‍या कहते हैं आश्रम के तीरंदाज 
आश्रम में पिछले चार साल से धनुर्विद्या सीख रहे हेमंत राठी का कहना है कि आश्रम का शांत माहौल लक्ष्य भेदने में काफी मददगार साबित होता है। हेमंत ने बताया कि इस वर्ष झारखंड में हुई नेशनल प्रतियोगिता में उसे गोल्ड मेडल मिला। इस प्रतियोगिता में उनकी टीम ने आर्मी की टीम को भी हराया। हेमंत राठी ने बताया कि इस समय वह ओलंपिक की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि वह ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाकर गुरुजी स्वामी विवेकानंद सरस्वती को गुरु दक्षिणा देना चाहते हैं। करीब ढाई साल से तीरंदाजी सीख रहे छात्र सव्यसाची ने बताया कि उसने अभी गाजीपुर में हुई स्टेट प्रतियोगिता में रजत पदक हासिल किया था। सव्यसाची का भी सपना ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाना है।

ये खिलाड़ी जुटे हैं प्रैक्टिस में 
तीरंदाजी प्रतियोगिता में आश्रम का नाम रोशन करने के लिए करीब 10 खिलाड़ी प्रैक्टिस में जुटे हैं। इनमें से एक चमन सिंह ने रिकर्व में नेशनल रिकॉर्ड बनाया है। रिकर्व में चमन सिंह के अलावा सुमित, राजन, विश्वास और हेमंत आश्रम में ही प्रैक्टिस कर रहे हैं। इनके अलावा सव्यसाची, वर्षांत, निशांत, प्रभात, शिवम और अम्बरीश आदि नियमित प्रैक्टिस कर रहे हैं।