आज कचरा किसी भी रूप में हो, वह देश के पर्यावरण के लिए बड़ा संकट बनता जा रहा है। प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों से रोजाना सैकड़ों टन बायो मेडिकल कचरा निकलता है, लेकिन इसका डिस्पोजल नहीं हो पाता। बढ़ते कचरे को देख इस शख्स को यहां से बिजनेस का एक आइडिया मिला और कुछ ही वर्षों में यह करोड़पति बन गया। हम बात कर रहे हैं सिनर्जी वेस्ट मैनेंजमेंट के फाउंडर और डायरेक्ट डॉ. नीरज अग्रवाल की। अग्रवाल बायो मेडिकल कचरे से सालाना 15 करोड़ रुपए की कमाई कर रहे हैं।
नीरज अग्रवाल ने moneybhaskar.com को बताया कि मैंने देखा कि दिल्ली में अस्पतालों से निकलने वाले कचरे को ऐसे ही सड़क किनारे फेंक दिया जा रहा था, जो एक बायोमेडिकल कचरे का रूप ले रहा था। घर से निकलने वाले कचरे का तो डिस्पोजल हो रहा था। लेकिन बायो मेडिकल कचरे का नहीं। दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन करने के बाद मैंने अपने बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट पर काम शुरू किया। और फिर सिनर्जी वेस्ट मैनेजमेंट की शुरुआत हुई।
क्या होता है बायोमेडिकल कचरा ?
अस्पतालों से निकलने वाली उपयोग की गई सुइयां, ग्लूकोज की बोतलें, एक्सपाइरी दवाएं, दवाओं के रैपर के साथ-साथ कई अन्य सड़ी गली वस्तुएं बायोमेडिकल कचरा कहलाती हैं। इसके अलावा इनमें विभिन्न रिपोर्ट्स, रसीदें व अस्पताल की पर्चियां आदि भी शामिल होती हैं।
क्या हैं बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल के नियम ?
दिल्ली में बढ़ते बायो मेडिकल वेस्ट को देखते हुए केंद्र सरकार ने साल 1998 में बायो मेडिकल कचरे के डिस्पोजल के लिए नियम बनाए। बायो मेडिकल वेस्ट अधिनियम 1998 के मुताबिक, प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों को मेडिकल कचरे को खुले में या सड़कों पर फेंकने पर जुर्माने और सजा का प्रावधान है।
नीरज अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट में पीएचडी की। पीएचडी करने के बाद सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस को ध्यान में रखते में हुए उन्होंने 2000 में दिल्ली में बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट का पहला प्लांट लगाया, जहां अस्पतालों से निकलने वाले बायोमेडिकल कचरे को डिस्पोज किया जाने लगा। प्लांट स्थापित करने में 50 लाख रुपए का इन्वेस्टमेंट लगा।
दिल्ली, मुंबई, हरियाणा, भागलपुर, गया, मेरठ और लखनऊ शहरों में सिनर्जी वेस्ट मैनेजमेंट बायो मेडिकल कचरे का डिस्पोजल कर रही है। कंपनी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों से टाइअप करती है। कंपनी रोजाना 50 से 100 टन बायो मेडिकल कचरे का डिस्पोजल करती है। कंपनी अस्पतालों से कचरे को उठाकर अपने प्लाइंट में लाती है और फिर इस कचरे को रिसाइकल करती है। अस्पतालों से समझौते के तहत कंपनी कचरे के डिस्पोजल के बदले रेवेन्यू मिलता है। यही कंपनी की अर्निंग का जरिया है।
उन्होंने जब कंपनी की शुरुआत की थी तो उन्हें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उनको देश भर में पहचान मिलेगी। कॉमन वेल्थ गेम्स के दौरान उनकी कंपनी को बायो वेस्ट मैनेजमेंट का काम मिला। यही नहीं, उनकी कंपनी में आज 150 से 200 कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। कंपनी का आज सालाना टर्न ओवर 15 करोड़ रुपए है। आज सिनर्जी वेस्ट मैनेजमेंट देश की अग्रणी बायो मेडिकल वेस्ट कंपनी है।