भारत में गौ हत्या का इतिहास और किस पार्टी ने गाय की हत्या रोकने के लिए क्या क्या किया है

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इस देश में मुगल सीधा गाय का कत्ल करते थे ! और कई बार हमारे राजा मुगलो का इसी बात पर वध करते थे ! जैसे शिवाजी ने गौ माता को बचाने के लिए एक मुगल राजा की बाजू काट दी थी !! लेकिन उन्होने (मुगलों) कोई कत्लखाना नहीं खोला !! पर जब अंग्रेज़ आए ये बहुत चालक थे ! किसी भी गलत काम को करने से पहले उसको कानून बना देते थे फिर करते थे और कहते थे हम तो कानून का पालन कर रहे हैं !! भारत मे पहला गौ का कत्लखाना 1707 ईस्वी में रॉबर्ट क्लाएव ने कलकत्ता में खोला था और उसमे रोज की 32 से 35 हजार गाय काटी जाती थी ! तो आप कत्लखाने के size का अंदाजा लगा सकते हैं ! और तब हाथ से गाय काटी जाती थे ! तो सोच सकते हैं कितने कसाई उन्होने रखे होंगे

गौ हत्या पर राजीव भाई का ये धुआधार विडियो जरुर देखे >>

आजादी के 5 साल बाद 1952 मे पहली बार संसद मे ये बात उठी कि गौ रक्षा होनी चाहिए ! गाय के सभी कत्लखाने जो भारत मे अंग्रेज़ो ने शुरू किए थे वो बंद होने चाहिए ! और यही गांधी जी कि आत्मा को श्र्द्धांजलि होगी ! क्यूकि ये उनके आजाद भारत के सपनों मे से पहले नंबर पर था ! जब एक अंग्रेज ने गाँधी जी से पूछा कि आप आजादी के बाद पहला कार्य क्या करेगे तो उन्होंने कहा कि गाय की हत्या बंद करवाऊंगा. और उन्होंने इससे भी बढकर कहा था कि मै भारत की आजादी और गाय में से अगर मुझे चुनना पड़े तो मै गाय की हत्या बंद करवाना चाहुगा. आजादी तो उसके बाद भी मिल ही जाएगी. जब संसद में ये बात उठी तो गांधी जी का परम शिष्य नेहरू खड़ा हुआ और बोला चलो ठीक है अगर गौ रक्षा का कानून बनना चाहिए तो इस पर संसद मे प्रस्ताव आना चाहिए ! संसद मे एक सांसद हुआ करते थे महावीर त्यागी वो सोनीपत (हरियाणा) से निर्धलीय चुनाव अकेले चुनाव लड़ा करते थे, किसी भी पार्टी के टिकेट पर नहीं लड़ते थे! सबसे पहला चुनाव 1952 मे हुआ और वो बहुत भयंकर वोटो से जीत कर आए थे ! महावीर त्यागी ने कहा ठीक मैं अपने नाम से प्रस्ताव लाता हूँ ! तो प्रस्ताव आया उस पर बहस हुई ! लगभग सभी सांसद इस पर सहमत थे कि गाय कि हत्या नहीं होनी चाहिए, मुस्लिम खासदार भी गाय की रक्षा चाहते थे.

बहस के बाद तय किया कि वोट किया जाय इस पर ! वोट करने का दिन आया ! वोट होने से पहले पंडित नेहरु खड़े हो गए और उन्होंने कहा कि “अगर ये प्रस्ताव पारित हुआ तो मैं शाम को इस्तीफा दे दूंगा”. ये बयान लोकसभा के रेकॉर्ड मे दर्ज है आप चाहे तो पढ़ सकते हैं ! इसका मतलब ये कि अगर इस देश मे गौ रक्षा अगर हो गई ! तो मैं प्रधानमंत्री नहीं रहूँगा ! प्रणाम क्या हुआ जो कांग्रेसी नेता संसद मे गौ रक्षा के लिए वोट डालने को तैयार हुए थे नेहरू का ये वाक्य सुनते ही सब पलट गए ! उस जमाने मे यह होता था कि नेहरू जी अगर पद छोड़ दे तो क्या होगा ?? क्यूंकि वल्ब भाई पटेल का स्वर्गवास हो चुका था ! कांग्रेसी नेताओ मे चिंता रहती थी कि अगर नेहरू जी भी चले जायेंगे फिर पार्टी का क्या होगा और पता नही अगली बार जीतेंगे या नहीं जीतेंगे ! और उस समय ऐसी बात चलती थी  Nehru is India – India is Nehru (और ये कांग्रेसियों की आदत है Indra is India – India is Indra ) तो बाकी कोंग्रेसी पलट गए और संसद मे हगामा कर दिया और गौ रक्षा के कानून पर वोट नहीं हुआ ! और महावीर त्यागी को सब ने मजबूर कर दिया और उनको प्रस्ताव वापिस लेना पड़ा !

महावीर त्यागी ने प्रस्ताव वापिस लेते समय भाषण किया और बहुत ही जबर्दस्त भाषण किया ! उन्होने कहा पंडित नेहरू मैं तुमको याद दिलाता हूँ ! कि आप गांधी जी के परम शिष्य है और गांधी जी ने कहा था भारत आजाद होने के बाद जब पहली सरकार बनेगी तो पहला कानून गौ रक्षा का बनेगा ! अब आप ही इस से हट रहे है तो हम कैसे माने कि आप गांधी जी के परम शिष्य है ??? और उन्होने कहा मैं आपको आपके पुराने भाषणो की याद दिलाता हूँ ! जो आपने कई बार अलग अलग जगह पर दिये है ! और सबमे एक ही बात काही है कि मुझे कत्लखानों से घिन्न आती है इन सबको तो एक मिनट मे बंद करना चाहिए ! मेरी आत्मा घबराती है. ये आपने कितनी बार कहा लेकिन जब कानून बनाने का समय आया तब आप ही अपनी बात से पलट रहे है ?

नेहरू ने इन सब बातों को कोई जवाब नहीं दिया ! और चुप बैठा रहा !और बात आई गई हो गई ! फिर एक दिन 1956 मे नेहरू ने सभी मुख्य मंत्रियो को एक चिठी लिखी वो भी संसद के रेकॉर्ड मे है ! अब नेहरू का कौन सा स्वरूप सही था और कौन सा गलत ! ये तय करने का समय आ गया हैं ! जब वे गांधी जी के साथ मंचपर होते थे तब भाषण करते थे कि क्त्ल्खनों के आगे से गुजरता हूँ तो घिन्न आती है आत्मा चीखती है ! ये सभी क्त्ल्खने जल्द बंद होने चाहिए !और जब वे प्र्धानमतरी बनते है तो मुख्य मंत्रियो को चिठी लिखते हैं ! कि गाय का कत्ल बंद मत करो क्यूंकी इससे विदेशी मुद्रा मिलती है ! उस पत्र का अंतिम वाक्य बहुत खतरनाक था उसमे नेहरू लिख रहा है मान लो हमने गाय ह्त्याबंद करवा दी ! और गौ रक्षा होने लगी तो सारी दुनिया हम पर हसे गई कि हम भारत को 18 व शताब्दी मे ले जा रहे हैं !अर्थात नेहरू को ये लगता था कि गाय का कत्ल होने से देश 21 वी शताब्दी मे जा रहा है ! और गौ रक्षा होने से 18 वी शताब्दी की और जाएगा ! राजीव भाई का हृदय इस पत्र को पढ़ कर बहुत दुखी हुआ! राजीव भाई के एक बहुत अच्छे मित्र थे उनका नाम था रवि राय लोकसभा के अधक्षय रह चुके थे ! उनकी मदद से ये पत्र संसद की लाएब्रेरी मे से मिला ! और उसकी फोटो कॉपी राजीव भाई ने अपने पास रख ली !!

राजीव भाई ने ये जानने कि कोशिश की आखिर नेहरू जी के जीवन की ऐसे कौन से बात थी जो वो गौ ह्त्या को चालू रखना चाहते थे ! क्यूंकि पत्र मे नेहरू लिखता है कि विदेशी मुद्रा मिलती है तो क्या विदेशी मुद्रा ही एक प्रशन था या इससे भी कुछ आगे था ! राजीव भाई कहते है कि मेरा ये व्यक्तिगत मानना है ये गलत भी हो सकता है ! वो कहते है कि इंसान अपनी Public life (सार्वजनिक जीवन) मे जो करता है ! उसकी जड़े उसकी जड़े उसकी Private life मे जरूर होती है ! वो भारत का प्रधानमंत्री हो, राष्ट्रपति हो या देश के किसी सेवधानिक पद आर बैठा हुआ हो या कोई आम इंसान हो ! या कोई किसान, कोई भी व्यक्ति हो अपनी Public life (सार्वजनिक जीवन) मे जो करते है ! उसकी जड़े उसकी जड़े उसकी private life मे जरूर होती है !

मतलब नेहरू की Private life मे क्या था जो वो गाय की ह्त्या के लिए इतने परेशान थे ! और इसके लिए राजीव भाई ने बहुत प्रयास किया और नेहरू की नीजी जीवन के Private life के बहुत दस्तावेज़ इकठे किए !! कम से कम 500 से ज्यादा उनके पास थे ! तो पता चला नेहरू खुद गाय का मांस खाता था ! राजीव भाई कहते है इससे पहले मुझे इतना तो मालूम था कि नेहरू जी शराब पीते हैं ! और सिगरेट भी पीते है और chain smoker है दिन मे 60 से 70 सिगरेट पी जाते हैं ! और भी बहुत कुछ मालूम था उनके चरित्र के बारे मे ! पर ये पहली बार पता चला कि वो गाय का मांस भी खाते हैं !

और उनके लिए गाय मांस के भोजन को बनाकर तेयार करके उनको lunch के रूप मे भेजने का काम दिल्ली का वही होटल करता था जहां अमेरिका का प्रधानमंत्री जार्ज बुश अंतिम बार 2006 मे आया था और वहाँ रुका था ! और नेहरू का एक दिन का खर्चा उस जमाने मे 13 हजार रुपए होता था जिस पर भारत के एक समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया ने बड़ी कडक टिपणी की थी  ! उन्होने संसद मे एक दिन बहुत जोड़दार भाषण दिया था कि नेहरू तुम्हारा एक समय के भोजन का खर्च 13 हजार रुपए है और भारत के 14 करोड़ लोगो को खाने के लिए 2 समय की रोटी नहीं है ! तुमको शर्म नहीं आती. उस समय के जमाने मे लोहिया जी एक व्यक्ति थे जो नेहरू जी को इस तरह से बोल पाते थे बाकी सब नेहरू के आगे पीछे ही घूमते थे !

जब ये दस्तावेज़ मिल गए तो ये बात समझ आती है कि नेहरू के मन मे गाय के लिए प्रेम सिर्फ एक दिखावा था. गांधी जी को खुश करने के लिए था और भारत का प्रधानमंत्री बनने के लिए था, एक बार प्रधानमंत्री बन अब तो कोई कष्ट नहीं है कोई रोकने वाला नहीं, टोकने वाला नहीं और सरदार पटेल की मृतयु के बाद तो कोई नहीं ! और राजीव भाई कहते है ये जो जितनी बाते मैंने आपको नेहरू के बारे मे कही है यह सब की सब लोकसभा के रिकॉर्ड मे है और कभी इतिहास लिखा जाये तो ये सब का सब सामने लाया जाये ! और पूरे देश को नेहरू का काला चिठा पता चल जाये !!

अब आगे की बात करे नेहरू के बाद से आज तक गाय की ह्त्या रोकने का बिल पास क्यूँ नहीं हुआ ! दस्तावेज़ बताते हैं इसके बाद के दो ऐसे प्रधानमंत्री हुए जिनहोने पूरी ईमानदारी से गौ ह्त्या रोकने का कानून लाने की कोशिश की ! उनमे से एक का नाम था श्री लाल बहादुर शास्त्री और दूसरे श्री मुरार जी देसाई !!

श्री मुरार जी भाई ये कानून पास करवा पाते उससे पहले ही उनकी सरकार गिर गई या दूसरे शब्दो मे कहे सरकार गिरा दी गई ! क्योंकि वही एक मात्र ऐसे प्रधानमंत्री थे ! जिनहोने बहुत हिम्मत वाला काम किया था अमेरिका की कंपनी coca cola को 3 दिन का नोटिस दिया और भारत से भागा दिया ! और ऐसा नोटिस केवल coco cola को नहीं बल्कि एक और बड़ी विदेशी कंपनी HUL (Hindustaan Uniliver) को भी दिया और ऐसे करते करते काफी विदेशी कंपनियो को नोटिस जारी किया कि जल्दी से जल्दी तुम भारत छोड़ दो !

इसके इलवा उन्होने एक और बढ़िया काम किया था गुजरात मे शराब पर प्रतिबंध लगा दिया ! और वो आजतक है वो बात अलग है कि black मे कहीं शराब मिल जाती है पर कानूनी रूप से प्रतिबंध है ! और उन्होंने कहा था कि ऐसा मैं पूरा भारत मे करूंगा और जल्दी से गौ रक्षा का कानून भी लाऊँगा और गौ ह्त्या करने वाले को कम से कम फांसी की सजा होगी ! देश मे शराब बेचने वाले, गौ ह्त्या करने वाले और विदेशी कंपनिया वाले ! ये तीनों l Lobby सरकार के खिलाफ थी इन तीनों ने मिल कर कोई षड्यंत्र रचा होगा जिससे मुरार जी भाई की सरकार गिर गई !

लालबहादुर शास्त्री जी ने भी एक बार गौ ह्त्या का कानून बनाना चाहा. उसके बाद वो ताशबंद गए ! और फिर कभी जीवित वापिस नहीं लोटे !! उनकी वहा पर हत्या कर दी गई.

और अंत 2003 मे श्री अटल बिहारी वाजपायी की NDA सरकार ने गौ ह्त्या पर सुबह संसद मे बिल पेश किया और शाम को वापिस ले लिया !! आप कहेगे क्यू ??  अटल जी की सरकार को उस समय दो पार्टिया समर्थन कर रही थी एक थी तेलगु देशम और दूसरी त्रिमूल कॉंग्रेस ! दोनों ने लोकसभा मे कहा अगर गौ ह्त्या पर कानून पास हुआ तो समर्थन वापिस !! बाहर मीडिया वालों ने ममता बेनर्जी से पूछा की आप गौ ह्त्या क्यूँ नहीं बंद होने देना चाहती ??? ममता बेनर्जी ने कहा गाय का मांस खाना मे मौलिक अधिकार है. कोई कैसे रोक सकता है ?? तो किसी ने कहा आप तो ब्राह्मण है तो ममता ने कहा बेशक हूँ !! तो अत: वाजपाई जी को अपनी सरकार बचाना गौ ह्त्या रोकने से ज्यादा बड़ा लगा ! और उन्होने बिल वापिस ले लिया ! इसको आप ऐसे भी बोल सकते है कि उनको गौ माता से ज्यादा अपनी कुर्सी प्यारी थी.

इसके बाद राजीव भाई ने अटल जी को एक चिठी लिखी ! और कहा अटल जी काश आपने गौ ह्त्या रोकने के मुद्दे पर अपनी सरकार गिरा ली होती ! तो मैं गारंटी के साथ कहता हूँ अगली बार आप पूर्ण बहुमत से जीतकर आते !! क्यूँ कि गौ ह्त्या को रोकने का मामला इस देश 80 करोड़ लोगो के दिल से जुड़ा है ! और वो आपको दुबारा जीतवाते ! अगर गौ ह्त्या रोकने के लिए आपने सरकार गिरा ली होती !! तो खैर अटल जी शायद उस वक्त इतने दूरदर्शी नहीं थे !!

फिर 2003 के बाद कॉंग्रेस आ गई ! इससे तो वैसे कोई अपेक्षा नहीं कि जा सकती ! गाय ह्त्या रोकना तो दूर लूटेरे मनमोहन ने भारत को दुनिया मे गाय का मांस निर्यात करने वाले देशो की सूची मे तीसरे नंबर पर ला दिया है !! आज मोदी जी भी अपने किए वायदों से पलटी मारे हुए है, गौ ह्त्या रोकना तो दूर उसे और बढ़ावा दे रहे हैं । अब आपको तय करना है की हम सब गौ ह्त्या रोकने का बिल संसद मे कैसे पास करवाएँगे !! आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद.