वागभट्ट जी कहते हैं कि जब भी भोजन करें तो निश्चित समय पर ही करें अपने भोजन का समय निश्चित करें ऐसा न हो कि कभी भी कुछ भी खा लें हमारा शरीर हर समय खाने के लिए नही है हमारे शरीर में जठर(अमाशय) होता है उसमें अग्नि प्रदीप्त होती रहती है तो वागभट्ट जी कहते हैं कि हमारे शरीर में जब जठराग्नि सबसे तेज हो उसी समय भोजन करें अग्नि तेज होगी तो भोजन रस बनेगा और उस रस से मांस, मज्झा अस्थि आदि बनेगा
तो किसी भी समय खा लेना ये पद्धति यूरोप के देशों की है भारत देश की नही इसका कारण नीचे दिया गया है
वागभट्ट जी ने 2-3 साल रिसर्च के बाद पाया कि सुबह के समय जठराग्नि बहुत अधिक होती है उन्होंने पाया की जब सूर्य उदय होता है तो सुर्युदय से लगभग ढाई घंटे तक जठराग्नि सबसे तीर्व होती है भारत में लगभग 7 बजे तक सुबह सूर्य पूरी तरह से उदय हो जाता है तो हमें साढ़े 9 बजे जठराग्नि सबसे तेज होती है और अरुणाचल प्रदेश में सूर्य लगभग 4 बजे निकल आता है तो साढ़े 6 बजे तक जठराग्नि सबसे तेज होती है तो उस समय के अन्तराल तक नाश्ता कर लें
तो सूर्य जैसे ही उदय हुवा उससे अगले ढाई घंटे तक जठराग्नि सबसे तेज होती है तो वागभट्ट जी कहते है कि इस समय सबसे ज्यादा भोजन करें वो कहते हैं कि संभव हो तो साढ़े 9 बजे तक भोजन कर लें और इसमें से जो कुछ भी बनेगा उसका एक एक कण आपके शरीर के लिए उपयोगी होगा
वागभट्ट जी कहते हैं की शरीर के सभी अंग जैसे हार्ट लीवर किडनी इनके काम करने का अलग अलग समय है जठराग्नि के काम करने का सही समय है सुबह साढ़े 9 बजे तक है हृदय के काम करने का समय ब्रह्ममूर्त से ढाई घंटे पहले होता है यानि रात को डेढ़ बजे से सुबह 4 बजे तक हार्ट सबसे ज्यादा सकिर्य होता है और सबसे ज्यादा हार्ट अटैक उसी समय में आते हैं क्योंकि जब हार्ट सबसे ज्यादा सकिर्य होगा हार्ट अटैक भी तभी आयेगा इसलिए हार्ट अटैक सबसे ज्यादा अर्ली इन द मोर्निंग में होता है इसी तरह लीवर और किडनी का भी काम करने का अपना अपना समय होता है
इसलिए वागभट्ट जी कहते हैं कि सुबह का भोजन सबसे ज्यादा करें अगर दोपहर को भूख लगी तो फिर दोपहर को थोडा खा लें ये नही है कि सारा दिन खाते है इसलिए आपका ब्रेकफास्ट भारी से भारी होना चाहिए भरपेट खाएं फिर वो कहते हैं कि दोपहर का भोजन अगर कर रहें हैं तो फिर इसको सुबह के नाश्ते से थोडा कम कर दें और रात का भोजन सुबह के भोजन से एक तिहाई कर दें
अगर आप सुबह 6 रोटी खाते हैं तो दोपहर को 4 खाएं और रात को 2 खाएं अगर आप परांठा या भारी भोजन या कुछ स्वदिष्ठ भोजन खाना चाहते हैं तो सुबह करें जो भोजन आपको सबसे ज्यादा पसंद है जैसे रसगुल्ला, जलेबी, रबड़ी, आदि तो सुबह खाएं मन की संतुष्टि पूरी करें और वागभट्ट जी कहते की पेट की संतुष्टि से मन की संतुष्टि होनी जरुरी है
हमारा मन विभिन्न प्रकार के होरमोन से संचालित होता है जिनको पीनियल ग्लैंड कहा जाता है अगर आप भोजन से तृप्त हैं तो पीनियल ग्लैंड से होरमोन सही समय पर सम मात्रा में निकलेगा यदि आप तृप्त नही हाँ सिर्फ पेट भर रहे हैं तो पीनियल ग्लैंड में गड़बड़ होती है और पीनियल ग्लैंड की गड़बड़ सारे शरीर में पसर जाती है और आपको तरह तरह के रोगों का शिकार बना देगी
अगर आप तृप्त भोजन नही कर पा रहे हैं तो आपको 10 से 12 साल बाद मानसिक क्लेश की शिकायत और अन्य रोग होंगे अगर आप भोजन से संतुष्ट नही हैं तो आप 27 तरह के रोगों से ग्रसित हो जायेंगे और भोजन से मन के भरने का समय सिर्फ सुबह ही होता है
अगर कभी प्रकृति के अन्य प्राणियों को ओब्सर्व करोगे तो आप देखेंगे के कि मनुष्य को छोड़कर जिव जगत के सभी प्राणी सूर्य उगने के बाद खायेंगे और सूर्यास्त के बाद कभी भी नही खायेंगे कभी नही पीयेंगे चिड़िया को ही देख लीजिये सुबह होते ही खाना शुरू हो जाती है और पेट भरकर खाती है लेकिन सूर्यास्त के बाद कुछ नही खाती गाय, भैंस, बकरी को देख लो जैसे ही सूर्य निकलेगा उसका खाना शुरू हो जायेगा पेट भरकर खायेंगे फिर आराम करेंगे
तो आज के समय में मनुष्य सबसे मुर्ख हो चूका है और अन्य जिव जंतु समझदार औअर इसीलिए मनुष्य सबसे ज्यादा बीमार और जानवर सबसे ज्यादा बीमार होते हैं
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