कभी ना लें, चांदी वर्क लगी मिठाई ! देखिये कैसे तैयार किया जाता है इसे

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चांदी का वर्क लगी मिठाई आप जरूर खरीदते होंगे क्योंकि चांदी का वर्क लगी मिठाइयां देखने में सुंदर लगती हैं। किसी भी शुभ कार्य में चांदी के वर्क लगी मिठाई, चांदी का वर्क लगा पान आदि जरूर लाया जाता है और लोग इसे शाकाहारी मानते हैं। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि चांदी का वर्क मिठाइयों को सुंदर बना देता है और हम सब बहुत चांव से खाते हैं।

ऐसा इसलिए है कि हमें चांदी के वर्क के बारे में जानकारी ही नहीं होती कि यह क्या है और कैसे बनाया जाता है। चांदी का वर्क कैसे तैयार किया जाता है, यदि आप जान जाएंगे तो मेरा विश्वास है कि आप चांदी का वर्क लगी मिठाइयां खाना छोड़ देंगे। आपको बताते हैं कि चांदी का वर्क कैसे तैयार किया जाता है। हांलाकि चांदी का वर्क वास्तव में शुद्ध चांदी का होता ही नहीं है बल्कि एल्मीनियम जैसी किसी चमकीली धातु से बनाया जाता है।

चांदी का वर्क बनाने के लिए गाय को मारा जाता है और उसके पेट से आंत निकालकर उसके अंदर चमकीली चांदी जैसी धातु का टुकड़ा परत-दर-परत आंत में लपेट कर रखा जाता है, कि उसका खोल बन जाए। उसके बाद लकड़ी के हथौड़े से जोर-जोर से पीटा जाता है, जिससे आंत फैल जाती है और और आंत के साथ धातु का टुकड़ा वर्क के रूप में पतला होता चला जाता है।

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चांदी का वर्क गाय की अांत में ही बनाया जाता है क्योंकि उसकी आंत पीटने पर फटती नहीं है। चांदी के वर्क बनाने के लिए हर वर्ष 116000 गायों की हत्या की जाती है। बाबा रामदेव ने तो चांदी के वर्क पर प्रतिबंध लगाये जाने की मांग की है। चांदी के वर्क के बारे में लखनऊ के  इंडियन इंस्टीटय़ूट आफ टाक्सकोलॉजी रिसर्च (आईआईटीआर) के अध्यनन के मुताबिक बाजार में उपलब्ध चांदी के वर्क में निकल, लेड, क्रोमियम और कैडमियम बहुतायत मात्रा में पाया जाता है। इसको खाने से कैंसर जैसे घातक रोग हो सकता है।

इस विडियो में देखिए कैसे बनाया जाता है >>

इसी तरह शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के मेडिसन विभाग के प्रोफेसर डा. राजेश कश्यप ने बताया कि धातु चाहे किसी भी रूप में हो, सेहत के लिए नुकसानदेय है। इसके सेवन से ज्यादा नुकसान लिवर, किडनी और गले को होता है।

पुणो स्थित एनजीओ ब्यूटी बिदाउट क्रुएलिटी (बीडब्ल्यूसी) के मुताबिक एक किलोचांदी का वर्क बनाने के लिए लगभग 12500 गायों की आंतों चाहिए होती हैं। एक अनुमान के मुताबिक देश में सालाना लगभग 30 टन चांदी के वर्क की खपत होती है। इसे बनाने का काम मुख्य रूप से कानपुर, जयपुर, अहमदाबाद, सूरत, इंदौर, रतलाम, पटना, भागलपुर, वाराणसी, गया, मुम्बई आदि में होता है।

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इस जानकारी के बाद हम सभी लोग पण्रकरें कि चांदी के वर्क लगी मिठाई न हम खाएंगे और न ही चांदी वर्क लगी मिठाई अपने किसी मित्र या सगे-संबंधी को खाने को देंगे और इसके बारे में मित्र/संबंधी को अवगत कराएंगे, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग चांदी के वर्क के बारे में जागरूक हो जाएं। गौहत्या को रोकने के लिए हम एकीकृत छोटे-छोटे प्रयास स्वयं शुरू करें।

मिठाई बनाने वालों से भी अनुरोध है कि आप भी चांदी के वर्क का प्रयोग न करें और इस आंदोलन की शुरूआत आज से ही करें। आपके जरा से प्रयास और जागरूकता से आप पुण्य के भागी बनेंगे और बेजुवान गायों को जीने का मौका देंगे।

इस विडियो में ABP न्यूज़ की ये पड़ताल भी देखिए >>