पब्लिक में नार्को टेस्ट के लिए नारको टेस्ट का कानूनी ड्राफ्ट

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प्रिय नागरिक ,
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नारको जांच एक सुरक्षित प्रक्रिया है जिसमें डॉक्टर की देख-रेख में, थोड़ी सोडियम पेंटा-थेनोल की दवा दी जाती है व्यक्ति के दिमाग के योजना बनाने वाले केन्द्र को थोड़ी देर दबाने के लिए, ताकि व्यक्ति योजना बनाकर पूछे गए प्रश्नों का उत्तर न दे | अन्य जांच के साथ नारको जांच में महत्वपूर्ण सुराग मिलते हैं, जिससे और जांच करने पर सबूत मिल सकते है।

Right to Recall  (12)

अगर आप संगीन तथा संगठित अपराध जैसे कि बलात्कार , भ्रष्टाचार , हत्या , गौ हत्या , काला धन आदि पर न्यायपूर्ण कार्यवाही चाहते है तो अपने सांसद को एस.एम.एस. द्वारा आदेश दें :
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प्रिय सांसद,

अगर आपको एस.एम.एस. के द्वारा ये यू.आर.एल. मिला है तो उसे वोटर का आदेश माना जाये जिसने यह मैसेज भेजा है (न कि जिसने ये लेख लिखा है) एस.एम.एस. भेजने वाला आपको निम्नलिखित कानून-ड्राफ्ट को अपने वेबसाईट, निजी बिल आदि द्वारा बढ़ावा करने और मांग करने और राजपत्र में छापने के लिए आदेश दे रहा है –

========= कानूनी ड्राफ्ट का प्रारम्भ ========
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ये राजपत्र मुख्यमंत्री/प्रधानमंत्री के हस्ताक्षर के बाद लागू होगा

सैक्शन – बहुमत जूरी की सहमति एवं बहुमत द्वारा नार्को जांच

1) नागरिक का मतलब यहाँ भारत में पंजीकृत नागरिक-वोटर है, जो 25 साल से अधिक है और 65 साल से नीचे है | जिला जूरी प्रशासक का मतलब यहाँ जिला जूरी प्रशासक जो मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्त (भर्ती) होगा या जिला जूरी प्रशासक के द्वारा इन कार्यों के लिए नियुक्त किया गया हो | जिला जूरी प्रशासक नागरिकों के द्वारा बदला जा सकता है (जिला जूरी प्रशासक को बदलने की प्रक्रिया को आगे देखें )
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2) [जिला जूरी प्रशासक के लिए निर्देश]

निम्नलिखित व्यक्ति अपनी इच्छा से, अपने पर पब्लिक में नार्को जांच करवाने की मांग कर सकते हैं –

जिले का कोई नागरिक जो किसी अपराध का आरोपी है जिसमें सजा 3 साल से अधिक है या कोई नागरिक जो श्रेणी-2 अफसर के पद या उससे ऊपर के पद पर है या कोई नागरिक जो सांसद या विधायक का चुनाव लड़ रहा है या कोई नागरिक जो सांसद, विधायक या मंत्री रह चुका है
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3) [जिला जूरी प्रशासक के लिए निर्देश]

यदि ऊपर दिए गए श्रेणी में कोई भी नागरिक अपने ऊपर पब्लिक में नारको जांच की मांग करता है और बहुमत जूरी ने इसके लिए स्वीकृति दे दी है, तो जिला जूरी प्रशासक उस नागरिक का नारको जांच करने के लिए, नागरिक के निवास स्थान वाले राज्य में क्रमरहित तरीके से (रैनडमली) एक न्यायिक प्रयोगशाला को आदेश देगा | किसी भी विचारधीन मामले में बहुमत जूरी के सहमति से नार्को, ब्रेन-मैपिंग, पोली-ग्राफ किया जा सकता है |
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4) [जिला जूरी प्रशासक के लिए निर्देश]

जिला जूरी प्रशासक 35 और 55 वर्ष के बीच के आयु में, 24 नागरिकों को क्रम रहित तरीके से चुनेगा और बुलाएगा, और उन्हें 12 जूरी सदस्यों के दो समूह में बांटेगा | जिला जूरी प्रशासक एक श्रेणी-2 या उससे ऊपर के अफसर को भी नारको जांच करने के लिए नियुक्त करेगा |
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5) [नारको जांच के प्रभारी के लिए निर्देश]

जब नारको की दवाई का इंजेक्शन लग जाये, तो समूह-क के लोंग प्रश्न बनायेंगे, और यदि समूह-ख में 7 से अधिक लोंग उसको स्वीकृति दे देते हैं ,तो फिर नार्को प्रभारी वो प्रश्न पूछेगा | समूह-क के हरेक व्यक्ति को प्रश्न पूछने के लिए केवल 5 मिनट मिलेंगे |
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6) [जूरी सदस्यों के लिए निर्देश]

जूरी सदस्य ये निर्णय करेंगे कि नार्को जांच निजी हो या सार्वजनिक हो | यदि किसी महिला पीड़ित का नाम गुप्त रखना है, तो फिर पोलीग्राफ, ब्रेन-मैपिंग, नार्को जांच निजी होनी चाहिए और जूरी सदस्य उसे सार्वजानिक नहीं कर सकते | इसके अलावा, नारको जांच सार्वजनिक की जा सकती है |
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7) [जूरी सदस्यों के लिए निर्देश]

यदि समूह-क में कोई व्यक्ति अपना स्थान समूह-ख में किसी व्यक्ति से बदलना चाहता है, तो वो ऐसा कर सकता है | जूरी सदस्यों का बहुमत, जिला जूरी प्रशासक द्वारा बनाये गए विशेषज्ञ (माहिर) दल में से किसी विशेषज्ञ को नार्को जांच के लिए प्रश्न बनाने की स्वीकृति दे सकते हैं | प्रश्नों के बनाने का कार्य केवल दोनों समूहों में जूरी सदस्यों द्वारा किया जायेगा और गुप्त रूप से किया जायेगा | प्रश्न के बनाने के समय जज, वकील, आदि उपस्थित नहीं हो सकते | प्रश्न बनाने का सत्र तब समाप्त होगा जब बहुमत जूरी सदस्य सहमत हों कि प्रश्न बनाने का कार्य अब समाप्त हो चुका है |
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8) [जूरी सदस्यों के लिए निर्देश]

जूरी सदस्यों का बहुमत ये निर्णय करेगा कि कौन से विशेषज्ञ पोलीग्राफ, ब्रेन-मैपिंग और नार्को-जांच का कार्य करवाएंगे | वे इन विशेषज्ञों को जिला जूरी प्रशासक द्वारा चुने गए विशेषज्ञ दल में से चुनेंगे |
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9) [जूरी सदस्यों के लिए निर्देश]

पोलीग्राफ या ब्रेन-मैपिंग या नार्को-जांच में प्रश्नों के प्राप्त उत्तर के आधार पर, समूह-क में कोई जूरी सदस्य या जूरी द्वारा निश्चित विशेषज्ञ नया प्रश्न भी बना सकता है और यदि समूह-ख उस प्रश्न को स्वीकृत करता है, तो जांच प्रभारी उस प्रश्न को पूछेगा | कोई भी प्रश्न समूह-ख के बहुमत जूरी सदस्यों की स्वीकृति के बिना नहीं पूछा जायेगा |
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10) [जूरी सदस्यों के लिए निर्देश]

पोलीग्राफ, नार्को जांच और ब्रेन-मैपिंग – तीनों तरह के जांच में प्राप्त उत्तर को सबूत के रूप में नहीं लिया जायेगा |
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11) [पुलिस जांच अफसर के लिए निर्देश]

मामले की जांच-पड़ताल करने वाला पुलिस अफसर इस जांच में प्राप्त उत्तर के आधार पर आगे जांच करके और सबूत प्राप्त कर सकता है |
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12) [नार्को जांच प्रभारी के लिए निर्देश]

जूरी की स्वीकृति से, नार्को जांच प्रभारी जूरी मुकदमा शुरू होने से पहले भी पोलीग्राफ, ब्रेन-मैपिंग या नारको जाँच करवा सकता है | वो जांच की प्रक्रिया भी पिछले धाराओं में बताई गयी प्रक्रिया के सामान होगी |
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13) [नार्को जांच प्रभारी के लिए निर्देश]

बिना जूरी की स्वीकृति से, नार्को जांच नहीं किया जा सकता | यदि आरोपित अपनी सहमति भी दे दे, तो भी नारको-जांच करवाने के लिए बहुमत जूरी सदस्यों की स्वीकृति आवश्यक होगी |
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14) [नारको जांच प्रभारी के लिए निर्देश]

मीडिया को लाइव प्रसारण के लिए आमंत्रित किया जाएगा यदि जूरी ये निर्णय करती है कि नारको-जांच सार्वजानिक होगा | इस नार्को जांच को रिकॉर्ड किया जाएगा और लाइव प्रसारण और रिकोर्डिंग सरकारी वेबसाईट पर दिखाई जायेगी |
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सैक्शन – राइट-टू-रिकॉल जिला जूरी प्रशासक

15) नागरिक शब्‍द का मतलब (अर्थ) रजिस्टर्ड वोटर (मतदाता) है ।

16) [जिला कलेक्‍टर]

यदि भारत का कोई भी नागरिक जिला जूरी प्रशासक बनना चाहता हो और जो 30 वर्ष से अधिक हो, तो वह जिला कलेक्‍टर के समक्ष, कार्यालय स्‍वयं अथवा किसी वकील के जरिए एफिडेविट लेकर जा सकता है। जिला कलेक्‍टर सांसद के चुनाव के लिए जमा की जाने वाली वाली धनराशि के बराबर शुल्‍क लेकर जिला जूरी प्रशासक पद के लिए उसकी दावेदारी स्‍वीकार कर लेगा और उसका नाम मुख्यमंत्री वेबसाईट पर रख देगा ।
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17) [तलाटी अर्थात लेखपाल अर्थात पटवारी (अथवा तलाटी का क्‍लर्क)]

यदि उस जिले का नागरिक तलाटी (पटवारी) के कार्यालय में स्‍वयं जाकर 3 रूपए का भुगतान करके अधिक से अधिक 5 व्‍यक्‍तियों को जिला जूरी प्रशासक के पद के लिए अनुमोदित (पसंद) करता है तो तलाटी उसके अनुमोदन (स्वीकृति) को कम्‍प्‍युटर में डाल देगा और उसे उसके मतदाता पहचान-पत्र संख्या, दिनांक-समय और जिन व्‍यक्‍तियों के नाम उसने अनुमोदित किए है, उनके नाम, के साथ रसीद देगा ।

18) [तलाटी]

वह तलाटी नागरिकों की पसंद (प्राथमिकता) को जिले की वेबसाइट पर उनके वोटर आईडी (मतदाता पहचान-पत्र संख्या) और उसकी प्राथमिकताओं के साथ डाल देगा ।
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19) [तलाटी]

यदि कोई नागरिक अपने अनुमोदन (स्वीकृति) रद्द करने के लिए आता है तो तलाटी उसके एक या अधिक अनुमोदनों को बिना कोई शुल्‍क (फीस) लिए बदल देगा ।
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20) [मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्त (भर्ती) अफसर]

प्रत्‍येक महीने की पांचवी तारीख को मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्त अफसर प्रत्‍येक उम्‍मीदवार की अनुमोदन (स्वीकृति)-गिनती पिछले महीने की अंतिम तिथि की स्‍थिति के अनुसार प्रकाशित करेगा (छपेगा) ।
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21) [मुख्यमंत्री]

यदि किसी उम्‍मीदवार को जिले के सभी दर्ज मतदाताओं के 35 प्रतिशत से ज्‍यादा नागरिक-मतदाताओं (केवल वे मतदाता ही नहीं जिन्‍होंने अपना अनुमोदन (स्वीकृति) फाइल किया है बल्‍कि सभी दर्ज मतदाता) का अनुमोदन (स्वीकृति) मिल जाता है और वर्तमान जिला जूरी प्रशासक के अनुमोदन से उम्मीदवार के अनुमोदन जिले के कुल मतदाता संख्या के 5% से अधिक है, तो मुख्यमंत्री वर्तमान जिला जूरी प्रशासक को हटा सकते हैं या उन्‍हें ऐसा करने की जरूरत नहीं है और उस सर्वाधिक अनुमोदन (स्वीकृति) प्राप्‍त उस उम्‍मीदवार को जिला जूरी प्रशासक के रूप में नियुक्‍त कर कर सकते हैं या उन्‍हें ऐसा करने की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री का निर्णय अंतिम होगा ।
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सैक्शन-सी.वी. (जनता की आवाज़)

CV1. [जिला कलेक्टर को निर्देश]

यदि कोई नागरिक इस कानून में कोई बदलाव चाहता है तो वह जिला कलेक्टर को एक एफिडेविट (शपथ पत्र) 20 रुपये प्रति पन्ने की फीस के साथ देगा | क्लर्क उस एफिडेविट को नागरिक के वोटर आई.डी. नंबर के साथ प्रधान मंत्री की वेबसाइट पर स्कैन कर देगा, ताकि सभी उसे बिना लॉग-इन के देख सकें |
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CV2. [तलाटी उर्फ़ पटवारी उर्फ लेखपाल को निर्देश]

यदि कोई नागरिक इस कानून के मसौदे या इस कानून के किसी धारा के खिलाफ विरोध दर्ज करवाना चाहता है या समर्थन करना चाहता है या उपरोक्त धारा के अनुसार दर्ज एफिडेविट पर विरोध या समर्थन करना चाहता है, तो वह अपनी हाँ या ना 3 रुपये फीस देके पटवारी के ऑफिस में रजिस्टर करवा सकता है | पटवारी उस नागरिक की हाँ / ना दर्ज करेंगे और प्रधान मंत्री की वेबसाइट पर नागरिक के वोटर आई.डी. नंबर के साथ डालेंगे |
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===========ड्राफ्ट का अंत ===========
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नोट —– मसौदे के आखिर में CV1. और CV2. देखें | इन धाराओं को प्रयोग करके कार्यकर्ता एवं नागरिक नार्को टेस्ट कानून में बदलाव ला सकता है | इसके अलावा जिला जूरी प्रशासक अपने विवेक-अधिकार उपयोग कर सकते है | अगर वह अपनी विवेक-अधिकार का दुरूपयोग करे तो नागरिक राइट टू रिकॉल-जिला जूरी प्रशासक की प्रक्रिया का प्रयोग करके नागरिक जिला जूरी प्रशासक को बदल सकते है | इस प्रकार नारको-जांच अधिकारीयों और जिला जूरी प्रशासक को गलत करने से रोक सकते हैं |
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