बच्चों में मोटापा खतरे की घंटी है ! जानिए इसके कारण और निवारण

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आज के मॉडर्न समय में लोग स्मार्टफोन की दुनिया में सिमटकर रह गये हैं. ऐसे में वह अपने खान-पान की आदतों को लेकर काफी बदल गये हैं. शोध के अनुसार दुनिया के अधिकतर लोग फ़ास्ट फ़ूड की लत का शिकार हो चुके हैं. ऐसे में मोटापा, सुगर, हाई ब्लड प्रेशर और ना जाने कितने रोग उन्हें अपनी चपेट में ले लेते हैं. अपने बीजी शेड्यूल में लोग अक्सर बच्चों के खान-पान पर बी सही से ध्यान नहीं दे पाते जिसके कारण उनके बच्चे बिमारियों से पीड़ित रहते हैं.

हालाँकि माँ बाप अपने बच्चों को स्वस्थ जीवन देना चाहते अं लेकिन फिर भी दुनिया की रेस में दौड़ते दौड़ते वह अपने बच्चपन की देखभाल करने में कहीं ना कहीं चूक ही जाते हैं. वहीँ बात अगर मोटापे की करें तो इन दिनों हर दो में से एक व्यक्ति बढ़ते वजन की समस्या से जूझ रहा है. मोटापा बजुर्गों में ही नहीं बल्कि बच्चों मे भी उभर कर सामने आ रहा है.

हाल ही में किये एक शोध के अनुसार जो बच्चे बढ़ते वजन से पीड़ित हैं, उनकी पाचन प्रणाली भी काफी कमजोर हो रही है साथ ही इसका सीधा असर उनकी यादाश्त पर भी पड़ रहा है. ऐसे में हर माँ बाप को बच्चे के बढ़ते वजन का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्यूंकि उनकी छोटी सी इग्नोरेंस आगे चल कर उनके बच्चे के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है.

अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ वेरमॉन्ट और येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस संबंध में अध्ययन किया है. अध्ययन के लिए 10,000 किशोरों के आंकड़े जुटाए गए. 10 साल चले अध्ययन के दौरान हर 2 साल में उनकी जांच की गई और ब्लड सैंपल लिया गया. शोधकर्ताओं ने बताया, ‘इस दौरान उनके दिमाग की स्कैनिंग भी की जाती रही, जिसमें वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन बच्चों का बीएमआइ ज्यादा होता है,

उनका सेरेब्रल कॉर्टेक्स पतला हो जाता है। सेरेब्रल कॉर्टेक्स एक परत है जो दिमाग के बाहरी हिस्से को ढकती है. इसके पतले होने से दिमाग की सोचने, याद रखने जैसी क्षमताएं प्रभावित हो जाती हैं. वैज्ञानिकों ने अपने अध्‍ययन में इससे पहले के अध्‍ययनों से मिले निष्‍कर्षों का समर्थन किया जिनमें पाया गया था कि उच्‍च बीएमआइ वाले बच्‍चों की वर्किंग मेमरी कमजोर होती है.’

इसके साथ ही एक और पोपुलर और नामी गिरामी जर्नल “द लैसेंट” में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार बताया गया कि, दुनिया के लगभग एक तिहाई निम्न आयु वर्ग के देशों में बढ़ते वजन और मोटापे के साथ साथ कुपोषण जैसी गंभीर समस्याएं देखि जा रही हैं. इन सब के पीछे का कारण कहीं का कहीं लोगों के खान-पान की बिगडती हुई आदतें ही हैं. खाद्य पदार्थों की सही जानकारी ना होने से यह बीमारियाँ पेरेंट्स से बच्चों में भी तेज़ी से फेल रही हैं.

इस शोध में बताया गया कि , “‘कुछ वर्षों से निम्न आय वाले देशों में सुपरमार्केट बढ़ गए हैं और ताजा खाद्य बाजार खत्‍म होने लगे हैं, इससे स्थिति खराब हुई है. इतना ही नहीं बल्कि खाद्य पदार्थों की शृंखला को कंपनियों द्वारा नियंत्रित किए जाने के कारण भी ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है.’