इंसान को अपना घर बनाने और दो वक़्त की रोटी जुटा पाने में पूरी उम्र लग जाती है. हमें हमेशा बड़े होने के फायदे बताये जाते हैं, लेकिन कभी ये नहीं बताया जाता कि उम्र के साथ दुनियाभर की जिम्मेदारियां हमारे सिर, कंधों, जेबों हर जगह आने वाली हैं. दुनिया में यूं तो सभी कड़ी मेहनत करके पैसा कमाते हैं, लेकिन सबसे ज़्यादा दुखदायी किस्म की मेहनत एक किसान को ही करनी पड़ती है.
किसानों की ज़िंदगी काफी मुश्किल होती है. उन्हें पैसों की कमी के कारण उधार लेना पड़ता है. मौसम पर निर्भर रहना पड़ता है और दो वक़्त का खाना जुटाने के लिए और भी बहुत कुछ सहना पड़ता है. ऐसे ही वह अपना घर चलाते हैं. लेकिन ये बात शायद ही किसी पता होगी कि दुनिया में करोड़पति किसान भी होते हैं. ये वो किसान हैं जिन्होंने अपने काम से पैसे कमाने का अलग रास्ता ढूंढा और ज़िंदगी में एक बड़ा मुकाम हासिल करने में सफल हुए.
बनासकांठा में अमिरगढ़ तालुका के रामपुर वदला गांव में रहने वाले इस्माइलभाई रहीमभाई शेरू, ऐसे ही किसानों में से एक हैं. शेरू ने 36 साल पहले काम करना शुरू किया था. उनके पिता चाहते थे कि वो बी.कॉम की पढ़ाई करके नौकरी करें. लेकिन उन्होंने खेती करना ज़्यादा पसंद किया. शेरू आलू की खेती का काम करते हैं और उसी के दम पर काम करते हुए आज उनके पास 400 एकड़ की ज़मीन है. शेरू McCain के कॉन्ट्रैक्ट पर काम करते है. McCain, McDonald’s को फ्रेंच फ्राइज़ और आलू टिक्की के लिए आलू सप्लाई करने वाली कंपनी है.
58 साल के पार्थीभाई जेठभाई चौधरी ने अपनी पुलिस की नौकरी छोड़ McCain के तहत आलू की खेती करना शुरू किया था. बनासकांठा के दांतीवाडा में रहने वाले चौधरी ने बताया कि सीजन के अंत तक सिंचाई के लिए 750mm पानी की ज़रूरत पड़ती है. लेकिन फव्वारे और ड्रिप सिंचाई को अपनाने की वजह से खेती में दिक्कत नहीं आती और पानी भी बचता है. चौधरी अपनी 87 एकड़ के खेत से बड़ी पैदावार करने के लिए प्रतिष्ठित हैं. इसके लिए उन्होंने बताया, “ये सब प्रकृति और फसल को समझने और उनके साथ सिंक में चलने वाली बात है. हम 1 से 10 अक्टूबर के बीच खेतों में बुआई करते है जिससे दिसम्बर तक उनकी फसल तैयार हो जाती है. इस मौसम में उन्हें लगभग 1200 किलो प्रति हेक्टर आलू मिलते हैं.
महाराष्ट्र के जलगांव जिले में रहने वाले 62 साल के तेनु डोंगर बोरोले और 64 साल के ओंकार चौधरी, केले उगाने वाले करोड़पति हैं. तेनु पहले चाय बेचने का कम करते थे और ओंकार प्राइमरी स्कूल के टीचर थे. ये अपनी सफलता का श्रेय Grand Naine Variety को देते हैं, जिन्होंने इज़राइल से अपनाये हुई जैन सिंचाई की तकनीक का इस्तेमाल इन्हें बताया. Grand Naine Variety हर साल फलों की पैदावार करता है जिसके बाद उसे हर 3 साल में दोबारा बुआई करनी होती है. जैन सिंचाई पानी बचाने वाले उपकरण सप्लाई करते हैं. इसके साथ-साथ वो उर्वरक का भी उत्पादन करते हैं. इसके अलावा ये कंपनी किसानों को गर्मी और उमस से अपनी फसल बचाने के तरीके भी सिखाती है. इसीलिए आज जलगांव केले का व्यापार करने वाला उत्पादक बन गया है.
इससे सीख मिलती है कि विज्ञान और तकनीक के सही इस्तेमाल से कृषि के क्षेत्र में लाभ कमाया जा सकता है. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से पैसों के नुकसान से बचा जा सकता है. किसान साथ मिल कर अग्रोनोमिस्ट बन सकते है और अपनी खेती का लाभ उठा सकते हैं.
साभार – गजब पोस्ट