आज देख लीजिए कैसे बनाया गया था सविधान ! किसका कितना योगदान

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भारत को आजादी  मिली 15 अगस्त 1947 को तो हमने हमारा संविधान बनाना शुरु कर दिया और भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ 26 जनवरी 1950 को इसके लिए एक संविधान सभा का निर्माण किया गया उस संविधान सभा में 296 सदस्य थे जिन्होंने 11 महीने और 18 दिन काम करके संविधान तैयार किया लेकिन 11 महीने और 18 दिन में काम कुल 166 घंटे हुआ और उसमें संविधान तैयार हो गया भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है इतना बड़ा लिखित संविधान दुनिया के किसी देश के पास नहीं है जो भारत के पास है 395 तो अनुच्छेद हैं जिसको हम आर्टिकल्स कहते हैं और इतना मोटा सा पूरा पुस्तक है शास्त्र जैसा आप कभी भी खरीद कर देख सकते हो

सविधान बनने के प्रारूप को समझने के लिए ये विडियो देखे >>

दुनिया के किसी देश में इतना बड़ा संविधान नहीं हमने बनाया तो बहुत बार मेरे मन में आता था कि मात्र 11 महीने 18 दिन के समय में इतना मोटा संविधान कैसे बना लिया हमने इसको बनाने में तो ज्यादा समय लगना चाहिए जब खोजना शुरू किया तो पता चला कि इस संविधान में हमने कुछ खास नहीं बनाया अंग्रेजों ने एक कानून बनाकर हमारे देश में छोड़ा हुआ था उसीको हम ने भारत का संविधान बना लिया अंग्रेजों का एक कानून था इस देश में 1935 में उसका नाम था गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट में जो कुछ लिखा था वही सब कुछ भारत के संविधान में है कुछ बदला नही और गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट अंग्रेजों ने बनाया था भारत पर राज करने के लिए भारत को गुलाम बनाने के लिए और भारत पर साम्राज्य स्थापित करने के लिए उसी को पूरा का पूरा संविधान के रूप में हमने स्वीकार कर लिया.

तो संविधान सभा में जो बड़े-बड़े नेता शामिल हुए थे ना उनके बयान अगर आप पढ़ेंगे तो आप हैरान हो जायेंगे हमारे देश की संविधान सभा की जो ड्राफ्टिंग कमेटी थी उसके चेयरमैन थे डॉक्टर भीमराव अंबेडकर उन्होंने 1953 में यह कहा राज्यसभा में बोलते हुए कि अगर मुझे कोई अनुमति दे दें तो मैं सबसे पहला व्यक्ति होऊंगा जो इस संविधान को जला दूंगा पत्रकारों ने उनसे पूछा कि आप इस संविधान के निर्माता है और आप ही इसको जलाने की बात कर रहे हैं और डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि इस संविधान से भारत के किसी नागरिक का भला नहीं होने वाला क्यों नहीं होने वाला क्योंकि जल्दी-जल्दी में बनाया गया यह संविधान है और उन्होंने बहुत बेबसी से यह कहा था कि मेरे पास कोई चारा नहीं था इतने कम समय में संविधान बनाना था और अंग्रेजो की तरफ से हमको यह गवर्नमेंट ऑफ इंडिया रुल या गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट का ड्राफ्ट दिया गया था आधार उसको बनाकर दुनिया के दूसरे देशों के संविधानों में से कुछ चीजें निकालकर यह भारत का संविधान तैयार हो गया यह भारत के लोगों द्वारा तयार नहीं किया गया एक तरह से अंग्रेजों के बनाए गए कानून पर आधारित है तो परिणाम क्या हुआ वह संविधान बनने के और लागू होने के पिछले 60 सालों में ही 94 से ज्यादा उसमें संशोधन हो गये माने संविधान अब ओरिजिनल रहा कहाँ 60 साल में 94 संशोधन इसका माने हर साल में लगभग डेढ़ से दो संशोधन उसमे हुए इसका माने इतने संशोधन किसी संविधान में तभी हो सकते हैं जब उसमे कोई बहुत बड़ी खराबी हो या कमी हो या कोई बड़ी बुराई हो वरना इतने संशोधन होने का कोई कारण नहीं है

संविधान सभा में सचिदानंद सिन्हा थे पंडित जवाहर लाल नेहरु थे सरदार बल्लभ भाई पटेल थे सरोजिनी नायडू थी राजकुमारी अमृत कौर थी ऐसे भारत के बड़े-बड़े दिग्गज नेता थे. इन के बयानों को अगर आप पढ़ेंगे तो हैरान हो जायेंगे यह सब के सब यह कह रहे हैं अपने बयानों में की भारत के शहीदों ने क्रांतिवीरों ने जिस कल्पना से देश की आजादी की लड़ाई लड़ी है उस कल्पना को यह संविधान कहीं भी पूरा नहीं करता और शहीदों के सपने इस संविधान से पूरे नहीं हो पाएंगे यह पक्का है और उनके बयान आज हमारे सामने है 63 सालों में हमें दिखाई दे रहा है कि यह संविधान ना देश का भला कर पा रहा है ना समाज का भला कर पा रहा है यह बड़ी भारी हमसे भूल हो गई अच्छा होता हम छोटा संविधान बनाते लेकिन मौलिक होता अपना होता अंग्रेजों के कानून की नकल नहीं होता अंग्रेजों का कानून जो गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट था वह तो हमारी गुलामी के लिए था उस पर आधारित हमारी आजादी का संविधान कैसे अच्छा हो सकता है