हमें भारत की निजी संस्थाओं/दुकानों/निजी कार्यालयों/निजी कारखानों आदि को और भी कार्यकुशल बनाने के लिए एक क़ानून की जरुरत है । यह क़ानून भारत के सार्वजनिक/राजनेतिक क्षेत्र की ही तरह निजी क्षेत्र में भी लोकतंत्र की स्थापना करेगा । पूरी उम्मीद है कि इस क़ानून के लागू होने के बाद हमारा निजी क्षेत्र बहुत ही उम्दा प्रदर्शन करेगा ।
इस क़ानून के अनुसार :
(1) कोई भी निजी संस्था/कार्यालय/दूकान/घर आदि का स्वामी यदि किसी मैनेजर, कामगार, नौकर आदि को नौकरी पर रखता है तो उसे अगले पांच वर्ष तक नौकरी से नही निकाल सकेगा ।
स्पष्टीकरण : स्वामी को नौकर के बारे में जितनी छानबीन करनी है, उसे नौकरी पर रखने से पहले ही करनी होगी । यदि एक बार उसे नौकरी पर रख लिया जाता है तो फिर उसे किसी भी सूरत में 5 वर्ष से पहले नौकरी से निकाला नही जा सकेगा ।
(2) एक बार नौकरी पर रख लेने के बाद स्वामी बाध्य होगा कि वह नौकर को हर महीने की एक तारीख को तय वेतन का भुगतान करे ।
स्पष्टीकरण : यदि नौकर काम पर नही आता है, या केवल टाइम पास करने के लिए घंटे दो घंटे के लिए आकर चला जाता है, तब भी स्वामी इसके लिए बाध्य होगा कि नौकर को पूरे वेतन का भुगतान करे ।
(3) किसी संस्था/कम्पनी/कार्यालय/घर आदि के नौकरों को यह अधिकार होगा कि वे आपस में सलाह मशविरा करके अपनी वेतन, भत्तो, सुविधाओं में वृद्धि कर सके
स्पष्टीकरण : नौकर जो भी वेतन वृद्धि करने पर सहमत होते है, स्वामी वह वेतन अदा करने के लिए बाध्य होंगे । विशेष यह है कि नौकर वेतन वृद्धि के बारे में स्वामी को सिर्फ सूचित करेंगे, पूछेंगे नही ।
(4) पांच वर्ष बाद स्वामी को अपने नौकर को बदलने का एक दिवसीय मौका मिलेगा ।
.
स्पष्टीकरण : यदि स्वामी फिर से उसी नौकर की नियुक्ति कर देता है, या अन्य किसी व्यक्ति को नौकरी दे देता है, तो उसे फिर से 5 वर्ष पूर्व निकाला नही जा सकेगा ।
.
(5) यदि स्वामी अपने किसी नौकर के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज करवाता है तो, इस शिकायत की जांच अन्य संस्था के नौकर करेंगे तथा नौकर ही उस पर अपना फैसला देंगे । स्वामियों को नौकरों के खिलाफ जांच और फैसला सुनाने का अधिकार नही होगा ।
.
स्पष्टीकरण : मान लीजिये कि X घर का मालिक अपने नौकर के खिलाफ शिकायत करता है, तो Y घर के नौकर उसकी जांच करेंगे और Z घर के नौकर उस पर फैसला देंगे ।
.
(6) यदि किसी घर/दूकान/कार्यालय का स्वामी अपने किसी नौकर के कार्य से संतुष्ट नही है या फीर नौकर स्वामी को गंभीर क्षति पहुंचा रहा है तो स्वामी अमुक नौकर को सीधी राह पर लाने के लिए उसके खिलाफ अनशन, धरने, प्रदर्शन आदि विधियों का प्रयोग कर सकेंगे ।
.
स्पष्टीकरण : (1) अनशन — इस विधि में भूखा रहा जा सकेगा । मान्यता है कि भूखे रहने से व्यक्ति में शक्ति का संचार होता है, जबकि जिसके खिलाफ भूखा रहा जाता है उसके स्वभाव में बदलाव आता है । (2) धरना — इसमें काम धंधा वगेरह छोड़ कर कई कई दिनों तक सड़को के किनारे पर तम्बू लगाकर जमाव लगाया जा सकेगा । (3) प्रदर्शन — इस विधि में पोस्टर बेनर वगेरह गले में टांग कर ऊँची आवाज में नारे आदि लगाए जा सकेंगे ।
.
स्वामियों के लिए सुझाव :
- कृपया नौकरी पर रखने से पूर्व नौकर के बारे में गहन जांच पड़ताल करें तथा ईमानदार नौकर को ही चुने ।
.
- नौकरी पाने के बाद यदि कोई नौकर बेईमान, भ्रष्ट और उद्दंड हो जाता है.. तो उसे समझाएं कि बेईमानी अच्छी बात नही है, और बेइमानी करने वाले व्यक्ति को पाप लगता है ।
=========
यदि आपको ये क़ानून मजाक लग रहा है तो आप वही बात कह रहे है, जो कि 1925 में महात्मा भगत सिंह जी ने कही थी ।क्योंकि पिछले 68 वर्षो से देश की राजनेतिक व्यवस्था इसी तरीके से चल रही है । ऊपर दी गयी व्यवस्था में यदि आप नौकर की जगह जन प्रतिनिधियों (विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री, प्रधानमन्त्री) को तथा देश के मालिक के रूप में देश के करोड़ो नागरिको को रखे तो आप इस व्यवस्था को समझ जायेंगे ।
.
क्या आप जानते है, कि अमेरिका में वहां की जनता के पास यह अधिकार है कि वे बहुमत के प्रयोग से अपने जनप्रतिनिधियों, न्यायधीशों तथा प्रशासनिक अधिकारियों को किसी भी समय नौकरी से निकाल सकते है ?
कि भ्रष्ट को जनता द्वारा नौकरी से निकालने के अधिकार को राईट टू रिकाल कहते है ?
कि महात्मा भगत सिंह, महात्मा चंद्रशेखर आजाद और महात्मा सचिन्द्र नाथ सान्याल ने 1925 में कहा था कि आजाद भारत में यदि राईट टू रिकाल क़ानून नही हुए तो लोकतंत्र एक मजाक बन जाएगा ?
कि महात्मा राजीव दिक्षित राईट टू रिकाल कानूनों को की मांग कर रहे थे ?
कि राईट टू रिकाल और जूरी सिस्टम कानूनों के अभाव में लोकतंत्र एक लूटतंत्र बन जाता है और राज्य नष्ट हो जाता है, ऐसा 1870 में महर्षि दयानंद सरस्वती ने कहा था ?
कि ब्रिटेन और अमेरिका में दंड देने कि शक्ति वहां के नागरिको के पास है ?
.
क्या आप जानते है, ये सब जानकारी आपके पास क्यों नहीं है ?
.
क्योंकि कोई भी नौकर यही चाहेगा कि उसे नौकरी से निकालने का अधिकार उसके मालिक के पास न हो, ताकि वो अपनी मनमानी कर सके । इसलिए हमारे नेता पिछले कई वर्षो से इस जानकारी को छुपाते आ रहे है क्योंकि यदि एक बार यह जानकारी मालिको को हो जाती है कि अन्य विकसित देशो की राजनेतिक व्यवस्था में नागरिको के पास राईट टू रिकाल और जूरी सिस्टम जैसे क़ानून है, तो भारतीय लोग भी इन कानूनों की मांग करने लगेंगे ।
.
मेरा मत है कि यदि हमारे पास चुनने का अधिकार है, तो बहुमत द्वारा हटाने का अधिकार भी होना चाहिए । भ्रष्ट आचरण करने पर जिस तरह निजी क्षेत्र में नौकर को नौकरी से निकाल दिया जाता है, उसी तरह से भारतीय नागरिको के पास भी यह अधिकार होना चाहिए कि वे अपने नेताओं को नौकरी से निकाल सके । राईट टू रिकाल ग्रुप ने इसकी प्रक्रियाओं के लिए विभिन्न कानूनी ड्राफ्ट प्रस्तावित किये है, जिन्हें आप righttorecall. info पर देख सकते है ।
.
मैं भारत में राईट टू रिकाल और जूरी सिस्टम कानूनों की मांग कर रहा हूँ, अपने बारे मैं आप खुद तय कीजिये कि आप अपने प्रतिनिधियों को नौकरी से निकालने का अधिकार चाहते है या नही । चूंकि, मोदी, केजरीवाल, सोनिया जैसे हमारे नौकर यह मानते है कि भारत की जनता के पास हमें सिर्फ चुनने का अधिकार होना चाहिए हटाने का नहीं, अत: जब तक देश के करोड़ो मालिक अपने नौकरों से यह मांग नहीं करेंगे तब तक इन कानूनों को भारत में लागू करवाना सम्भव नहीं है ।
.
यदि करोड़ो नागरिक यह मांग करते है तो यह मांग आदेश का रूप ले लेगी तथा हमारे नौकर इन कानूनों को गेजेट में प्रकाशित करने के लिए बाध्य हो जायेंगे ।