भारत के नागरिको,
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अगर आप भारत की स्वदेशी इकाइयों को सरंक्षण देने का समर्थन करते है, तो अपने सांसद को एस.एम.एस. द्वारा ये आदेश भेजे :
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माननीय सांसद मैं आपको आदेश करता हूँ कि, इस क़ानून को गैजेट में प्रकाशित किया जाए। मतदाता संख्या : ######
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पूरी तरह से भारतीय मालिक वाली कम्पनी (WOIC)` ऐसी कम्पनी है जिसके 100 प्रतिशत शेयर केवल भरतीय नागरिक या भारतीय सरकार या कोई अन्य `सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कंपनी` के पास हों, मतलब उस कम्पनी के कोई भी शेयर विदेशियों के न हों |
प्रिय सांसद/विधायक, अगर आपको एस.एम.एस. के द्वारा ये यू.आर.एल. मिला है तो उसे वोटर का आदेश माना जाये जिसने यह मैसेज भेजा है (न कि जिसने ये लेख लिखा है) एस.एम.एस. भेजने वाला आपको लेख के `C` सैक्शन में कानून-ड्राफ्ट को अपने वेबसाईट, निजी बिल आदि द्वारा बढ़ावा करने और मांग करने के लिए आदेश दे रहा है
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====== `सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कम्पनी` (डब्ल्यू. ओ. आई. सी.)` ड्राफ्ट का प्रारम्भ =========
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1. कोई भी कंपनी अपने आप को `सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कम्पनी`(डब्ल्यू. ओ. आई. सी.) दर्ज करवा सकती है |
- यदि कोई कम्पनी `सम्पूर्ण भारतीय (नागरिक) मालिकी वाली कंपनी (डब्ल्यू. ओ. आई. सी.)` है तो 18 वर्ष से अधिक उम्र के निवासी भारतीय नागरिक या दूसरे देश में अस्थायी निवासी भारतीय नागरिक, उस कंपनी के शेयर (हिस्सेदारी) खरीद सकते हैं । इसके अलावा, कोई भी दूसरी `सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कम्पनी` (डब्ल्यू. ओ. आई. सी.) या भारतीय सरकार उस कंपनी के शेयर खरीद सकती है, लेकिन कोई गैर-डब्ल्यू. ओ. आई. सी. या गैर-भारतीय नागरिक उस कंपनी के शेयर नहीं खरीद सकते |
- केवल भारतीय नागरिक `सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कम्पनी` का निर्देशक, अध्यक्ष या भागीदार (पार्टनर) हो सकता है |
4. गैर-`सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कम्पनियाँ` भारत में कोई भी भूमि खरीद नहीं सकती या भूमि को 10 साल से अधिक के लिए किराये पर नहीं ले सकती | गैर-`सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कम्पनी` खदानें या कृषि भूमि को खरीद नहीं सकतीं या किराये पर नहीं ले सकतीं | - गैर-`सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कम्पनियाँ` भारत में कोई भी निर्माण को खरीद नहीं सकती या कोई भी निर्माण को 10 वर्ष से अधिक किराये पर नहीं ले सकतीं |
- कोई भी मंत्री या सरकारी कर्मचारी गैर-`सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कम्पनी` में शेयर खरीद नहीं सकता |
- यदि `सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कम्पनी` का कोई हिस्सेदार किसी दूसरे देश का नागरिक या स्थायी निवासी हो जाता है, तो उसे 3 महीनों में अपने शेयर बेच देने होंगे या रजिस्ट्रार उन शेयर को नीलाम करेगा और उसे शुल्क (प्रभार) कम करके नीलामी से मिले पैसे उस नागरिक को दे देगा |
- केवल `सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कम्पनी` ही भारत में पटेंट (एकस्व अधिकार) के लिए अर्जी दे सकती है |
- भारतीय सरकार को दिए कोई भी टेंडर (ठेका बोली) में, गैर-`सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कम्पनी` द्वारा जमा की गयी राशि `सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कम्पनी` द्वारा दी गयी राशि से 20% कम होगी, तो ही उस राशि को सम मूल्य (बराबर) माना जायेगा |
- `सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कम्पनी` को जमा किये गए कोई टेंडर में, गैर-`सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कम्पनी` द्वारा दी गयी राशि `सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कम्पनी` द्वारा 10 प्रतिशत कम हो, तो ही उस राशि को सम मूल्य (बराबर) माना जायेगा |
- `सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कम्पनी` हर महीने रजिस्ट्रार को कंपनी के मालिकी का सम्पूर्ण ब्यौरा (विवरण) जमा करेगी |
- हर मंत्री, सांसद, विधायक, अफसर, जज और हर सरकारी कर्मचारी घोषित करेगा कि उसके किस `सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कम्पनी` में कितने शेयर हैं |
- कोई भी बैंक वाली कम्पनी या कोई वित्तीय कम्पनी जो भारत में भारत के नागरिकों से जमा राशि लेती है, वो कंपनी `सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कम्पनी` होनी चाहिए |
- बैंक केवल `सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कम्पनी` को कर्ज (लोन) देंगे |
- केवल `सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कम्पनी` ही टेलिकॉम, सेटेलाईट और अन्य रणनीतिक (लड़ाई सम्बन्धी) क्षेत्र में आ सकती है |
- केवल `सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कम्पनी` ही कच्चे तेल की खुदाई या कोई अन्य प्रकार के खनिजों की खुदाई के क्षेत्र में आ सकती है ।
- केवल `सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कम्पनी` ही खाने पीने के चीजें, जो दवा ना हों ( गैर-औषधीय खाद्यान्न) बना सकती है या “शून्य-तकनीक” क्षेत्र में काम कर सकती है |
- केवल `सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कम्पनी` ही बैंडविड्थ खरीद सकती है और समाचार-पत्र, समाचार-चैनल चला सकते हैं |
- [जिला कलेक्टर (डी सी) या उसके क्लर्क को निर्देश]
यदि कोई नागरिक इस कानून में किसी परिवर्तन का प्रस्ताव करना चाहता है तो वह नागरिक जिला कलेक्टर अथवा उसके क्लर्क के पास इस परिवर्तन की मांग करने वाला एक ऐफिडेविट/हलफनामा जमा करवा देगा । जिला कलेक्टर अथवा उसका क्लर्क 20 रूपए प्रति पृष्ठ/पेज का शुल्क लेकर इसे प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर स्कैन कर देगा ताकि बिना लॉग-इन सब उसको देख सकें ।
- [तलाटी यानि पटवारी/लेखपाल या उसके क्लर्क को निर्देश]
यदि कोई नागरिक इस कानून या इसके किसी क्लॉज/खण्ड के विरूद्ध अपना विरोध दर्ज कराना चाहे अथवा वह उपर के क्लॉज/खण्ड में प्रस्तुत किसी एफिडेविट/हलफनामा पर अपना समर्थन दर्ज कराना चाहे तो वह पटवारी के कार्यालय में आकर 3 रूपए का शुल्क देकर हां/नहीं दर्ज करवा सकता है । तलाटी हां-नहीं दर्ज कर लेगा और उस नागरिक के हां–नहीं को प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर भी डाल देगा ।
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टीसीपी – जनता की आवाज
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1.
[कलेक्टर (या उसका क्लर्क) को निर्देश ]
राष्ट्रपति कलेक्टर को आदेश देता है कि यदि कोई भी नागरिक मतदाता, यदि खुद हाजिर होकर, एफिडेविट पर अपनी सूचना अधिकार का आवेदन अर्जी / भ्रष्टाचार के खिलाफ फरियाद / कोई प्रस्ताव या कोई अन्य एफिडेविट कलेक्टर को देता है और प्रधानमंत्री की वेब-साईट पर रखने की मांग करता है, तो कलेक्टर (या उसका क्लर्क) उस एफिडेविट को प्रति पेज 20 रूपये का लेकर, सीरियल नंबर देकर, एफिडेविट को स्कैन करके प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर रखेगा, नागरिक के वोटर आई.डी. नंबर के साथ, ताकि सभी बिना लॉग-इन के वे एफिडेविट देख सकें ।
2.
[पटवारी अर्थात तलाटी अर्थात लेखपाल (या उसका क्लर्क) के लिए निर्देश]
(2.1) राष्ट्रपति पटवारी को आदेश देता है कि यदि कोई भी नागरिक मतदाता यदि धारा-1 द्वारा दी गई अर्जी या एफिडेविट पर आपनी हाँ या ना दर्ज कराने मतदाता कार्ड लेकर आये, 3 रुपये का शुल्क (फीस) लेकर, तो पटवारी नागरिक का मतदाता कार्ड संख्या, नाम, उसकी हाँ या ना को कंप्यूटर में दर्ज करके रसीद दे देगा ।
नागरिक की हाँ या ना प्रधानमंत्री की वेब-साईट पर आएगी । गरीबी रेखा के नीचे के नागरिकों के लिए शुल्क 1 रूपये होगा ।
(2.2) नागरिक पटवारी के दफ्तर जाकर किसी भी दिन अपनी हाँ या ना, बिना किसी शुल्क के रद्द कर सकता है और तीन रुपये देकर बदल सकता है ।
(2.3) कलेक्टर एक ऐसा सिस्टम भी बना सकता है, जिससे मतदाता का फोटो, अंगुली के छाप रसीद पर डाला जा सके | और मतदाता के लिए फीडबैक (पुष्टि) एस.एम.एस. सिस्टम बना सकता है |
(2.4) प्रधानमंत्री एक ऐसा सिस्टम बना सकता है, जिससे मतदाता अपनी हाँ या ना, 10 पैसे देकर एस.एम.एस. द्वारा दर्ज कर सके |
3.
[सभी नागरिकों, अधिकारियों, मंत्रियों के लिए सूचना]
ये कोई रेफेरेनडम / जनमत-संग्रह नहीं है | यह हाँ या ना अधिकारी, मंत्री, न्यायधीश, सांसद, विधायक, अदि पर अनिवार्य नहीं होगी । लेकिन यदि भारत के 40 करोड़ नागरिक मतदाता, कोई एक अर्जी, फरियाद पर हाँ दर्ज करें, तो प्रधानमंत्री उस फरियाद, अर्जी पर ध्यान दे भी सकते हैं या ऐसा करना उनके लिए जरूरी नहीं है, या इस्तीफा दे सकते हैं । उनका निर्णय अंतिम होगा ।
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====== `सम्पूर्ण भारतीय नागरिक मालिकी वाली कम्पनी` (डब्ल्यू. ओ. आई. सी.)` ड्राफ्ट का अंत =========