देश में प्रतिभा की कमी नहीं है, इस बात को देश के लोग मौका मिलने पर बार बार साबित करते आए हैं। एक बार फिर बिहारी मेधा ने अपने काबलियत से बिहार का नाम रौशन किया है।. हार राज्य के मुंगेर जिले के छोटे से मोहल्ले रामपुर के मध्य वर्गीय परिवार प्रमोद जयसवाल का 15 वर्षीय पुत्र प्रभाकर जयसवाल ने अपने प्रोजेक्ट से सबको चौका दिया है. चेन्नई में यंग इंडिया साइंटिस्ट 2016 में इसने एक ऐसे प्रोजेक्ट को पेश किया जिसको देखकर देश-विदेश से आये वैज्ञानिकों ने उसे शाबाशी दी है. उसने सोलर वेपन तकनीक विकसित की है.
अगर यह तकनीक सफल हो गया तो भारत मिसाइल के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हासिल कर सकता है. इससे एक ऐसा हथियार तैयार हो सकेगा जिसके जरिये हम किसी भी मिसाइल और रॉकेट लॉन्चर की दिशा और दशा बदल सकते है साथ ही उन्हें नष्ट भी कर सकते हैं.
प्रभाकर ने बताया कि आने वाले समय में पड़ोसी देश चीन और पकिस्तान से खतरों से निपटने में यह सोलर वेपन काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है. उसने बताया कि इस यंग साइंटिस्ट सम्मलेन में हमारा प्रोजेक्ट था कि जियो स्टेशनरी सैटेलाइट में सोलर एनर्जी को कैसे वेपन में रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
प्रभाकर ने बताया कि इस सोलर वेपन को हम एंटी बैलेस्टिक मिसाइल, एंटी न्यूक्लियर मिसाइल और एंटी टैंक में हम इस्तेमाल कर सकते है साथ ही बिजली उत्पादन के क्षेत्र में सोलर वेपन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
प्रभाकर के अनुसार ‘स्पेस किड्ज इंडिया’ चेन्नई में अपने मॉडल सोलर वेपन के लिए ऑनलाइन अप्लाई किया था. स्पेस किड्ज इंडिया को मेरा मॉडल को पसंद आया और मुझे चेन्नई बुलाया.
यंग साइंटिस्ट इंडिया 2016 के लिए 523 बच्चों ने पूरे भारत में ऑनलाइन अप्लाई किया था जिसमे 93 बच्चों का चुना गया जिसमे हम ईस्ट जॉन में सिर्फ एक ही यंग साइंटिस्ट इंडिया 2016 का अवार्ड मुझे दिया गया.
स्पेस किड्ज इंडिया संस्था जिसमे अब्दुल कलाम इंटरनेशनल फाउंडेशन और रशियन सेंटर ऑफ साइंस एंड कल्चर आदि जैसी संस्था साइंटिस्ट बच्चों को बढ़ावा देती है.
प्रभाकर के पिता साधारण एक इलेक्ट्रॉनिक का दुकान चलाते है। अपने लाल के इस कामयाबी से बहुत खुश है और उनको अपने बेटे पर नाज है। उन्होंने बताया कि प्रभाकर बचपन से ही छोटे-मोटे अविष्कार करता रहता था। वे चाहते हैं कि आगे भी प्रभाकर देश के लिए ऐसा अविष्कार करते रहे और राज्य और देश का नाम रौशन करते रहें।