मदद का जुनून ऐसा कि अब तक बचा चूका है तीन हजार गायों की जान

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सड़कपर घायल व्यक्ति को उठाने वाले जहां 100 से में से एकाध सामने आते हैं, वहीं घायल पशु को बचाने वालों की बात करें तो संख्या कई हजारों में एक की है। पशुओं के लिए 16 से 18 घंटे देना वह भी निस्वार्थ भाव से, यह सुनने में थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन सोनीपत का मंजीत आर्य समाज में एक ऐसी ही मिसाल पेश कर रहा है। करीब छह साल में वह जहां तीन हजार गाय अन्य पशुओं की जान बचा चुका है, वहीं अब इसे निस्वार्थ भाव से सेवा का जरिया बना लिया है।

अब गाय ही नहीं, बंदर, बिल्ली, घोड़ा कुत्ते तक की मदद के लिए वह पहुंचता है। मंजीत ने बताया कि गाय को हिंदू समाज में माता का दर्जा दिया गया है। पर अब यह अनदेखी का शिकार हो रही है। इसका कारण संस्कृति का पतन होना है। संस्कृति के लगातार हो रहे पतन को बचाने गाय को बचाने के लिए यह बीड़ा उठाया है। मदद में ऐसे हाथ उठे की अब भारतीय संस्कृति रक्षा दल संगठन बना दिया है।

मंजीत ने जिले के लोगों से अपील की है कि घायल पशु को देखकर चुपचाप निकलें। घायल की मदद के लिए उसे फोन करें। उसने इसके लिए 9034071130 हेल्पलाइन शुरू की है। मंजीत ने बताया कि अब उसने घायल गाय अन्य पशुओं के लिए एम्बुलेंस खरीदी है। जिससे पशु को अस्पताल लाने में उतारने में आसानी रहती है।  मंजीत ने बताया कि हाल ही में गांव शेखपुरा के पास नीलगाय ने सुनसान जगह पर अपने दो दिन के बच्चे को छाेड़ दिया था।

ग्रामीणों ने उसे इसकी सूचना दी। वह मौके पर पहुंचा और नील गाय के बच्चे को अपने अस्पताल लाया। उसने बाजार से निप्पल दूध की बोतल खरीदी। करीब दो सप्ताह तक ऐसे ही दूध पिलाया। अब इस बच्चे को गाय के नीचे छोड़ तो गाय ही इससे अपना दूध पिलाने लगी है।

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