हम तो उस दौर से गुजर रहे है जहाँ लगभग 80 प्रतिशत बच्चे नींम का पेड़ भी नहीं पहचान सकते, मेडिकल प्रॉपर्टीज तो दूर की बात है। हमारे पूर्वज जो सिर्फ नीम का ही दातुन इस्तेमाल करते थे और वर्षो उनके दांत मजबूत और बीमारी रहित रहा करते थे। आज हम कूड़ा कचरा का उपयोग करके तरह तरह की डेन्टल प्रोब्लेम्स झेलने को मजबूर है। एक बार पुनः सोचने की जरूरत है की हमारे पूर्वज ज्यादा साइंटिफिक थे या हम है ।
पढ़े लिखे लोग ब्रांड नाम की बीमारी के चक्कर में मुर्ख बनते हर जगह नजर आ जायेंगे। हम भारतीय नीम के दातुन को जाने कब का भूल चुके है और अमेरिका में ऑनलाइन बिक रहा है। है न हैरानी की बात ! हम उनका कचरा पेस्ट इस्तेमाल कर रहे है और वो नीम का दातुन।
अमेरिका मैं नीम की दातून की कीमत 135 रूपये
एंटी बैक्टीरियल व एंटी फंगल तत्वों से निपटने के लिए यूरोपीय देशों में तेजी से बढ़ रही मांग
नीम को विदेशों में गॉड गिफ्ट के रूप में देखा जा रहा है एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल तत्वों की मौजूदगी इसकी खास वजह है यही कारण है कि यूरोपीय देशों में लोग टूथपेस्ट के बजाए नीम की दातुन को कर रहे हैं इसकी मांग लगातार बढ़ रही है अमेरिका जैसे देशों में 2 डॉलर यानी लगभग 135 रूपये की एक दातुन बिक रही है
यूरोपीय देशों में बढ़ रही मांग
सीबीआरआई के प्रो वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि यूरोपीय देश के लोग स्वास्थ्य के प्रति बहुत जागरूक हैं. नीम पर वहा कई शोध हो चुके है. वहां के कई नागरिक सुबह दातून करते नजर आ जाएंगे. अमेरिका के शहर में तो 2 डॉलर में एक दातुन बिकते उन्होंने खुद देखी है. यूरोपीय देशों में धीरे-धीरे इसकी मांग बढ़ती जा रही है. वहां के मॉल में भी इसकी बिक्री शुरु हो गई है उनको एक पैकेट में पैक करके उसे शो केस में विशेष जगह दी जा रही है
शरीर में नैनो रूप में पहुंचते हैं तत्व
डॉक्टर श्रीवास्तव ने बताया कि सुबह के वक्त जीभ सबसे अधिक संवेदनशील अवस्था में रहती है खाली पेट जब दातुन को दांतों से कुचते हैं तब मुंह में मौजूद बैक्टीरिया तो मरते ही है साथ में वह जीब के माध्यम से सूक्ष्म रुप में शरीर के सभी हिस्सों में पहुंचती है और बेक्टेरिया को समाप्त करती है
एशिया रीजन की नीम में ही मिलते है तत्व
डॉक्टर प्रदीप श्रीवास्तव ने बताया कि एशिया की जलवायु नीम के लिए बहुत मुफीद है एंटी बैक्टीरियल व एंटी फंगल गुण यही की नींद में पाया जाता है ठंड ज्यादा होने से यूरोपीय देश में नीम उगाई नहीं जा सकती. वहां के लोगों ने किसी तरह उगा भी लिया तो उस में वह तत्व नहीं मिल पाता