दोस्तों इस पोस्ट में हम हमारे शरीर में होने वाले वेग (क्रियाओं) के बारे में बात करेंगे. ऐसा हमारे साथ अक्षर होता है कि हमें पेशाब या कोई और वेग होता है तो हम उसको रोक लेते है. आज हम मल और मूत्र को रोकने से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है उसपर ही बात करेंगे. और राजीव भाई द्वारा बताया गया ज्ञान आज आपको देंगे. पहले हम मूत्र वेग पर बात करेंगे फिर मल वेग पर.
एक ऐसा वेग जिसको वागभट्ट जी कहते हैं कि कभी न रोकें, वो वेग है मूत्र वेग. इसको कभी रोकने की कोशिश न करें. जब भी आपको लगे या शरीर सिग्नल दे रहा हो कि मूत्र आने ही वाला है, तुरंत उस वेग को निकालिए.
वागभट्ट जी कहते हैं कि ये मूत्र वेग को अगर कभी भी रोकेंगे. तो रक्त के सारे विकार आपके शरीर में आयेंगे. राजीव जी कहते हैं कि उन्होंने एक बार मूत्र रोकने का एक्सपेरिमेंट किया था. परिणाम ये हुआ कि तुरंत उनके शरीर पर दबाव(प्रेशर) बढ़ गया. उनके शरीर के हर हिस्से पर प्रेशर बढ़ गया. राजीव भाई मरीजों का इलाज भी करते थे. उनके पास बहुत से पेशेंट ऐसे आते हैं जिनको पेशाब नही आ रहा हो, तो सबसे ज्यादा तड़प उनके शरीर में उसी वक्त देखी जा सकती है. जब पेशाब न आ रहा हो. वो कहते हैं कि कुछ भी करो लेकिन ये पेशाब जरुर बाहर निकालो. क्योंकि उससे शरीर का प्रेशर बढ़ जाता है और बहुत तकलीफ होती है. इसमें हर तरह से दबाव शरीर में पड़ेगा. सब तरह की ग्रंथियों पर दबाव बढेगा, रक्त पर दबाव बढेगा, हर तरह से दबाव बढेगा.
अगर बार मूत्र आए तो क्या करें
अगर बार बार मूत्र आए, हर 10 मिनट में आए, हर आधे घंटे में आए, और एक दो बूँद आए फिर न आए तो समझ लीजिये आपको कोई बीमारी है. अगर खुलकर पूरा मूत्र आ रहा है तो कोई चिंता की बात नही है. लेकिन रुक रुक के आ रहा है या एक दो बूँद आ रहा है तो आप किसी बीमारी के शिकार हैं तो ऐसी स्तिथि में आप किसी विशेषज्ञ की मदद लें. दवा या औषधि की वजह से इसका इलाज संभव है.
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इसी तरह से वो कहते हैं कि मल का वेग कभी भी न रोके. अगर आपको लग रहा है की टॉयलेट जाने की इच्छा है तो तुरंत जाइये. उसके बारे अधिक सोचने की जरुरत नही है. आजकल तो लगभग सभी जगह पर व्यवस्था हो ही जाती है जैसे ट्रेन में सभी जगह है, हवाई जहाज में सभी जगह टॉयलेट रूम्स हैं. और आपके घर में या यहाँ-वहां सभी जगह जहाँ आप जाते है, सभी जगह है. आजकल तो सड़कों पर चलते समय भी सरकार ने कई जगह बनवा दिए हैं. कोशिश करिए कि आप उस वेग को न रोकें, अगर जाने की इच्छा है तो जरुर जाइये.
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अगर आप दिन में 2 बार शौच के लिए जा रहे इन हैं तो ये सामान्य है. वो आपके शरीर के हिसाब से सुबह या शाम, सुबह या दोपहर हो सकता है, कई लोगों को सुबह सुबह भी दो बार हो सकता है. तो वो कहते हैं कि दो बार तक तो सामान्य है. अगर तीन बार अगर जा रहे हैं तो थोडा असामन्य है और 3 के बाद तो जाना ही नही है. अगर आप 3 से ज्यादा बार जा रहे है तो आपको कोई बीमारी है फिर विशेषज्ञ की सलाह लीजिये और उसको ठीक कीजिये.
दोस्तों राजीव भाई ने अपने व्याख्यान में बहुत से वेगो को ना रोकने की सलाह दी है जैसे मल के वेग को न रोकें, मूत्र के वेग को न रोकें, अजबाई आ रही है तो न रोकें, हंसी आ रही है तो न रोकें, प्यास लग रही है तो कभी न रोकें जरुर पानी पीयें, ऐसे लगभग 14 वेग हैं इन्हें कभी न रोकें.
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प्राकृतिक वेगों को न रोकें : कई बार व्यक्ति शरीर के प्राकृतिक वेगों को बार-बार रोकता रहता है, जिसकी वजह से शरीर में अनेक व्याधियां पैदा हो जाती हैं. अतः शरीर के किसी भी प्राकृतिक वेग को नहीं रोकना चाहिए, मलवेग को रोकने से पेट के निचले हिस्से में दर्द, कब्ज, गैस, अफारा पैदा होता है और रक्त दूषित होने लगता है, मूत्रवेग को रोकने से मूत्राशय व मूत्र नलिका में दर्द व शरीर में बेचैनी होने लगती है.
वीर्यवेग को रोकने से पेड़ू, अण्डकोष, किडनी व मूत्राशय में दर्द व सूजन हो सकती है, डकार को रोकने से छाती में भारीपन, पेट में गुड़गुड़ाहट व गले में फांस-सी लग सकती है, छींक रोकने से गर्दन में पीड़ा, सिर दर्द, माइग्रेन, मस्तिष्क विकार व इंद्रियां निर्बल होने की आशंका रहती है, उल्टी को रोकने से रक्त दोष, सूजन, लिवर विकार, खाज, जलन, छाती में भारीपन, खाने के प्रति अरुचि हो सकती है, अपान वायु (गैस) को रोकने से अफारा, थकान, पेट में दर्द, मल-मूत्र रुकावट व शरीर में वायु प्रकोप हो सकता है.