देखिए कब और क्यों शुरू हुई थी टैक्स के नाम पर ये लूट ! ये भी जानिए कि ये टैक्स का पैसा जा कहा रहा है

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भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी भारत आई थी उस समय इंग्लैंड दुनिया का सबसे गरीब देश था. इंग्लैंड के इतिहासकारों ने इंग्लैंड के इतिहास में लिखा है कि 15वीं शताब्दी और सोलवी शताब्दी में इंग्लैंड में साढे तीन करोड़ लोग भूख से मर गए थे. इतना बुरा हाल था कि इंग्लैंड की कुल आबादी छह करोड़ थी और उसमें से साढ़े तीन करोड़ भूख से मर गए थे. यह कोई मामूली बात नहीं है. आधी आबादी भूख से मर गई क्योंकि खाने को कुछ नहीं था, पहनने को कुछ नहीं था, अंग्रेजों ने कपड़ा पहनना भारत से सीखा, अंग्रेजों ने कपड़ा बनाना भारत से सीखा, भारतवासियों के संपर्क के पहले इंग्लैंड में कोई कपड़ा बनाना नहीं जानता था, पहनना नहीं जानता था, नंगे रहते थे, आदिवासियों की तरह से, वनवासियों की तरह से, यह तो सारी की सारी कहानी है भारत के लूट की यहां का पैसा वहां गया

टैक्स की पूरी कहानी इस विडियो में देखिए >>

नीचे दूसरी विडियो में देखिए ये पैसा जो सरकार हमसे लुटती है ये जा कहा रहा है

1860 में ब्रिटिश पार्लियामेंट में बहस हुई और यह तय हुआ कि भारत में जो क्रांति 1857 में हुई उसका बड़ा कारण क्या था तो एक अंग्रेज कहता “हम ने लूटा भारत को यह बड़ा कारण था” दूसरा एक अंग्रेज कहता है कि “हमने मार-मार के भारतवासियों को ईसाई बनाया जो बनने को तैयार नहीं थे”  एक अंग्रेज तीसरा कारण कहता कि “हमने भारत की सबसे पवित्र गाय को कत्लेआम किया वह बड़ा कारण था”. क्या आप जानते है इस देश में सबसे पहला कत्लखाना  कोलकाता में 1760 में अंग्रेजों ने शुरु कर दिया था जिसमे गाय कटती थी और हिंदुस्तानियों की छाती पर छुरी चलती थी. ये सब अंग्रेजी दस्तावेजों में दर्ज है कि एक- एक अंग्रेज बयान दे रहा हैं और वो बता रहा है कि ये कारण था, वो कारण था, इसी कारण भारत में हमारे खिलाफ बगावत हुई

अब अंग्रेज प्राइम मिनिस्टर पूछ रहा है कि अच्छा यह बताओ कि बगावत के लिए पैसा किसने दिया, धन भी तो इकट्ठा हुआ होगा. तब एक अंग्रेज जो भारत में 17 साल रहा और किसी तरह जिंदा बचकर इंग्लैंड पहुंच गया. वह कहता है कि “जिस क्रांति को हम बगावत और विद्रोह कहते हैं, भारतवासी इसे भारत की आजादी की लड़ाई कहते हैं” . और इस आजादी की लड़ाई में 480 करोड रुपए खर्च हुआ है. दोस्तों यह कोई मामूली रकम नहीं है, 480 करोड़ को अगर आप समझना चाहे तो इसमें 300 का गुना कर लेना तब इसको आप आज के हिसाब से इसे समझ पाएंगे. आपके मन में सवाल उठेगा कि यह रकम कहां से आई तो आपको बता दे ये रकम भारत के उद्योगपतियों ने, व्यापारियों ने, किसानों ने आम लोगों ने दी थी. इस क्रांति में अंग्रेजो के खिलाफ साढ़े 4 करोड़ हिंदुस्तानी लड़े थे. अगर हर एक हिंदुस्तानी के हाथ में एक तलवार भी हो तो साढ़े 4 करोड़ तलवारे बनी होंगी और उन साढ़े 4 करोड़ तलवारों को बनाने के लिए लोहा बनना होगा, इस देश में उस लोहे को गलाने के लिए भट्टियाँ बनी होंगे, ब्लास्ट फर्नेस बनी होंगी, कितने करोड़ लोगों ने कितने करोड़ मीट्रिक टन लोहा गलाया होगा, उन लोहों से तलवारे बनी होंगी, बंदूके बनी होंगी, छूरे बने होंगे, हसिये बने होंगे, हथोड़े बने होंगे क्योंकि भारतवासी तो इन्ही से लड़े थे.

इससे पता चलता है कि ये क्रांति कोई सामान्य नहीं थी. यह क्रांति बहुत बड़ी क्रांति थी, बहुत व्यापक थी और एक साथ 350 स्थानों पर हुई थी. जब ब्रिटिश पार्लमेंट में यह सारी बहस हो रही थी तो प्राइम मिनिस्टर पूछ रहा है कि पैसे किसने दिए. उद्योगपति और व्यापारी किसान कारीगरों ने दिए तो प्राइम मिनिस्टर कहता है अब आगे से इस देश में शासन चलाना है तो एक व्यवस्था करो कि दोबारा कभी भारत के लोग क्रांतिकारियों को पैसे दे न सकें उनके हाथ में पैसे छोड़ो ही मत, ले लो सब, छीन लो उनसे. कैसे छीनोगे? टेक्स लगाकर छीनो. इसलिए इस देश में इनकम टैक्स आया, इनकम टैक्स इसलिए नहीं आया कि देश में अंग्रेजों को सरकार चलानी थी और उसके लिए धन की जरूरत थी. इनकम टैक्स इसलिए लाया गया कि भारत के नागरिकों के पास पैसे इतने बचे ही नहीं जोकि वह क्रांतिकारियों को दान में दे सकें. वह सारे पैसे अंग्रेज छीन कर अपने पास रखें इसके लिए इनकम टैक्स आया और इनकम टैक्स जब लगाया अंग्रेजों ने तो उसको लिमिट जानते हैं क्या थी 97% . मतलब सौ रुपए आप कमा रहे हैं तो 97 रुपए अंग्रेजों को दे दीजिए और यह कहानी पूरी तब समझ में आएगी जब एक और जानकारी राजीव भाई ने दी वो ये कि ब्रिटिश पार्लियामेंट में बहस हो रही थी और बात चल रही थी कि खाली इनकम टैक्स लगाना है या दूसरे टैक्स भी लगाने हैं. तो बात हुई कि भारत के उद्योगपति और व्यापारी कोई भी समान बनाएं तो बनाने पर उनसे पहले टैक्स ले लो. उसको उन्होंने एक्साइज ड्यूटी नाम दे दिया. आप सामान बनाए और बेचने के लिए जाएं तो बेचने पर उनसे टैक्स ले लो, उसको सेल्स टैक्स नाम दे दिया. फिर बेचकर मुनाफा कमाए तो मुनाफे पर टैक्स ले लो उसको इनकम टैक्स नाम दे दिया. सामान को बेचने के लिए एक गांव से दूसरे गांव जाए तो रोड टैक्स ले लो और टोल टैक्स ले लो और जिस गांव से सामान लेकर जाएं वहां ले लो और जिस गांव में ले कर आयें वहां ले लो. गांव में लेकर आ रहे हैं तो ओक्ट्रॉय ले लो उनसे और गांव से लेकर जा रहे हैं तो एग्जिट टैक्स ले लो. उनसे ऐसे बीसियों तरह के टैक्स उन्होंने लगा दिए

एक्साइज ड्यूटी अंग्रेजों ने लगाई 350% मतलब कि 100 रुपए का सामान बनाओ तो 350 रुपए टैक्स में उनको दे दो. इनकम टैक्स लगा दिया 97% सो रुपए कमाए करो तो 97 रुपए अंग्रेजों को दे दो. 3 रूपये बचेगा बस आपके पास. सेल्स टैक्स लगा दिया 180-250% अलग-अलग वस्तुओं पर अलग-अलग ओक्ट्रॉय लगा दिया 50 से 60% म्युनिसिपल कॉरपोरेशन का टैक्स लगा दिया. अंग्रेजों ने कई कई स्थानों पर 70 से 80% . परिणाम क्या हुआ हिंदुस्तानियों से लूट लूट कर सारा धन उन्होंने इंग्लैंड में जमा कर लिया. 1860 से पहले होता था कि लूटने का काम एक ईस्ट इंडिया कंपनी किया करती थी, उनके एजेंट हुआ करते हैं. और 1860 के बाद पूरी सरकार ही लूट खोर हो गई जिन्होंने कानून बनाकर लूटना शुरु कर दिया. अब भारतवासी चिल्लाते थे कि हमारी लूट हो रही है, तो जवाब में अंग्रेज कहते थे हम तो कानून का पालन कर रहे हैं. अब आप की लूट हो रही है तो हम क्या करें इसमें कितनी बेईमान और हरामी कौम है यह अंग्रेजों की. लूटना है तो कानून बना दो और दूसरों को उल्लू बनाओ कि हम तो कानून का पालन कर रहें हैं. भले उसकी जेब कटे उसमें ऐसे लूटोगे तो बदनामी होगी सारी दुनिया के देश थू थू करेंगे तुम भारत को लूट रहे हो तो लूटने का कानून बना दो. तो दुनिया को कहेंगे कि हम तो कानून का पालन कर रहें हैं उसमें आपकी लूट होती है तो हम क्या करें.

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