हिंदुस्तान में ब्रिटेन के लोगों के समर्थक बहुत बडी संख्या में रहे और न सिर्फ ब्रिटेन के समर्थक रहे बल्कि अंग्रेजो के तलवे चाटने वाले घराने इस देश में रहे । अंग्रेजो की जी हजूरी करने वाले घराने इस देश में रहे । और जिन खानदानो ने अंग्रेजो के जितने ज्यादा तलवे चाते उन्ही खानदानो का नाम इस देश में गर्व से लेते हैं लोग जो अंग्रेजो के सबसे ज्यादा पिठू बन कर रहे जो अंग्रेजो के चरणों में साष्टांग बिछ जाते थे ऐसे ही लोगों को इस देश के इतिहास में पढाया जाता है । और ऐसा ही एक खानदान था जो अंग्रेजों की गुलामी में आकंठ डूबा हुआ था उस खानदान का नाम था टैगोर खानदान । और उस टैगोर खानदान का एक व्यक्ति था जिसका नाम था रविन्द्रनाथ टैगोर उस रविन्द्रनाथ टैगोर ने जॉर्ज पंचम के स्वागत के लिए एक गीत लिख दिया था और न सिर्फ उस आदमी ने वो गीत लिखा बल्कि कलकत्ता में जब जॉर्ज पंचम पहुंचा और उस भरी सभा में जहाँ लाखों लोग उपस्थित थे हिंदुस्तान की गुलामी का गीत गाया गया और ब्रिटेन के राजा का सम्मान किया गया और यह काम रविन्द्रनाथ टैगोर ने अपने मुंह से किया और वो गीत कौनसा था जो रविन्द्रनाथ टैगोर ने इंग्लैंड के राजा की उसतति का गान करने के लिए लिखा था ।वो गीत वही है जिसको आप कहते हैं
इस विडियो में देखिए रविन्द्र नाथ टैगोर की सच्चाई >>
जन गण मन अधिनायक जय है भारत भाग्य विधाता
बहुत शर्म आती है मेरे जैसे आदमी को जब वो गीत गाने के लिए मुझे कोई कहता है कि वो गीत गाओ क्यों गाए उस गीत को ?
रविन्द्रनाथ टैगोर तो चापलूसी करते थे अंग्रेजों की| रविन्द्रनाथ टैगोर तो चाटुकार थे अंग्रेजो के| और रविन्द्रनाथ टैगोर तो साईको सेंट थे अंग्रेजो के इसलिए उन्होंने अंग्रेजों के राजा के सम्मान में वो गीत लिखा था। मैं तो नहीं हूँ| मुझे तो अंग्रेजों की चापलूसी से कोई मतलब नहीं है मैं तो अंग्रेजों का उस से ज्यादा विरोधी हूँ जितना कोई हो सकता है लेकिन मेरे आजाद देश में उस गीत को बार बार गवाया जाए ये मेरा राष्ट्रीय अपमान का प्रश्न है और जिस गीत को अंग्रेजों के राजा जॉर्ज पंचम के स्वागत में गाया था रविन्द्रनाथ टैगोर ने वही गीत 5 दिन पहले दिल्ली के एअरपोर्ट पर गाया गया महारानी के सम्मान में|
आपने कभी ध्यान दिया है उस गीत के शब्द क्या हैं ?
जन गण मन अधिनायक जय है
हिंदुस्तान की जनता के मनो के अधिनायक तेरी जय हो
ये मतलब है जन गण मन अधिनायक जय है माने जार्ज पंचम तुम हिंदुस्तान की जनता के मनो के जनता के गणों के अधिनायक हो सुपर बॉस हो इसलिए तुम्हारी जय हो ये रविन्द्रनाथ टैगोर गा रहे हैं
भला इस से ज्यादा चाटूकारिता का दूसरा प्रमाण मिल सकता इससे ज्यादा साइको सेंसी का का दूसरा कोई प्रमाण आपको मिल सकता
और दूसरी लाइन है
जन गण मन अधिनायक जय है भारत भाग्य विधाता
माने तुम भारत की भाग्य विधाता हो माने हमारा भाग्य तुम लिख रहे हो ये तो कोई भगवान से भी नहीं कहता है
लेकिन रविन्द्रनाथ टैगोर ने तो हिंदुस्तान के साम्राज्यवादी राजा का प्रतीक जो जार्ज पंचम था उसको भगवान से भी ऊपर रख दिया था ।
कि तुम तो भारत के भाग्य विधाता हो
पंजाब सिंध गुजरात मराठा द्रविड़ उत्कल बंग
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छल जलधि तरंगा
तव शुभ नामे जागे तव शुभ आशीष मागे
माने पंजाब सिंध गुजरात मराठा द्रविड़ उत्कल बंग ये सारे हिन्दुस्तानी इलाका तुम्हारे लिए आशीष मांग रहा है
तब शुभ आशीष मांगे – तुम्हारी भलाई की प्रार्थना कर रहा है ये पूरा हिन्दुस्तान जो अंग्रेजो की गुलामी में सिसक रहा था उसको रविन्द्रनाथ टैगोर लिख रहे हैं की ये सारा का सारा हिंदुस्तान तुम्हारे लिए आशीष मांग रहा है तब शुभ आशीष मांगे
और वो सारी की सारी आशीष हम तुमको दे रहे हैं अपनी तरफ से
जन गण मंगलदायक जय हे भारत भाग्य विधाता!
वही भारत के भाग्य विधाता तुम्हारा मंगल हो तुम्हारा कल्याण हो
माने जो हमको गुलाम बनाने के लिए आए हैं उनकी चाटुकारिता में कोई आदमी कितना बिछ सकता है इसका ये निक्रष्ट नमूना है और अंत में वो कह रहे हैं
जय हे, जय हे, जय हे,
माने तुम्हारी ही जय है तुम्हारी ही जय है तुम्हारी ही जय है
ऐसा गुलामी का प्रतीक गीत ये गुलामी के दिनों में गाया गया एक ऐसे हिन्दुस्तानी की तरफ से जिसको शायद आप बडी श्रदा की नजर से देखते हैं और गीत जब ये गा दिया था उन्होंने और चरणों में बिछ गए थे रविन्द्रनाथ टैगोर तब अंग्रेजो ने उनको नोबेल प्राइज दिलवा दिया था पुरुस्कार के रूप में
रविन्द्रनाथ टैगोर को ऐसे ही नोबेल पुरुस्कार नहीं मिला था अंग्रेजो ने कुछ नियम बनाये थे परमपरायें बनायीं थी अंग्रेजो के नियम क्या थे ?
जो अंग्रेजो की जितनी ज्यादा चाटुकारिता करे अंग्रेजो के जितने ज्यादा पैर चाटे उसी को अंग्रेजी सरकार राय बहादुर का ख़िताब देती थी
उसी को अंग्रेजी सरकार हिंदुस्तान में और इंग्लैंड में नाईट हुड की पद्द्वियाँ देती थी ऐसे ही लोगों को अंग्रेजों की तरफ से इनाम मिलते थे
क्योंकि वो अंग्रेजों के चरण चाटते थे और हिंदुस्तान को गालियाँ देते थे और ऐसे चरणचाटू लोग आपने नाम सुना है हिंदुस्तान के राजाओं के दरबार में कुछ चारण और भाट हुआ करते थे ।
वो चारण और भाट क्या करते थे ?
राजा चाहे जितना गन्दा हो चाहे जितना बदमाश हो चाहे जितना लफंगा हो लूचा हो वो चारण और भाट हमेशा राजा की प्रशंसा ही करते थे बदले में राजा उनको कुछ ईनाम बांटता था । ऐसे चारण और भाटों का खानदान है ये टैगोर खानदान
जिन्होंने ये गीत लिखा है और मेरा अन्दर से रोम रोम कांप जाता है जब कोई मुझे कहता है की राजीव भाई गाइये क्यों गाए ? हिन्दुस्तान का गीत नहीं है ये जन गण मन अधिनायक जय हे
हिन्दुस्तान का गीत तो वन्दे मातरम रहा है
और ये वन्दे मातरम जैसा गीत जो हिन्दुस्तान की आजादी का लड़ाई प्रतीक था जो हिन्दुस्तान के लोगों के खून में जोश भरने का काम करता था उस वंदे मातरम जैसे गीत को हिन्दुस्तान में राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिलवाने में 50 साल लग गया हमको अब जाके हुआ है
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लेकिन जो गुलामी के ज़माने का गीत थे जन गण मन अधिनायक जय हे
वो आजादी के तुरंत बाद हिंदुस्तान के उन गुलाम लोगों ने जो शरीर से आजाद होंगे पर दिमाग से गुलाम होंगे हिन्दुस्तान का राष्ट्रीय गीत बनाया था और आप में से बहुत कम लोग जानते होंगे की कांग्रेस के 2 अधिवेषण हुए थे जिन दोनों अधिवेशनों में ये फैसला हुआ था सर्वसम्मति से की हिन्दुस्तान की आजादी के बाद जन गण मन हमारा राष्ट्रीय गीत नहीं रहेगा
यह फैसला हुआ था कांग्रेस की समिति में लेकिन उन्ही कांग्रेस के लूचे नेताओं ने आजादी के बाद उसी को राष्ट्रीय गीत घोषित करवा दिया
इस से ज्यादा शर्म की दूसरी बात कोई हो नहीं सकती और वो गीत जिस तरह से गाया गया था जार्ज पंचम की अगुवाई करने के लिए जार्ज पंचम का स्वागत करने के लिए कलकत्ता में लाखों लोगों के बीच में वही गीत फिर गाया गया है महारानी के सम्मान में उस दिन दिल्ली के एअरपोर्ट पर| तो कैसे कहें की ये देश आजाद है 1911 में जो हमने सुना है वही तो आज हम हमारी आँखों के सामने देख रहे है|