कौन कब पलट जाए कुछ कह नहीं सकते ? समय आने पर असलियत पता चलती है

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हिंदुस्तान में गाय का क़त्ल बंद हो जाए ये हमारी इच्छा है लेकिन गाय का क़त्ल चलता रहे उसके लिए बहुत बड़ा जाल है. जब भी संसद में गोउ हत्या पर बहस होती है तब कुछ ना कुछ सवाल खड़े हो जाते हैं ..एक दिन तो भाई राजीव दीक्षित जी खुद संसद की दर्शक दीर्घा में थे ..उन दिन संसद में इसी गोउ रक्षा के प्रश्न पर बहस हो रही थी …राजीव जी यह देखने गए थे कि कौन संसद समर्थन में है और कौन विरोध में है ..एक बाजू में सांसद एक स्वर से बोल रहे थे की गोउ रक्षा होनी चाहिए. मुस्लिम सांसद गी ऍम बनातवाला ने कहा की अगर वोट होता है तो गोउ रक्षा के समर्थन में पहले वोट मेरा. उनके साथ दूसरे सांसद भी खड़े हो गए और बोलने लगे की आप लोग निर्भय होकर कानून बनाइये हमें कोई आपत्ति नहीं है.

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लेकिन एक महिला कड़ी खड़ी हो गई जिसका नाम है सुश्री ममता बनर्जी. ममता बनर्जी ने कहा कि गाय का मांस खाना मेरा मौलिक अधिकार है उसका क्या होगा? और ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय को पढ़ते हुए कहा कि गाय को काटना कसाई का मौलिक अधिकार है. तो गोउ रक्षा का कानून बनते-बनते फिर रह गया ..इसी तरह एक और बार हुआ ..हमारी संसद में तय हो गया की गोउ रक्षा का कानून बन जाना चाहिए सब तैयार हो गए .. तभी जी जी स्वेल नामक एक सांसद जो राष्ट्रपति पद का चुनाव भी लड़ चुके थे वे सांसद में खड़े हो गए और कहने लगे की मै गाय का मांस खाता हूँ, मेरा क्या होगा? तो राजीव जी ने उनको एक ख़त लिखा जिसका जवाब जी जी स्वेल जी ने कभी नहीं दिया ..राजीव जी ने कहा की आप गाय का मांस खाते हैं तो आप खाते रहिये कोई आपत्ति नहीं है …अगर आप को खाना है तो घर पे लाकर खाइए. क्योकि जितनी भी गाय कतल खानों में कटती है वे सब एक्सपोर्ट की जाती है … और आप घर पर गाय काटिए और गाय खाइए ताकि सबको पता चले की एक सांसद गाय का मांस खाता है ..मगर राजीव जी के इस ख़त का कोई जवाब नहीं आया.

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