हमारे एक साथी भाई अनूप पाण्डेय जी ने भारत सरकार से यह जानकारी ली थी कि संसद की सभी कैंटीनों में अगस्त 2003 से कोकाकोला, पेप्सी, थम्स-अप, फैंटा, सेवन-अप, डाइट पेप्सी और लिम्का जैसे तमाम सॉफ्ट ड्रिंक बैन हैं क्योंकि इनसे सांसदों के स्वास्थ्य को खतरा है। लेकिन देश की बाकी जनता (भाइयों-बहनों!) इन्हें बेधड़क पी सकती है। यहां तक कि जगत प्रकाश नड्डा जी के स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में बच्चों के लिए जारी ब्रोशर ‘हेल्दी चिल्ड्रेन, हेल्दी इंडिया’ तक में यह जिक्र करना उचित नहीं समझा कि सॉफ्ट ड्रिंक बच्चों के स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हैं। ऐसा तब, जब भारत पहले ही पांच करोड़ से ज्यादा टाइप-2 डायबिटीज़ के रोगियों के साथ दुनिया में मधुमेह की राजधानी कहा जाने लगा है।
सरकार के इस पत्र में देखिए सरकार क्या कह रही है >>
हिंदी अनुवाद भी नीचे दिया गया है
कोल्ड ड्रिंक्स पर सरकार का दोगुलापन – हमारे एक साथी भाई अनूप पाण्डेय जी ने भारत सरकार से यह जानकारी ली तो चित्र में लिखे पत्र में जवाब मिला उसका हिंदी में अनुवाद इस प्रकार है
प्रश्न 1 और प्रश्न 2 – सरकार द्वारा एक सांसद को कितनी प्रकार की सब्सिडी दी जाती है और भारत सरकार इन सब्सिडी पर कितना खर्च करती है
उत्तर मिला : यह अस्पष्ट प्रश्न है और RTI एक्ट के अंतर्गत नहीं आता
प्रश्न 3 – क्या यह सत्य है की संसद की कैंटीन में कोक और पेप्सी पर रोक है अगर हां तो क्यों?
उत्तर मिला : संसद परिसर में 6 अगस्त 2003 से सभी ब्रांड की कोल्ड ड्रिंक और सॉफ्ट ड्रिंक की पूर्ती और बिक्री पर रोक है, यह निर्णय संसद परिसर में भोजन प्रबंधन की संयुक्त समिति द्वारा लिए गया. (“क्यों” का उत्तर नहीं दिया गया)
प्रश्न 4 – संसद की कैंटीन में परोसे जाने वाले मेनू का विवरण
उत्तर : संलग्न है
प्रश्न 5- उन सांसदों के नाम जिन्होंने LPG सब्सिडी को छोड़ दिया है
उत्तर : पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय को अग्रेषित कर दिया गया
अब कोल्ड ड्रिंक वाले मुद्दे पर सरकार से कोई पूछे की क्यों पूरे भारत के लोगो के अनगनित कारणों के कारण यह विष बिकवाया जा रहा है जो वेह स्वयं नहीं लेना चाह्ते और हम भारत के लोग जब तक रोक नहीं लगेगी विष लेना बंद नहीं करेंगे