हमारा भारत देश दुनिया में एक बात के लिए मशहूर है कि यहाँ हर प्रकार की जलवायु पायी जाती है. दुनिया में आजतक कुल 16 जलवायु तय की गयी है या यूँ कहें कि खोजी गयीं हैं. जैसे गर्मी है सर्दी है बरसात है इस तरह के 16 मौसम हैं. और ये बहुत गर्व की बात है कि हमारे देश में ये सब तरह की जलवायु एक साथ उपलब्ध है.
आप अगर कल्पना करें कि हमको तो अफ्रीका की जलवायु देखनी है. तो ज्यादा दूर मत जाइए यहीं राजस्थान के जैसलमेर जिले में चले जाइये. अफ्रीका के सारे रेगिस्तान की जलवायु आपको जैसलमेर और उसके आसपास के क्षेत्र में देखने को मिल जाएगी. फिर आप कहेंगे कि हमको तो दक्षिण अमेरिका वाली ब्राजील, मक्सिको, चिली, कोलंबिया की जलवायु देखनी है. फिर भी बहुत दूर जाने की जरुरत नही पड़ेगी, दक्षिण भारत के कर्नाटक में कुछेक एरिया है जिसको पहाड़ी इलाका कहते है, कूडक के आसपास का वहां चले जाइये तो ब्राजील, चील, मक्सिको की जलवायु आपको वहां मिल जाएगी.
फिर अगर आपको लगे कि दुनिया के समुद्र से घिरे हुए देशों की जलवायु भारत में देखनी है तो बहुत दूर मत जाइये दक्षिण भारत के केरल में चले जाइये, केरल को देख लीजिये तो आपको समुद्र के आसपास की जलवायु देखने को मिल जाएगी. फिर अगर आप डेनमार्क और स्वीडन की जलवायु देखनी है जहाँ हमेशा बर्फ ही जमी रहती है तो ज्यादा दूर जाने की जरुरत नही है जम्मू कश्मीर या हिमाचल प्रदेश या उतरांचल चले जाइये, वहां आपको दिखाई दे जाएगी.
अगर आपको ऐसी जलवायु देखनी है जो एकदम सुखी है जहाँ की जलवायु में थोड़ी भी नमी न हो ऐसी जलवायु देखनी हो तो राजस्थान के चुरू में चले जाइये. तो आपको सुखी जलवायु दिखाई देगी जहाँ की जलवायु में बिलकुल भी नमी नही है. अगर कभी नमी आ भी जाए तो बड़ी बात मानी जाती है.
आपको अगर कीचड़ प्रधान जलवायु देखनी है जैसे ऑस्ट्रेलिया या न्यूजीलैंड देशों में बहुत कीचड़ है तो ऐसी कोई जलवायु आपको देखनी हो तो कहीं जाने जरुरत नही क्यूंकि भारत के हर शहर में कीचड़ है. क्योंकि यहाँ सफाई ही नही होती. आपको जो देखना है यहाँ सब है भारत में ही.
तो अब आप सोच रहे होंगे कि ये चक्कर क्या है कि दुनिया में जितने भी क्लाइमेट हैं वो सब के सब भारत में उपलब्ध है तो शायद यह भगवान् की कोई बड़ी कृपया हो. भारत के बड़े से बड़े देश अमेरिका, जर्मनी, फ़्रांस, स्विटज़रलैंड, डेनमार्क, नॉर्वे किसी भी देश में 2 से ज्यादा क्लाइमेट जोन नही है.
23 देश हैं युरोप के जो बहुत बहुत नजदीक हैं वहां तो 2 ही क्लाइमेट जोन हैं एक तो ठण्ड है और दूसरी बहुत अधिक ठण्ड की है. इसके अलावा कोई तीसरी चीज नही है. अफ्रीका में चले जाइये एक गर्मी है और एक भयंकर गर्मी है. अगर आप ब्राजील और मक्सिको में जाएँ तो एक बरसात है और एक भयंकर बरसात, कुछ देश तो ऐसे हैं जहाँ 8 महीने तक पानी बरसता ही रहता है. भारत में भी गोवा में चले जाइये 8 महीने पानी बरसता रहता है.
तो हर देश के बारे में जब क्लाइमेट जोन के बारे में बात होती है तो भारत के बारे में यह कहा जाता है कि यहाँ की जलवायु समशीतोषी है माने सब कुछ सम. यहाँ सब कुछ सम है. विषम और असम कुछ भी नही है सब कुछ सम है. गर्मी आयेगी तो बराबर आयेगी बरसात आयेगी तो बराबर आयेगी. सर्दी आयेगी तो बराबर आयेगी, बसंत ऋतू आयेगी तो बराबर आयेगी, यहाँ सब कुछ बराबर है. और क्यूंकि सब कुछ सम है तो इसलिए दुनिया के भूगोल शास्त्र के बीच में या मौसम विज्ञानं का अध्यन करने वालों के बीच भारत सबसे ऊँचा देश माना जाता है कि ये देश कुछ अद्भुत है.
ये जो हमारा देश अद्भुत है इसके पीछे एक कारण है, कैसे हुआ है के भगवान् या प्रकृति ने हमें ये सब तरह की जलवायु दी है और बराबर मात्रा में दी है इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि यहाँ सबसे पहले सूर्य निकलता है और सबसे अंत में सूर्य छिपता है. अर्थात इस देश को सूर्य का प्रकाश सबसे ज्यादा मिलता है. साल के 365 देशों में शायद ही 4-5 दिन ऐसे जाएंगे जिस दिन सूर्य न निकलता हो वर्ना हर दिन आपको सूर्य का प्रकाश मिलता है वो भी भरपूर मिलेगा.
दुसरे देशों की और चलें जैसे अमेरिका, यूरोप और उसके आसपास के देश तो बहुत गरीब है इस मामले में क्यूंकि उनको साल में मुश्किल से 15-20 दिन या अधिक से अधिक एक महिना ही सूर्य का प्रकाश मिलता है बाकी दिन तो सूर्य निकलता ही नही.
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